भागलपुर में भाजपा के वरिष्ठ दलित नेता **मनीष दास** ने विधानसभा चुनाव 2025 में **निर्दलीय उम्मीदवार** के रूप में मैदान में उतरने का ऐलान कर राजनीतिक हलचल तेज कर दी है। उन्होंने भारतीय जनता पार्टी के शीर्ष नेतृत्व पर **रविदास समाज की उपेक्षा** का आरोप लगाते हुए कहा कि पार्टी ने वर्षों से समर्पित कार्यकर्ताओं को दरकिनार कर सिर्फ जातिगत समीकरण के आधार पर टिकट बांटने का काम किया है।

 

मनीष दास ने कहा कि उन्होंने अपने राजनीतिक जीवन की शुरुआत **अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (ABVP)** से की थी और 2009 से अब तक भाजपा में विभिन्न जिम्मेदारियों का निर्वहन किया। उन्होंने बताया कि पार्टी के लिए दिन-रात काम करने, जनता के बीच रहकर संगठन को मजबूत करने और हर चुनाव में योगदान देने के बावजूद उन्हें लगातार अनदेखा किया गया।

 

उन्होंने कहा कि 2020 के विधानसभा चुनाव में भी उन्हें टिकट नहीं मिला था, लेकिन इस बार उन्हें पूरा विश्वास था कि **पीरपैंती विधानसभा क्षेत्र**, जो अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित है, वहां से उन्हें मौका दिया जाएगा। मनीष दास ने कहा कि रविदास समाज के करीब **40 हजार मतदाता** इस क्षेत्र में हैं, जबकि **पासवान समाज के वोटर लगभग 7 से 8 हजार** हैं। इसके बावजूद पार्टी ने लगातार चौथी बार पासवान समाज को ही प्रत्याशी बनाकर रविदास समाज की अनदेखी की है।

 

उन्होंने बताया कि उन्होंने राज्य के वरिष्ठ नेताओं से कई बार मुलाकात कर अपनी बात रखी, अपना **बायोडाटा और समाज की स्थिति से जुड़ी रिपोर्ट** भी सौंपी, परंतु किसी ने उनकी बात नहीं सुनी। मनीष दास ने कहा, *“मैंने पार्टी में 15 साल से अधिक समय तक बिना किसी स्वार्थ के काम किया। देशभक्ति और संगठन के सिद्धांतों पर विश्वास रखा, लेकिन अब लगने लगा है कि भाजपा में रविदास समाज को कभी नेतृत्व का अवसर नहीं मिलेगा।”*

 

उन्होंने आगे कहा कि रविदास समाज वर्षों से भाजपा को समर्थन देता आया है, फिर भी पार्टी उनकी भावनाओं की कद्र नहीं कर रही। जिले में एकमात्र सुरक्षित सीट होने के बावजूद पार्टी स्थानीय कार्यकर्ताओं और वास्तविक जनाधार वाले नेताओं को नजरअंदाज कर बाहरी चेहरे को आगे बढ़ा रही है।

 

मनीष दास ने यह भी कहा कि भाजपा के भीतर ऐसे कई समर्पित कार्यकर्ता हैं जिन्हें टिकट न देकर हतोत्साहित किया गया है। उन्होंने साफ शब्दों में कहा, *“मैं पार्टी छोड़ नहीं रहा हूं, बल्कि अपने समाज की आवाज बुलंद करने और उसकी इज्जत बचाने के लिए निर्दलीय चुनाव लड़ने जा रहा हूं।”*

 

उन्होंने दावा किया कि भागलपुर और पीरपैंती क्षेत्र की जनता अब बदलाव चाहती है और इस बार वह किसी के बहकावे में नहीं आएगी। जनता उनके साथ खड़ी है और वे अपने समाज के सम्मान की लड़ाई पूरी मजबूती से लड़ेंगे।

 

उनके इस ऐलान के बाद भागलपुर की सियासत में नई हलचल मच गई है। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि मनीष दास का यह कदम भाजपा के लिए चुनावी समीकरणों को प्रभावित कर सकता है, खासकर दलित और रविदास समाज के बीच।

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