नवगछिया। आदर्श मध्य विद्यालय धरहरा में गुरुवार को घटी एक दर्दनाक घटना ने पूरे क्षेत्र को झकझोर कर रख दिया है। कक्षा छह की एक छात्रा को मामूली गलती की सजा के रूप में शिक्षक द्वारा 101 बार कान पकड़कर उठक-बैठक करने को कहा गया। छात्रा ने प्रार्थना की कि वह इतनी बार नहीं कर पाएगी, लेकिन शिक्षक का रवैया और कठोर होता गया। उन्होंने दंड बढ़ाकर 202 बार कान पकड़कर बैठने-उठने का आदेश दिया। मजबूर छात्रा को यह अत्यधिक दंड करना पड़ा और इसी दौरान वह अचानक बेहोश होकर जमीन पर गिर पड़ी। छात्रा के मुंह से झाग निकलने लगा और उसका पूरा शरीर अकड़ गया।

गंभीर स्थिति के बावजूद शिक्षक ने छात्रा को तुरंत अस्पताल ले जाने के बजाय करीब एक घंटा तक स्कूल की कुर्सी पर ही बैठाए रखा। लगभग एक घंटे बाद प्रभारी प्रधानाध्यापिका शशिकला देवी ने छात्रा की मां खुशी देवी को फोन कर केवल इतना बताया कि बच्ची बीमार हो गई है और उसे ले जाने को कहा। इसके बाद भी शिक्षकों ने छात्रा को अस्पताल नहीं पहुँचाया बल्कि उसकी बहन के साथ एक टोटो पर बिठाकर घर भेज दिया।

घर पहुंचने के बाद बच्ची की स्थिति और बिगड़ गई। उसकी बहन, जो उसी विद्यालय में कक्षा आठ में पढ़ती है, ने पूरी घटना परिजनों को बताई। छात्रा के हाथ-पांव अकड़े हुए थे, शरीर ठंडा पड़ चुका था और वह ठीक से बोल भी नहीं पा रही थी। तत्काल उसे अनुमंडल अस्पताल नवगछिया ले जाया गया, जहाँ चिकित्सक डॉ. मोहन कुमार यादव ने उसका इलाज किया। प्रारंभिक उपचार के बाद डॉक्टर ने स्थिति गंभीर देखते हुए छात्रा को बेहतर चिकित्सा के लिए भागलपुर अस्पताल रेफर कर दिया। डॉक्टरों के अनुसार बच्ची बोलने का प्रयास कर रही है, किंतु आवाज नहीं निकल पा रही है। वह ठीक से खड़ी भी नहीं हो पा रही है।

छात्रा की मां ने विद्यालय प्रशासन पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि रोज़ की तरह बच्ची स्वस्थ अवस्था में स्कूल गई थी। लेकिन विद्यालय से फोन कर सिर्फ “तबीयत खराब” बताकर जिम्मेदारी से पल्ला झाड़ लिया गया। उन्होंने कहा कि शिक्षक की कठोर सजा ने उसकी बेटी को इस हालत में पहुँचा दिया और इसके बाद भी शिक्षक व स्कूल प्रशासन ने इलाज में घोर लापरवाही बरती। उन्होंने बताया कि वह संबंधित शिक्षक के विरुद्ध कानूनी कार्रवाई के लिए थाना में आवेदन देंगी।

घटना के बाद ग्रामीण विद्यालय पहुँच गए और शिक्षकों से जवाब-तलब किया। वहीं प्रभारी प्रधानाध्यापिका शशिकला देवी ने अपनी सफाई में कहा कि बच्ची पहले से बीमार थी और अभिभावकों को बुलाया गया था, पर वे नहीं आए। जबकि परिजन इस दावे को पूरी तरह झूठा बता रहे हैं।
प्रधानाध्यापक उमेश सिंह, जो छुट्टी पर थे, ने कहा कि घटना की जानकारी मिलते ही उन्होंने छात्रा के समुचित इलाज की प्राथमिकता देने और मामले की जांच कर दोषी शिक्षक पर कार्रवाई की अनुशंसा करने की बात कही है।

इधर बीआरसी कार्यालय ने बताया कि विद्यालय के प्रधानाध्यापक से पूरे प्रकरण की जानकारी मांगी गई है। वहीं डीइओ से पक्ष जानने का प्रयास किया गया, लेकिन उन्होंने फोन रिसीव नहीं किया।

घटना ने विद्यालय में बच्चों की सुरक्षा, शिक्षकों के आचरण और प्रशासनिक जवाबदेही पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं।

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