भागलपुर जिले के **सुल्तानगंज थाना क्षेत्र के कमरगंज पंचायत** में शनिवार को जलासय निर्माण को लेकर बड़ा विवाद खड़ा हो गया। बिहार सरकार की योजना के तहत बनने वाले जलासय का भूमि पूजन जब एक निजी कंपनी **जीभीआर (GBHR)** के द्वारा किया जा रहा था, तब स्थानीय किसानों ने इसका विरोध किया और काम पर रोक लगा दी।

 

किसानों का आरोप है कि कंपनी उनकी जमीन पर **अवैध कब्जा** करते हुए भूमि पूजन करने पहुंची थी। इस दौरान किसानों और कंपनी कर्मियों के बीच तीखी नोकझोंक हुई।

 

ग्रामीण किसानों **प्रदीप कुमार भगत** और **निर्मल कुमार भगत** ने बताया कि जिस जमीन पर भूमि पूजन किया जा रहा था, वह उनकी पुस्तैनी जमीन है। इस जमीन का **न तो अधिग्रहण किया गया है, न ही किसी तरह का मुआवजा दिया गया है।** इसके बावजूद कंपनी जबरन निर्माण कार्य शुरू करना चाह रही थी।

 

किसानों ने स्पष्ट कहा कि जब तक उन्हें जमीन का मुआवजा नहीं मिलेगा, तब तक किसी भी तरह का कार्य इस जमीन पर नहीं होने दिया जाएगा। उन्होंने यह भी बताया कि जमीन को लेकर पहले से ही **भागलपुर सिविल कोर्ट में टाइटल सूट चल रहा है।** कोर्ट ने भी आदेश दिया है कि जब तक मामले का निपटारा नहीं होता, तब तक इस जमीन पर कोई कार्य नहीं किया जाए। इसके बावजूद कंपनी ने जबरन भूमि पूजन करने की कोशिश की।

 

जब किसानों ने विरोध जताया तो कंपनी के लोगों ने उन्हें भू-अर्जन पदाधिकारी का नाम लेकर धमकाया और कहा कि अगर उन्होंने काम में बाधा डाली तो उन पर केस कर जेल भेज दिया जाएगा। इतना ही नहीं, मीडिया से बातचीत के दौरान भी कंपनी के लोग आपत्तिजनक और गैर-जिम्मेदाराना बयान देते नजर आए।

 

कंपनी की ओर से बताया गया कि यह **जलासय बाढ़-अवधि में बनने वाला है** और इसका पानी **बढुआ नदी** में जाएगा। इसी को लेकर भूमि पूजन किया गया था। लेकिन किसानों का कहना है कि उनकी जमीन लिए बिना और उचित प्रक्रिया का पालन किए बिना ऐसा कोई कार्य नहीं हो सकता।

 

घटना के समय **दर्जनों किसान और ग्रामीण मौके पर मौजूद थे।** सभी ने एकजुट होकर कंपनी के कार्य को रोक दिया और चेतावनी दी कि जब तक सरकार और प्रशासन की ओर से उचित कार्रवाई नहीं होती, तब तक इस जमीन पर कोई भी गतिविधि बर्दाश्त नहीं की जाएगी।

 

ग्रामीणों का कहना है कि बिहार सरकार की योजनाओं के नाम पर निजी कंपनियां अक्सर किसानों की जमीन पर कब्जा करने की कोशिश करती हैं। लेकिन इस बार कमरगंज के किसानों ने स्पष्ट कर दिया है कि वे अपनी पुस्तैनी जमीन की लड़ाई कोर्ट और सड़क दोनों स्तर पर लड़ेंगे।

 

फिलहाल मामले को लेकर तनाव बना हुआ है और ग्रामीण प्रशासन से निष्पक्ष जांच की मांग कर रहे हैं।

 

 

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