सहरसा जिले के एक शिक्षक दीपक कुमार ‘दीप’ ने विभागीय सहकर्मियों और अधिकारियों पर गंभीर आरोप लगाते हुए एक अत्यावश्यक एवं अंतिम आवेदन उच्च अधिकारियों को भेजा है। आवेदन में उन्होंने दावा किया है कि बीते 17 वर्षों से उन्हें व्यवस्थित रूप से प्रताड़ित, शोषित, ब्लैकमेल और मानसिक रूप से परेशान किया जा रहा है, जिससे उनका व्यक्तिगत और पारिवारिक जीवन बुरी तरह प्रभावित हुआ है।

 

दीपक कुमार ने अपने आवेदन में स्पष्ट लिखा है कि विभागीय सहकर्मी और जुड़े कर्मचारी उनकी वेतन एवं सेवा से संबंधित महत्वपूर्ण फाइलों को जानबूझकर रोककर रखते हैं। इसके कारण उन्हें वैधानिक लाभ समय पर नहीं मिल पाता। उन्होंने आरोप लगाया कि अधिकारियों और कर्मचारियों की मिलीभगत से फाइलों का निपटारा “सौजन्य राशि” लिए बिना आगे नहीं बढ़ाया जाता। नियमों की अनदेखी कर मनमानी प्रक्रिया अपनाई जाती है, जिससे ईमानदार कर्मियों का शोषण होता है।

 

आवेदन में एक कर्मचारी पर विशेष आरोप लगाते हुए कहा गया है कि वह कुछ अधिकारियों—BDO और BEO—के सहयोग से 300 रुपये प्रतिमाह अवैध रूप से वसूलता है और स्थानीय स्तर पर दबदबा बनाए रखता है। दीपक कुमार के अनुसार, यह प्रभाव इतना व्यापक है कि विभागीय कामकाज इसी दबाव और अवैध वसूली की व्यवस्था पर निर्भर दिखाई देता है।

 

दीपक कुमार ने बताया कि उन्होंने अपने 17 वर्षों के सेवाकाल में कभी कोई अनियमितता नहीं की, लेकिन व्यक्तिगत दुश्मनी और विभागीय राजनीति के कारण उन्हें टारगेट किया गया। कई बार उनका वेतन महीनों तक रोका गया, जिस वजह से उनका पारिवारिक जीवन आर्थिक संकट में आ गया। इतना ही नहीं, उन्होंने आरोप लगाया कि व्हाट्सऐप और मैसेज के जरिये उन्हें ब्लैकमेल करने, बदनाम करने और मानसिक उत्पीड़न की कोशिश भी की गई।

 

लगातार जारी उत्पीड़न और मानसिक तनाव के चलते दीपक कुमार अब पूरी तरह टूट चुके हैं। उन्होंने अपने आवेदन में पूरे मामले की निष्पक्ष जांच, दोषियों पर सख्त कार्रवाई और भ्रष्टाचार में शामिल कर्मचारियों की पहचान कर उन्हें दंडित करने की मांग की है।

 

दीपक ने अपने आवेदन की प्रतियां मुख्यमंत्री, शिक्षा मंत्री, जिला शिक्षा पदाधिकारी, सांसद, विधायक और पुलिस अधीक्षक सहित कई उच्च अधिकारियों को भेजी हैं, ताकि उन्हें न्याय मिल सके और आगे किसी कर्मचारी को इस तरह की प्रताड़ना का सामना न करना पड़े।

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