शादी के दूसरे ही दिन, जब अधिकांश नवविवाहिता अपनी नई जिंदगी की शुरुआत में व्यस्त होती हैं, मुंगेर में एक नई–नवेली दुल्हन ने सभी के लिए प्रेरणा का उदाहरण पेश किया। बांका जिला के राजगृह बुद्ध कॉलनी निवासी मनोज कुमार शर्मा की पुत्री संजना शर्मा, जो एलएलबी चौथे सेमेस्टर की छात्रा हैं, शादी के तुरंत बाद अपने ससुराल जाने के बजाय परीक्षा देने मुंगेर के आर.डी. एंड डीजे कॉलेज पहुंच गईं।
संजना की शादी पटना खुसरूपुर निवासी जगन्नाथ शर्मा के पुत्र सत्य प्रकाश शर्मा से सोमवार को धूमधाम और रीति-रिवाज के साथ संपन्न हुई थी। मंगलवार की सुबह, विदाई के बाद संजना ने शादी की तैयारियों और जश्न के बीच सीधे परीक्षा हॉल का रुख किया। उन्होंने एलएलबी चौथे सेमेस्टर की परीक्षा दी, जो सुबह 10 बजे से दोपहर 1 बजे तक चली। परीक्षा पूरी करने के बाद संजना अपने पति के साथ पटना स्थित ससुराल चली गईं, जहां आज उनका रिसेप्शन भी आयोजित है।
संजना की इस पहल को उनके परिवार और ससुराल पक्ष ने पूरी तरह से सहयोग किया। उनके पिता मनोज कुमार शर्मा ने बताया कि वे बेहद खुश हैं कि संजना को एक ऐसा परिवार मिला है, जिसने उसकी प्राथमिकताओं और आकांक्षाओं का सम्मान किया। उन्होंने कहा, “हमारी बेटी की इच्छा को पहले समझा गया और उसी अनुसार उसे परीक्षा देने का मौका दिया गया। हम अपने ससुराल पक्ष के आभारी हैं कि उन्होंने संजना की महत्वाकांक्षा को पूरा किया।”
आर.डी. एंड डीजे कॉलेज के प्रधानाचार्य प्रोफेसर बिजेंद्र कुमार ने संजना के इस कदम को महिला सशक्तिकरण का उदाहरण बताया। उन्होंने कहा कि संजना ने दिखा दिया कि महिलाएं सिर्फ गृहिणी नहीं होतीं, बल्कि वे अपने कैरियर और शिक्षा के उत्थान में भी बराबर आगे बढ़ सकती हैं। उन्होंने यह भी कहा कि समाज को इस तरह की घटनाओं से प्रेरणा लेनी चाहिए और महिलाओं के उज्जवल भविष्य के लिए उन्हें समर्थन देना चाहिए।
संजना शर्मा ने पहले एमए इंग्लिश ऑनर्स की पढ़ाई पूरी की है और वर्तमान में एलएलबी की छात्रा हैं। उनके पति सत्य प्रकाश शर्मा एक सॉफ्टवेयर इंजीनियर हैं। शादी की तैयारियां भी बहुत भव्य ढंग से की गई थीं, जिसमें 30 नवंबर को हल्दी की रस्म, 1 दिसंबर को मंडप पूजन और उसी दिन शुभ विवाह संपन्न हुआ।
संजना का यह कदम न केवल उसके परिवार और शिक्षकों के लिए गर्व का विषय बना, बल्कि समाज में महिलाओं को अपने शैक्षिक और पेशेवर लक्ष्यों को पूरा करने के लिए प्रेरित करने वाला उदाहरण भी बन गया। उनकी इस प्रतिबद्धता और संकल्प ने यह संदेश दिया कि शादी और पारिवारिक जिम्मेदारियां किसी भी महिला के शिक्षा और करियर की महत्वाकांक्षा में बाधा नहीं बन सकती।
संजना के इस साहसिक कदम ने यह साबित कर दिया कि महिला सशक्तिकरण सिर्फ शब्दों तक सीमित नहीं है, बल्कि अपने फैसले लेने और उन्हें पूरा करने की क्षमता में भी दिखाई देता है।
* **मनोज कुमार शर्मा, पिता:** “ससुराल ने हमारी बेटी की इच्छा को समझा और उसे परीक्षा देने का अवसर दिया। हम बेहद खुश हैं।”
* **प्रो. बिजेंद्र कुमार, प्रधानाचार्य:** “संजना ने दिखा दिया कि महिलाएं सिर्फ गृहिणी नहीं होतीं, बल्कि वे अपने कैरियर और शिक्षा में आगे बढ़ सकती हैं।”
