बिहार का मोकामा विधानसभा क्षेत्र, जो कभी देश भर में ‘दाल का कटोरा’ के नाम से विख्यात था, आज अपराध, राजनीतिक प्रतिद्वंद्विता, जातीय तनाव और पर्यावरणीय संकटों की चपेट में है। 30 अक्टूबर 2025 को जन सुराज समर्थक और पूर्व राजद नेता **दुलारचंद यादव (76)** की मौत ने इस क्षेत्र को एक बार फिर हिंसा की आग में झोंक दिया।
यह सिर्फ एक हत्या नहीं, बल्कि मोकामा की 30 साल पुरानी बाहुबली बनाम बाहुबली की कहानी का नया अध्याय है।
दुलारचंद की मौत से सियासत में भूचाल
दुलारचंद यादव की मौत को हत्या बताया जा रहा है और इसका सीधा आरोप **जेडीयू प्रत्याशी अनंत सिंह** और उनके करीबियों पर लगाया गया है।
हत्या के बाद राजनीतिक समीकरण तेजी से बदलने लगे—
• आरजेडी ने इसे सत्ता द्वारा संरक्षित हिंसा बताया
• जन सुराज पार्टी ने हत्या को राजनीतिक साजिश कहा
• सत्ताधारी पक्ष ने आरोपों को मनगढ़ंत बताया
यह घटना तब हुई जब मोकामा में 6 नवंबर को मतदान होना है और पूरे क्षेत्र में शत्रुता, अविश्वास और तनाव चरम पर है।
मोकामा का बदलता चेहरा: खेती से बंदूक तक का सफर
लगभग **एक लाख हेक्टेयर** के टाल क्षेत्र में कभी देश की सर्वश्रेष्ठ मसूर, चना, अरहर और अन्य दालें पैदा होती थीं। किसानों की समृद्धि पूरे बिहार के लिए मिसाल थी।
परंतु आधुनिक हथियारों, जातीय वर्चस्व, राजनीतिक गठजोड़ों और पंचायत स्तर के झगड़ों ने धीरे-धीरे इस क्षेत्र की सामाजिक संरचना को तोड़ दिया।
गंगा की गाद भराव, फरक्का बैराज का प्रभाव, बदली जलधारण क्षमता और जलवायु परिवर्तन ने बाढ़ और सूखे को स्थायी समस्या बना दिया।
आज टाल क्षेत्र खेती की जगह **आपदा का चक्रव्यूह** बन चुका है।
1990 का दशक: जब मोकामा में अपराध का साम्राज्य स्थापित हुआ
1990 के दशक में बिहार लालू प्रसाद यादव के शासन के कारण अक्सर ‘जंगलराज’ के नाम से चर्चा में रहता था।
मोकामा भी इस दौर में हथियारों और गैंगवार का गढ़ बन गया।
इस अपराधीकरण की जड़ में सामने आते हैं—
दिलीप सिंह
अनंत सिंह के बड़े भाई, 90 के दशक में आरजेडी के प्रभावशाली विधायक।
• आधुनिक हथियारों का प्रवेश
• गैंगवारों का दौर
• निर्दोषों की मौतें
• भूमिहार समुदाय में वर्चस्व की लड़ाई
दिलीप सिंह का वर्चस्व लगभग एक दशक तक रहा।
2000: सूरजभान सिंह का उदय – बाहुबली के खिलाफ बाहुबली
2000 का विधानसभा चुनाव मोकामा के इतिहास को बदल गया।
जेल में बंद **सूरजभान सिंह**, अपने सहयोगी ललन सिंह के माध्यम से राजनीति में उतरे।
उन्होंने जनता से हिंसा समाप्त करने का वादा किया और दिलीप सिंह के खिलाफ मोर्चा खोला।
निर्दलीय लड़ते हुए सूरजभान ने दिलीप सिंह को **70,000 मतों** के अभूतपूर्व अंतर से हराया।
यह मोकामा की सत्ता, जाति और अपराध की राजनीति में सबसे बड़ा सत्ता परिवर्तन था।
2005–2024: ‘छोटे सरकार’ अनंत सिंह का युग
दिलीप सिंह की मृत्यु के बाद उनके छोटे भाई **अनंत सिंह** ने मोर्चा संभाला। मात्र 9 साल की उम्र में पहली बार अपराध का आरोप झेलने वाले अनंत धीरे-धीरे राजनीति के केंद्र बने।
2005
• जेडीयू उम्मीदवार बनकर लड़े
• ललन सिंह को मामूली 2800 मतों से हराया
• ‘छोटे सरकार’ की पहचान मिली
