बिहार की राजनीति में एक बार फिर बड़े फेरबदल के संकेत मिल रहे हैं। जहानाबाद के पूर्व सांसद अरुण कुमार की जेडीयू में वापसी तय हो गई है। सूत्रों के मुताबिक, वे 11 अक्टूबर को पटना में आयोजित एक विशेष कार्यक्रम में अपने सैकड़ों समर्थकों के साथ जनता दल (यूनाइटेड) की सदस्यता ग्रहण करेंगे। इस मौके पर पार्टी के वरिष्ठ नेता और राष्ट्रीय अध्यक्ष ललन सिंह सहित कई अन्य दिग्गज मौजूद रहेंगे।

दरअसल, अरुण कुमार की जेडीयू में एंट्री पहले सितंबर में तय थी। उस समय पार्टी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष वशिष्ठ नारायण सिंह और प्रदेश अध्यक्ष उमेश कुशवाहा उन्हें शामिल कराने वाले थे, लेकिन उसी दिन बीजेपी द्वारा बिहार बंद के ऐलान के चलते कार्यक्रम स्थगित कर दिया गया था। अब करीब एक महीने बाद यह एंट्री फिर से तय हुई है, जिससे बिहार की सियासत में नई हलचल मच गई है।

जानकारी के अनुसार, अरुण कुमार अपने बेटे को आगामी विधानसभा चुनाव में मैदान में उतारने की योजना बना रहे हैं। यह कदम जहानाबाद के ही एक अन्य पूर्व सांसद जगदीश शर्मा के बेटे राहुल शर्मा के आरजेडी में शामिल होने के जवाब में माना जा रहा है। राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि जेडीयू ने इस कदम से मगध क्षेत्र में अपनी पकड़ मजबूत करने की रणनीति बनाई है।

अरुण कुमार दो बार संसद की शोभा बढ़ा चुके हैं — पहली बार 1999 में जेडीयू के टिकट पर और दूसरी बार 2014 में रालोसपा के टिकट पर। हालांकि, पिछले लोकसभा चुनाव में उन्हें हार का सामना करना पड़ा था। भूमिहार समाज से आने वाले अरुण कुमार की मगध क्षेत्र में मजबूत पकड़ है, जो एनडीए के लिए रणनीतिक रूप से अहम मानी जा रही है।

नीतीश कुमार और अरुण कुमार के बीच रिश्ते कई बार उतार-चढ़ाव भरे रहे हैं। कभी दोनों के बीच नजदीकियां थीं, तो कभी तीखी बयानबाज़ी ने दूरियाँ बढ़ाईं। अरुण कुमार का नाम उनके विवादास्पद बयानों के कारण भी कई बार चर्चा में रहा है। एक समय उन्होंने नीतीश कुमार पर टिप्पणी करते हुए “छाती तोड़ने” जैसी बात कही थी, जो काफी सुर्खियों में रही थी।

राजनीतिक विशेषज्ञों का मानना है कि अरुण कुमार की वापसी से मगध क्षेत्र में एनडीए को नई ऊर्जा मिलेगी। 2020 के विधानसभा चुनाव में मगध की 26 सीटों में से एनडीए केवल 6 पर सिमट गया था, जबकि महागठबंधन ने 20 सीटों पर कब्जा जमाया था। अरुण कुमार की लोकप्रियता और क्षेत्रीय पकड़ को देखते हुए माना जा रहा है कि उनकी मौजूदगी से एनडीए का समीकरण बेहतर हो सकता है।

जेडीयू के अंदर इसे “नई शुरुआत” के तौर पर देखा जा रहा है। पार्टी सूत्रों का कहना है कि अरुण कुमार की घर वापसी से जेडीयू की स्थिति न सिर्फ जहानाबाद बल्कि पूरे मगध क्षेत्र में मजबूत होगी। वहीं, अरुण कुमार के बेटे के चुनावी मैदान में उतरने से पार्टी को युवा नेतृत्व भी मिलेगा।

बिहार के सियासी गलियारों में यह कदम आगामी विधानसभा चुनाव के लिहाज से बड़ा दांव माना जा रहा है, जो जेडीयू और एनडीए दोनों के लिए गेमचेंजर साबित हो सकता है।

 

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