बिहार विधानसभा चुनाव 2025 के नतीजों से पहले ही राजनीतिक माहौल गरमाता जा रहा है। मतगणना से पूर्व ही विपक्ष ने चुनाव आयोग की निष्पक्षता पर सवाल उठाना शुरू कर दिया है। इसी क्रम में राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) के विधान पार्षद सुनील कुमार सिंह का बयान सियासी बवंडर खड़ा कर रहा है।
सुनील सिंह ने चुनाव आयोग और रिटर्निंग अफसरों को खुली चेतावनी देते हुए कहा है कि अगर 2020 जैसी गड़बड़ी इस बार भी की गई तो “रिटर्निंग ऑफिसर सुरक्षित बाहर नहीं निकल पाएंगे।” इस बयान के बाद बिहार की राजनीति में भूचाल आ गया है और प्रशासन ने मामले को गंभीरता से लेते हुए पटना साइबर थाने में उनके खिलाफ केस दर्ज कर लिया है।
“2020 जैसा कुकृत्य नहीं दोहराएं”—सुनील सिंह की चेतावनी
आरजेडी एमएलसी सुनील कुमार सिंह ने कहा,
“2020 में चुनाव आयोग और प्रशासन ने मिलकर कुकृत्य किया था। चार-चार घंटे तक किसी को नतीजों की जानकारी नहीं दी गई। अगर इस बार फिर वैसा हुआ, तो या तो हमारे उम्मीदवार बाहर आएंगे या रिटर्निंग ऑफिसर बाहर आएगा। बिहार की जनता अब चुप नहीं बैठेगी।”
उन्होंने आगे कहा कि “अगर मतगणना के दौरान कोई गड़बड़ी हुई, तो बिहार में भी नेपाल जैसा दृश्य देखने को मिल सकता है।”
सुनील सिंह ने आरोप लगाया कि चुनाव आयोग की साख पर बट्टा लग चुका है और जिस तरह से रिटर्निंग अफसरों की तैनाती की गई है, उससे जनता में संदेह बढ़ गया है।
चुनाव आयोग पर सवाल और सियासी बवाल
सुनील सिंह के इस बयान ने बिहार की सियासत में खलबली मचा दी है। विपक्ष जहां चुनाव आयोग की भूमिका पर सवाल उठा रहा है, वहीं सत्तापक्ष इसे “राजद की बौखलाहट” बता रहा है।
चुनाव नतीजों से पहले ही आयोग पर हमले को लेकर राजनीतिक गलियारों में चर्चा है कि राजद संभावित हार को भांपकर माहौल तैयार कर रही है।
पुलिस ने दर्ज किया मामला
बयान के तुरंत बाद प्रशासन हरकत में आया। पटना साइबर थाना ने स्वतः संज्ञान लेते हुए सुनील सिंह के खिलाफ मामला दर्ज किया है।
बिहार पुलिस महानिदेशक (DGP) विनय कुमार ने कहा,
“राजद एमएलसी का बयान बेहद गैर-जिम्मेदाराना और भड़काऊ है। यह समाज में वैमनस्य और अशांति फैलाने की कोशिश है। कानून व्यवस्था के मद्देनजर उनके खिलाफ केस दर्ज किया गया है।”
तेजस्वी यादव ने भी जताई थी शंका
गौरतलब है कि इससे पहले नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव भी चुनाव आयोग की भूमिका पर सवाल उठा चुके हैं। बुधवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस में उन्होंने कहा था कि “काउंटिंग को जानबूझकर स्लो किया जा सकता है।” तेजस्वी ने दावा किया कि “जहां गड़बड़ी होगी, वहां कोई कार्रवाई नहीं की जाएगी, बल्कि पूरे बिहार में सैन्य फ्लैग मार्च करवाया जाएगा।”
राजनीतिक तापमान बढ़ा
चुनाव नतीजों से पहले आरजेडी नेताओं के इन बयानों ने बिहार की राजनीति को और अधिक उबाल पर ला दिया है। जहां आरजेडी मतगणना प्रक्रिया पर पारदर्शिता की मांग कर रही है, वहीं सत्ताधारी दल इन बयानों को “भय और निराशा की राजनीति” बता रहे हैं।
अब सभी की निगाहें 14 नवंबर की मतगणना पर टिकी हैं, जब तय होगा कि जनता ने किस पर भरोसा जताया — लेकिन उससे पहले ही बिहार का राजनीतिक पारा चरम पर है।