2019
उनकी पत्नी नीलम देवी ने कांग्रेस से चुनाव लड़ा।
इसी वर्ष अनंत सिंह के घर पुलिस छापेमारी में—
• AK-47
• ग्रेनेड
• कारतूस
बरामद हुए।
उन पर UAPA लगा और उन्हें कोर्ट में आत्मसमर्पण करना पड़ा।
2020
जेल से ही आरजेडी टिकट पर 36 हजार वोटों से जीते।
2022
नीलम देवी ने उपचुनाव में बीजेपी की सोनम देवी को 16 हजार मतों से हराया।
2024
नीतीश कुमार के NDA में आने के बाद अनंत का भी NDA में वापसी।
UAPA से बरी हुए।
उनके खिलाफ 48 आपराधिक मामले दर्ज हैं—
• हत्या
• अपहरण
• रंगदारी
• हथियार अधिनियम
उनकी संपत्ति लगभग 37 करोड़ आंकी गई है।
टाल क्षेत्र की त्रासदी — गरीबी, बाढ़ और पलायन का चक्र
मोकामा टाल क्षेत्र वर्षों से प्राकृतिक संकट झेल रहा है।
2025, अगस्त
तीन दिनों की भारी वर्षा से घोसवरी के गोरियारी गांव में—
• 100+ घर जलमग्न
• 5 फीट पानी
• फसलें नष्ट
• सड़कें टूट गईं
सूखे की मार
एसटीपी संयंत्र से जलभराव के कारण—
• 3,000 बीघा भूमि बंजर
• किसानों का कर्ज बढ़ा
• रिफाइनरी छोड़ सभी उद्योग ठप
युवाओं का बड़े पैमाने पर पलायन जारी है।
2025 चुनाव: अनंत सिंह बनाम सूरजभान परिवार — 25 वर्ष बाद टकराव
इस बार मोकामा में
• जेडीयू से अनंत सिंह
• आरजेडी से सूरजभान की पत्नी वीणा देवी
सीधे आमने-सामने हैं।
यह 25 साल पहले शुरू हुई दुश्मनी का पुनरुत्थान है।
परंतु 30 अक्टूबर को घोसवरी के तारतार गांव में दुलारचंद यादव की हत्या ने पूरे परिदृश्य को बदल दिया।
हत्या कैसे हुई?—पोते ने लगाए संगीन आरोप
दुलारचंद के पोते रवि रंजन ने कहा कि—
• प्रचार के दौरान अनंत सिंह और उनके भतीजे रणवीर-कर्मवीर पहुंचे
• पहले गोली चलाई गई
• फिर गाड़ी चढ़ाकर हत्या की गई
**पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट** में सामने आया:
• गोली नहीं लगी
• मौत ‘आंतरिक चोटों’ से हुई है
यह रिपोर्ट दोनों पक्षों को और उग्र बना रही है।
कानूनी कार्रवाई और राजनीतिक प्रतिक्रियाएँ
चुनाव आयोग ने डीजीपी से रिपोर्ट तलब की है।
अब तक **चार FIR** दर्ज हुई हैं—
• एक अनंत सिंह पर
• एक जन सुराज समर्थकों पर
• दो आपसी झड़पों पर
अनंत सिंह ने कहा—
“यह सूरजभान की साजिश है।”
सूरजभान ने पलटकर कहा—
“अनंत अपनी हार देखकर बौखलाए हैं।”
तेजस्वी यादव ने टिप्पणी की—
“यह महाजंगलराज की शुरुआत है।”
शवयात्रा में भी फायरिंग और पथराव हुआ।
अपराध और राजनीति का संगम — क्या कभी खत्म होगा बाहुबली युग?
मोकामा में दर्ज मामलों की संख्या स्वयं बहुत कुछ कहती है—
• अनंत सिंह: 48 केस
• सूरजभान सिंह: 26 केस
• दर्जनों सहयोगी: हत्या, लूट, अपहरण
स्थानीय लोगों की जुबानी—
“यहां चुनाव मतपत्र से नहीं, बंदूक से तय होता है।”
अंतिम प्रश्न — क्या मोकामा बदलेगा?
मोकामा की कहानी एक ऐसा चेहरा उजागर करती है जो बिहार की दुख, संघर्ष और राजनीतिक हिंसा की वास्तविक तस्वीर है।
• प्राकृतिक आपदाओं से तबाह अर्थव्यवस्था
• अपराध के साये में पला जनजीवन
• बाहुबलियों के बीच वर्चस्व की जंग
• बेरोजगारी से जुझते युवा
2025 का चुनाव क्या इस चक्र को तोड़ेगा?
या एक बार फिर खून, बंदूक, डर और बदला इस इलाके के भविष्य का फैसला लिखेंगे?
