भागलपुर जिले के कहलगांव प्रखंड के ममलखा पंचायत में बाढ़ से प्रभावित दर्जनों परिवार आज भी सरकारी मदद का इंतजार कर रहे हैं। पंचायत के वार्ड संख्या 11, 13 और 6 के करीब 25 परिवारों का कहना है कि उन्हें अब तक आपदा राहत सहायता राशि नहीं मिल पाई है। बाढ़ के दौरान उनके घरों और खेतों को भारी नुकसान हुआ, लेकिन प्रशासन की अनदेखी के कारण वे अब भी मुआवजा से वंचित हैं।
ग्रामीणों ने बताया कि उन्होंने 26 सितंबर को भागलपुर के आपदा प्रबंधन पदाधिकारी को आवेदन देकर मुआवजा राशि की मांग की थी। आवेदन के बावजूद अब तक किसी भी तरह की कार्रवाई नहीं की गई। इस कारण बाढ़ प्रभावित परिवारों में गहरा आक्रोश है। ग्रामीणों ने कहा कि अगर जल्द ही उनकी मांगें नहीं मानी गईं, तो वे आंदोलन करने को मजबूर होंगे।
पीड़ितों ने बताया कि बाढ़ के दौरान उनके घरों में कई दिनों तक पानी भरा रहा। मिट्टी के घर ढह गए, दीवारें गिर गईं और फसलों को भी भारी नुकसान पहुंचा। कई परिवारों के सामने अब रोजमर्रा की जरूरतों को पूरा करने की भी समस्या खड़ी हो गई है। पशुओं के लिए चारा और खुद के लिए भोजन जुटाना भी मुश्किल हो गया था। बाढ़ के बाद किसी तरह राहत शिविरों में कुछ दिनों तक गुज़ारा किया, लेकिन अब महीनों बीत जाने के बावजूद सरकारी सहायता नहीं मिलने से ग्रामीण निराश हैं।
वार्ड नंबर 13 के निवासी रमेश मंडल ने बताया कि बाढ़ में उनका घर पूरी तरह से ध्वस्त हो गया, फसल बर्बाद हो गई और अब तक किसी अधिकारी ने मौके पर आकर स्थिति का जायजा तक नहीं लिया। वहीं, वार्ड नंबर 6 की आशा देवी ने कहा कि उन्होंने कई बार पंचायत प्रतिनिधियों से लेकर प्रखंड कार्यालय तक गुहार लगाई, लेकिन उन्हें केवल आश्वासन ही मिला।
ग्रामीणों का आरोप है कि पंचायत स्तर पर भी लापरवाही बरती जा रही है। कई बार अधिकारियों और स्थानीय जनप्रतिनिधियों को शिकायत करने के बाद भी कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया। पीड़ित परिवारों ने कहा कि जब हर साल बाढ़ से जान-माल की क्षति होती है, तो प्रशासन को पहले से तैयारी रखनी चाहिए थी।
स्थानीय लोगों ने जिला प्रशासन से मांग की है कि जल्द से जल्द सर्वे कराकर प्रभावित परिवारों को मुआवजा राशि दी जाए। उनका कहना है कि सरकार की मंशा भले ही लोगों की मदद करने की हो, लेकिन जमीनी स्तर पर काम में देरी और अनदेखी से आम जनता को राहत नहीं मिल पाती।
ग्रामीणों ने स्पष्ट कहा है कि अगर प्रशासन जल्द कार्रवाई नहीं करता, तो वे सामूहिक रूप से प्रखंड मुख्यालय पर धरना-प्रदर्शन करेंगे। उनका कहना है कि अब वे चुप नहीं बैठेंगे और अपनी आवाज उठाएंगे।
अब देखना यह होगा कि जिला प्रशासन इस शिकायत पर कब और क्या कार्रवाई करता है, ताकि बाढ़ पीड़ित परिवारों को न्याय और राहत मिल सके।
