भागलपुर के नाथनगर स्थित केबी लाल रोड पर नगर निगम की लापरवाही से स्थानीय लोगों का जनजीवन प्रभावित हो गया है। तीन दिन पहले नगर निगम की ओर से नाला उड़ाही का कार्य कराया गया था, लेकिन उड़ाही के बाद निकाले गए पूरे मलबे को सड़क पर ही छोड़ दिया गया। इस लापरवाही के कारण सड़क का आधा हिस्सा ढंक गया है, जिससे यह संकरी हो गई है और प्रतिदिन जाम की स्थिति बन रही है।

 

स्थानीय लोगों का कहना है कि नाला उड़ाही के नाम पर सिर्फ औपचारिकता पूरी की गई है। मलबा उठवाने की जिम्मेदारी किसी ने नहीं ली। परिणामस्वरूप सड़क पर चलना मुश्किल हो गया है। खासकर स्कूल के समय सुबह और शाम में रास्ते पर भारी भीड़ और जाम की स्थिति देखने को मिलती है। स्कूली बच्चे और उनके अभिभावक रोजाना मलबे और कीचड़ के बीच से गुजरने को मजबूर हैं। कई अभिभावकों का कहना है कि रोजाना बच्चों का समय सड़क की अव्यवस्था में ही खराब हो जाता है और दुर्घटना की आशंका भी बनी रहती है।

 

शाम के समय स्थिति और भी ज्यादा भयावह हो जाती है। मलबा सड़क पर फैला होने के कारण पैदल चलना भी कठिन हो जाता है। धूल और गंदगी से राहगीरों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। स्थानीय दुकानदार भी इससे प्रभावित हो रहे हैं। उनका कहना है कि दुकान तक पहुंचना मुश्किल हो गया है, जिससे ग्राहकों की संख्या में कमी आई है। कई लोगों को तो इसे पार करने में वाहन रोककर काफी देर इंतजार करना पड़ता है, जो जाम को और बढ़ा देता है।

 

स्थानीय लोगों ने नगर निगम की महापौर डॉ. वसुंधरा लाल पर नाराजगी जताई है। उनका आरोप है कि महापौर इस समस्या पर कोई ध्यान नहीं दे रही हैं। लोगों का कहना है कि वह केवल कार्यालय में बैठकर औपचारिक कार्य करती हैं, लेकिन जमीनी स्तर पर समस्याओं का निरीक्षण करने नहीं निकलतीं। स्थानीय नागरिकों का कहना है कि यदि मौके पर आकर स्थिति को देखा जाए तो समस्या की गंभीरता का अंदाजा तुरंत लग जाएगा, लेकिन जिम्मेदार अधिकारियों की उदासीनता से हालात जस के तस बने हुए हैं।

 

नागरिकों ने तीखी प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि भागलपुर सिर्फ नाम का स्मार्ट सिटी है। यहां की मूलभूत समस्याएं ही इस बात का सबूत हैं कि शहर की व्यवस्था किस हाल में है। सड़कें टूटी हों या नालों की सफाई—हर जगह अव्यवस्था नजर आती है। लोगों ने नगर निगम से मांग की है कि जल्द से जल्द सड़क पर पड़े मलबे को हटाया जाए और नियमित सफाई सुनिश्चित की जाए, ताकि यातायात सुचारू रूप से चल सके और राहगीरों को राहत मिले।

 

स्थानीय लोगों का कहना है कि अगर समस्या का समाधान जल्द नहीं किया गया तो वे आंदोलन करने को मजबूर होंगे। फिलहाल लोग उम्मीद लगाए बैठे हैं कि नगर निगम इस बार उनकी आवाज सुनेगा और राहत के लिए कदम उठाएगा।

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