गोपालपुर विधानसभा सीट को जदयू के खाते में दिए जाने के बाद राजनीतिक हलचल तेज हो गई है। इस फैसले से नाराज़ पूर्व सांसद अनिल यादव ने सोशल मीडिया पर एक भावनात्मक और तीखी प्रतिक्रिया दी है। अपने फेसबुक पोस्ट में उन्होंने पार्टी नेतृत्व पर भरोसा तोड़ने और कार्यकर्ताओं की मेहनत की अनदेखी करने का आरोप लगाया है।

अनिल यादव ने लिखा – “गोपालपुर विस के कार्यकर्ताओं ने कभी झंडा नहीं ढोया, बल्कि अपने खून-पसीने से संगठन को सींचा है। जिस बेटे ने अपनी जवानी पार्टी को सौंप दी, जिस बूढ़े कार्यकर्ता ने अपनी लाठी छोड़ पार्टी का झंडा थामा, जिन महिलाओं ने चूल्हा छोड़ बैठकों में भाग लिया — आज उनके भरोसे का गला घोंट दिया गया।”

उन्होंने आगे लिखा कि दर्द इस बात का नहीं कि टिकट किसी और को दिया गया, बल्कि इस बात का है कि हमारे ही नेताओं ने निष्ठावान कार्यकर्ताओं के साथ धोखा किया। उन्होंने कहा, “हमारे सम्मान का इनकाउंटर झूठी रिपोर्ट देकर कराया गया। गोपालपुर की जनता ने कभी भाजपा को नहीं ठुकराया, बल्कि उसे बार-बार उन लोगों ने कुचला, जिन्हें हमारी जीत से अपनी कुर्सी खतरे में लगती थी।”

पूर्व सांसद ने पार्टी नेतृत्व पर कटाक्ष करते हुए कहा कि उन्होंने कभी किसी पद की मांग नहीं की, बस यह चाहा कि वर्षों की वफादारी का अपमान न किया जाए। उन्होंने अपने पोस्ट में भावनात्मक अंदाज में लिखा — “विश्वास रखिये, गोपालपुर की मिट्टी चुप रहती है, हारती नहीं। नवगछिया का कार्यकर्ता बदला नहीं लेता, इतिहास लिखता है।”

अनिल यादव के इस बयान ने क्षेत्रीय राजनीति में नई हलचल पैदा कर दी है। कार्यकर्ताओं के बीच यह चर्चा का विषय बन गया है कि भाजपा-जदयू के बीच सीट बंटवारे में गोपालपुर सीट जदयू को जाने से स्थानीय नेताओं में असंतोष गहराता जा रहा है। अनिल यादव के बयान ने यह संकेत भी दे दिया है कि गोपालपुर की राजनीति आने वाले दिनों में और भी दिलचस्प मोड़ ले सकती है।

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