नवहट्टा (सहरसा)। सहरसा जिले में इन दिनों कड़ाके की ठंड ने जनजीवन को पूरी तरह अस्त-व्यस्त कर दिया है। लगातार गिरते तापमान और सर्द पछुआ हवा के कारण आम लोगों का घर से निकलना मुश्किल हो गया है। खासकर सहरसा जिले के नवहट्टा प्रखंड सहित शाहपुर बाजार क्षेत्र में अब तक अलाव की समुचित व्यवस्था नहीं होने से लोगों में भारी नाराजगी और मायूसी देखी जा रही है।
सुबह तड़के और देर शाम बाजार आने-जाने वाले दुकानदार, दिहाड़ी मजदूर, रिक्शा चालक, फुटपाथी व्यवसायी, बुजुर्ग और राहगीरों को ठंड से भारी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। ठंड इतनी अधिक है कि लोग अलाव की आस में चौक-चौराहों पर इधर-उधर भटकते नजर आ रहे हैं, लेकिन कहीं भी सरकारी स्तर पर जलते अलाव नहीं दिख रहे हैं। इससे खासकर गरीब और असहाय लोगों की मुश्किलें और बढ़ गई हैं।
स्थानीय लोगों का कहना है कि हर वर्ष ठंड के मौसम में पंचायत और प्रशासन की ओर से बाजारों, बस स्टैंड, चौक-चौराहों एवं प्रमुख सार्वजनिक स्थलों पर अलाव की व्यवस्था की जाती रही है, लेकिन इस बार अब तक कोई ठोस पहल नहीं की गई है। ठंड से बचाव के अभाव में कई लोग सर्दी, खांसी और बुखार जैसी बीमारियों की चपेट में आ रहे हैं।
इस गंभीर समस्या को लेकर स्थानीय समाजसेवी शिवशंकर उर्फ मन्नु ने प्रशासन का ध्यान आकृष्ट कराया है। उन्होंने कहा कि ठंड से बचाव के लिए अलाव गरीब और जरूरतमंद लोगों के लिए जीवन रक्षक साबित होता है। बावजूद इसके प्रशासन की उदासीनता के कारण लोग खुले आसमान के नीचे ठिठुरने को मजबूर हैं। उन्होंने अविलंब नवहट्टा प्रखंड और शाहपुर बाजार के प्रमुख स्थानों पर अलाव की व्यवस्था कराने की मांग की है।
वहीं समाजसेवी प्रदीप प्रेम, क्रांतिवीर कुन्दन, ऋषि गुप्ता, अंगद दास, मिलन गुप्ता, बिट्टू गुप्ता, आशीष गुप्ता किंग सहित अन्य स्थानीय लोगों ने भी प्रशासन पर लापरवाही का आरोप लगाया है। उन्होंने कहा कि यदि जल्द अलाव की व्यवस्था नहीं की गई तो ठंड से बीमारियों का खतरा और बढ़ सकता है, जिसका सीधा असर गरीब तबके पर पड़ेगा। उन्होंने जिला प्रशासन से मानवीय दृष्टिकोण अपनाते हुए तत्काल आवश्यक कदम उठाने की अपील की है।
स्थानीय लोगों ने उम्मीद जताई है कि प्रशासन जल्द ही स्थिति की गंभीरता को समझते हुए अलाव की व्यवस्था सुनिश्चित करेगा, ताकि कड़ाके की ठंड में आम लोगों को कुछ राहत मिल सके। फिलहाल अलाव के इंतजार में नवहट्टा प्रखंड और शाहपुर बाजार के लोग ठंड से जूझने को मजबूर हैं।
