स्मार्ट सिटी के तमगे से नवाजे गए भागलपुर शहर में आज तक एक अदद आधुनिक और सुविधायुक्त स्मार्ट बस स्टैंड का निर्माण नहीं हो सका है। शहर का मुख्य सरकारी बस अड्डा, जो तिलकामांझी में स्थित है, आज बदहाली की तस्वीर पेश कर रहा है। यहां यात्रियों के लिए न तो शुद्ध पेयजल की व्यवस्था है, न ही स्वच्छ शौचालय और न ही बैठने जैसी बुनियादी सुविधाएं उपलब्ध हैं। पूरा परिसर गंदगी और कूड़े-कचरे से अटा पड़ा है, जिससे यात्रियों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ता है।

 

बस अड्डे पर यात्रियों को खुले आसमान के नीचे खड़े होकर बसों का इंतजार करना पड़ता है। सरकार द्वारा हाल के वर्षों में उपलब्ध कराई गई नई बसें और पिंक बसें भी इसी गंदे परिसर में खड़ी रहती हैं, जहां उनके समुचित रखरखाव की कोई व्यवस्था नहीं है। यात्रियों को कूड़े-कचरे के बीच ही बसों में चढ़ना और उतरना पड़ता है, जिससे संक्रमण और बीमारियों का खतरा बना रहता है।

 

यात्रियों की सुविधा के लिए वर्षों पहले लगाई गई एलईडी सूचना स्क्रीन लंबे समय से बंद पड़ी है। न तो बसों की समय-सारिणी की जानकारी मिलती है और न ही मार्गों का कोई अपडेट यात्रियों को उपलब्ध हो पाता है। इसके अलावा, बस अड्डे का कार्यालय आज भी अंग्रेजों के जमाने के जर्जर भवन में संचालित हो रहा है, जो कभी भी किसी बड़े हादसे को न्योता दे सकता है।

 

चौंकाने वाली बात यह है कि इसी बस अड्डे से हर महीने सरकार को लाखों रुपये का राजस्व प्राप्त होता है और प्रतिदिन हजारों यात्री यहां से सफर करते हैं। इसके बावजूद बस अड्डे की दुर्दशा प्रशासनिक उदासीनता को उजागर करती है। इधर, गोराडीह क्षेत्र में नए बस स्टैंड के लिए प्रस्ताव भेजे जाने की चर्चा जरूर है, लेकिन फिलहाल तिलकामांझी का सरकारी बस अड्डा पूरी तरह भगवान भरोसे चल रहा है।

 

बस उपचालक शिवशंकर ने बताया कि सुविधाओं के अभाव में यात्रियों के साथ-साथ कर्मचारियों को भी भारी परेशानी होती है। यात्री तपेश कुमार का कहना है कि गंदगी और अव्यवस्था के कारण बस अड्डे पर रुकना मुश्किल हो जाता है। वहीं ई-रिक्शा चालक राजू कुमार सिंह ने कहा कि बदहाल बस अड्डा शहर की छवि को नुकसान पहुंचा रहा है। यात्रियों और कर्मचारियों को उम्मीद है कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के पुनः सत्ता में आने के बाद भागलपुर को जल्द ही एक आधुनिक और स्मार्ट बस स्टैंड की सौगात मिलेगी।

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