दिल्ली की राउज एवेन्यू कोर्ट में आज लैंड फॉर जॉब स्कैम की सुनवाई के दौरान महत्वपूर्ण घटनाक्रम देखने को मिला। अदालत ने लालू प्रसाद यादव, राबड़ी देवी, तेजस्वी यादव, तेज प्रताप यादव, मीसा भारती, हेमा यादव समेत अन्य आरोपियों के खिलाफ आरोप तय करने के आदेश को फिलहाल टाल दिया है। कोर्ट ने यह फैसला इसलिए लिया क्योंकि चार्जशीट में शामिल कुछ आरोपियों की कार्रवाई के दौरान मृत्यु हो चुकी है, और उनके स्टेटस को CBI से वेरिफाई करने का निर्देश दिया गया है।
अगली सुनवाई अब 8 दिसंबर को
अदालत ने CBI को निर्देश दिया कि वह सभी आरोपियों की अद्यतन स्थिति की रिपोर्ट पेश करे। इसी आधार पर कोर्ट 8 दिसंबर को तय करेगी कि लालू परिवार और अन्य आरोपियों के खिलाफ आरोप तय करने के लिए पर्याप्त सबूत हैं या नहीं।
CBI ने इस केस में कुल 103 लोगों को आरोपी बनाया था, जिनमें से चार की मौत हो चुकी है, जबकि 78 लोगों के खिलाफ फाइनल चार्जशीट दाखिल हो चुकी है। इसी कारण कोर्ट ने सभी की स्थिति स्पष्ट किए बिना अगला कदम उठाने से मना कर दिया।
क्या है लैंड फॉर जॉब स्कैम?
लैंड फॉर जॉब स्कैम की जांच 2004-2009 के बीच की भर्ती प्रक्रियाओं से जुड़ी है। आरोप है कि यूपीए सरकार में रेलमंत्री रहे लालू प्रसाद यादव ने रेलवे में ग्रुप ‘डी’ की नौकरी देने के बदले कई लोगों से जमीन अपने परिवार के नाम पर कराई।
CBI की चार्जशीट के अनुसार, पश्चिम मध्य रेल जोन में बड़ी पैमाने पर भर्ती घोटाला हुआ। कई उम्मीदवारों ने औने-पौने दाम पर जमीनें लालू परिवार से जुड़े लोगों को ट्रांसफर कीं और बदले में उन्हें नौकरी दी गई।
किन-किन पर है आरोप?
इस मामले में आरोपी हैं:
लालू प्रसाद यादव
राबड़ी देवी
तेजस्वी यादव
तेज प्रताप यादव
मीसा भारती
हेमा यादव
रिटायर्ड रेलवे अधिकारी
100 से अधिक निजी व्यक्ति
इनमें से 78 आरोपियों के खिलाफ फाइनल चार्जशीट दाखिल हो चुकी है।
किन धाराओं में मामला दर्ज?
सीबीआई ने IPC और प्रिवेंशन ऑफ करप्शन एक्ट की कई गंभीर धाराओं में केस दर्ज किया है — जिनमें सजा 6 महीने से लेकर आजीवन कारावास तक हो सकती है।
मुख्य धाराएँ और संभावित सजा:
120B (आपराधिक साजिश) — आजीवन कारावास तक
420 (धोखाधड़ी)— 2 साल
467 (फर्जी दस्तावेज) — अधिकतम 10 साल
468 (फर्जीवाड़ा) — 7 साल
471 (जाली दस्तावेज का इस्तेमाल)— 2 साल
PC एक्ट धारा 8, 9, 11, 12, 13(1)(d) — 5 से 7 साल तक की सजा
पटना हाईकोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता शैलेंद्र झा के अनुसार, ये सभी धाराएँ गंभीर आर्थिक अपराध की श्रेणी में आती हैं।
तेजस्वी यादव के लिए राहत या नई आफत?
राजनीतिक विश्लेषक डॉ. संजय कुमार का कहना है कि यह केस लंबे समय से लालू परिवार के राजनीतिक सफर पर छाया हुआ है। हालांकि अभी कोर्ट ने केवल अगली तारीख दी है, लेकिन अगर:
तेजस्वी यादव दोषी पाए जाते हैं,
और अगर 2 साल से अधिक की सजा होती है,
तो उनकी विधानसभा सदस्यता रद्द हो सकती है और उनके राजनीतिक करियर पर बड़ा असर पड़ेगा।
गौरतलब है कि तेजस्वी यादव वर्षों से इस केस में आरोपों का सामना कर रहे हैं। हालांकि IRCTC होटल घोटाले वाले मामले में वह आरोपी नहीं हैं, लेकिन लैंड फॉर जॉब केस उनके लिए राजनीतिक चुनौती बना हुआ है।
केस का अब तक का सफर — टाइमलाइन
2013: पहली बार केस की जांच शुरू
2022: CBI ने तेजस्वी यादव, राबड़ी देवी से पूछताछ
2024 (जनवरी): ED ने लालू और तेजस्वी से 10 घंटे पूछताछ
7 अक्टूबर 2024: कोर्ट ने सभी 9 आरोपियों को जमानत दी
2025: CBI ने 103 आरोपियों के नाम चार्जशीट में दर्ज किए
अब 8 दिसंबर 2025 को अगली सुनवाई
यह मामला लगातार बिहार की राजनीति का सबसे बड़ा मुद्दा बना हुआ है।
निष्कर्ष: कोर्ट का फैसला राजनीतिक हालात तय करेगा
राउज एवेन्यू कोर्ट द्वारा आरोप तय करने का आदेश टाले जाने से लालू परिवार को अस्थायी राहत जरूर मिली है, लेकिन केस अभी भी चल रहा है। 8 दिसंबर की सुनवाई यह तय करेगी कि आगे इस केस की दिशा क्या होगी।
बिहार की राजनीति, आरजेडी की छवि और आगामी चुनावी समीकरणों पर इसका बड़ा असर पड़ना तय है।