पूरे बिहार की निगाहें आज मोकामा पर टिकी हैं—
क्योंकि मोकामा का फैसला बिहार का भविष्य तय कर सकता है।
नीलम देवी ने उपचुनाव में बीजेपी की सोनम देवी को 16 हजार मतों से हराया।
2024
नीतीश कुमार के NDA में आने के बाद अनंत का भी NDA में वापसी।
UAPA से बरी हुए।
उनके खिलाफ 48 आपराधिक मामले दर्ज हैं—
• हत्या
• अपहरण
• रंगदारी
• हथियार अधिनियम
उनकी संपत्ति लगभग 37 करोड़ आंकी गई है।
टाल क्षेत्र की त्रासदी — गरीबी, बाढ़ और पलायन का चक्र
मोकामा टाल क्षेत्र वर्षों से प्राकृतिक संकट झेल रहा है।
2025, अगस्त
तीन दिनों की भारी वर्षा से घोसवरी के गोरियारी गांव में—
• 100+ घर जलमग्न
• 5 फीट पानी
• फसलें नष्ट
• सड़कें टूट गईं
सूखे की मार
एसटीपी संयंत्र से जलभराव के कारण—
• 3,000 बीघा भूमि बंजर
• किसानों का कर्ज बढ़ा
• रिफाइनरी छोड़ सभी उद्योग ठप
युवाओं का बड़े पैमाने पर पलायन जारी है।
2025 चुनाव: अनंत सिंह बनाम सूरजभान परिवार — 25 वर्ष बाद टकराव
इस बार मोकामा में
• जेडीयू से अनंत सिंह
• आरजेडी से सूरजभान की पत्नी वीणा देवी
सीधे आमने-सामने हैं।
यह 25 साल पहले शुरू हुई दुश्मनी का पुनरुत्थान है।
परंतु 30 अक्टूबर को घोसवरी के तारतार गांव में दुलारचंद यादव की हत्या ने पूरे परिदृश्य को बदल दिया।
हत्या कैसे हुई?—पोते ने लगाए संगीन आरोप
दुलारचंद के पोते रवि रंजन ने कहा कि—
• प्रचार के दौरान अनंत सिंह और उनके भतीजे रणवीर-कर्मवीर पहुंचे
• पहले गोली चलाई गई
• फिर गाड़ी चढ़ाकर हत्या की गई
**पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट** में सामने आया:
• गोली नहीं लगी
• मौत ‘आंतरिक चोटों’ से हुई है
यह रिपोर्ट दोनों पक्षों को और उग्र बना रही है।
कानूनी कार्रवाई और राजनीतिक प्रतिक्रियाएँ
चुनाव आयोग ने डीजीपी से रिपोर्ट तलब की है।
अब तक **चार FIR** दर्ज हुई हैं—
• एक अनंत सिंह पर
• एक जन सुराज समर्थकों पर
• दो आपसी झड़पों पर
अनंत सिंह ने कहा—
“यह सूरजभान की साजिश है।”
सूरजभान ने पलटकर कहा—
“अनंत अपनी हार देखकर बौखलाए हैं।”
तेजस्वी यादव ने टिप्पणी की—
“यह महाजंगलराज की शुरुआत है।”
शवयात्रा में भी फायरिंग और पथराव हुआ।
अपराध और राजनीति का संगम — क्या कभी खत्म होगा बाहुबली युग?
मोकामा में दर्ज मामलों की संख्या स्वयं बहुत कुछ कहती है—
• अनंत सिंह: 48 केस
• सूरजभान सिंह: 26 केस
• दर्जनों सहयोगी: हत्या, लूट, अपहरण
स्थानीय लोगों की जुबानी—
“यहां चुनाव मतपत्र से नहीं, बंदूक से तय होता है।”
अंतिम प्रश्न — क्या मोकामा बदलेगा?
मोकामा की कहानी एक ऐसा चेहरा उजागर करती है जो बिहार की दुख, संघर्ष और राजनीतिक हिंसा की वास्तविक तस्वीर है।
• प्राकृतिक आपदाओं से तबाह अर्थव्यवस्था
• अपराध के साये में पला जनजीवन
• बाहुबलियों के बीच वर्चस्व की जंग
• बेरोजगारी से जुझते युवा
2025 का चुनाव क्या इस चक्र को तोड़ेगा?
या एक बार फिर खून, बंदूक, डर और बदला इस इलाके के भविष्य का फैसला लिखेंगे?
पूरे बिहार की निगाहें आज मोकामा पर टिकी हैं—
क्योंकि मोकामा का फैसला बिहार का भविष्य तय कर सकता है।
