भागलपुर, बिहार में पछुआ हवा के चलने से ठंड में लगातार इजाफा हो रहा है। तापमान में गिरावट के साथ ही जनजीवन पर ठंड का असर साफ तौर पर दिखने लगा है। इसी बीच शहर में अतिक्रमण हटाने को लेकर प्रशासन की ओर से बुलडोजर कार्रवाई भी जारी है। ऐसे हालात में फुटपाथों और झुग्गी-झोपड़ियों में रहने वाले गरीब और बेघर लोगों की सुरक्षा को लेकर सवाल उठने लगे हैं।

 

ठंड के इस मौसम में खुले आसमान के नीचे रात गुजारने वाले लोगों की परेशानी को देखते हुए कुछ दिन पहले भागलपुर पहुंचे केंद्रीय मंत्री अश्वनी कुमार चौबे ने एक प्रेस वार्ता के दौरान प्रशासन को अहम सुझाव दिया था। उन्होंने साफ शब्दों में कहा था कि अतिक्रमण हटाने की कार्रवाई से पहले फुटपाथ पर रहने वाले लोगों के लिए रैन बसेरों में समुचित व्यवस्था की जानी चाहिए। केंद्रीय मंत्री ने कहा था कि बिना वैकल्पिक व्यवस्था किए झुग्गी-झोपड़ी हटाना मानवीय दृष्टिकोण से उचित नहीं है।

 

केंद्रीय मंत्री के इस बयान के बाद भागलपुर नगर निगम हरकत में आया और शहर में रैन बसेरों की व्यवस्था को दुरुस्त करने की दिशा में कदम उठाए गए। नगर निगम की ओर से ठंड के मौसम को ध्यान में रखते हुए जरूरतमंदों के लिए रैन बसेरों को सक्रिय किया गया है, ताकि बेघर लोग सुरक्षित स्थान पर रात गुजार सकें।

 

नगर निगम के अनुसार, बड़ी खंजरपुर इलाके में स्थित रैन बसेरा को पूरी तरह से तैयार किया गया है। यहां एक साथ 15 लोगों के ठहरने की सुविधा उपलब्ध कराई गई है। रैन बसेरा में ठंड से बचाव के लिए जरूरी सभी इंतजाम किए गए हैं। ठहरने वालों के लिए गर्म बिस्तर, कंबल और साफ-सुथरे कमरे की व्यवस्था की गई है, ताकि ठंड के कारण किसी को परेशानी न हो।

 

इसके साथ ही रैन बसेरा में 24 घंटे के लिए केयरटेकर की तैनाती भी की गई है। केयरटेकर की जिम्मेदारी होगी कि जरूरतमंद लोगों को समय पर सुविधा मिले और किसी तरह की दिक्कत होने पर तुरंत सहायता प्रदान की जा सके। नगर निगम का कहना है कि ठंड के इस मौसम में किसी भी बेघर व्यक्ति को खुले में सोने के लिए मजबूर नहीं होने दिया जाएगा।

 

वहीं, स्थानीय लोगों और सामाजिक संगठनों का कहना है कि प्रशासन की यह पहल सराहनीय है, लेकिन रैन बसेरों की संख्या और क्षमता को और बढ़ाने की जरूरत है, क्योंकि ठंड बढ़ने के साथ जरूरतमंदों की संख्या भी बढ़ सकती है।

 

फिलहाल, ठंड और अतिक्रमण हटाने की कार्रवाई के बीच रैन बसेरों की व्यवस्था को लेकर प्रशासन की सक्रियता ने राहत की उम्मीद जरूर जगाई है। आने वाले दिनों में यह देखना होगा कि नगर निगम की यह व्यवस्था जरूरतमंदों तक कितनी प्रभावी ढंग से पहुंच पाती है।

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