भागलपुर। जिले के पीरपैंती प्रखंड अंतर्गत गोविंदपुर पंचायत के बाढ़ पीड़ित मंगलवार को अंचल कार्यालय पहुंचे और राहत राशि न मिलने को लेकर जमकर हंगामा किया। आक्रोशित ग्रामीणों ने अंचलाधिकारी चंद्रशेखर कुमार के सामने आरोप लगाया कि बाढ़ के दिनों में सरकार द्वारा घोषित किसी भी राहत योजना का लाभ अबतक उन्हें नहीं मिल पाया है।
पीड़ितों में सुकनी देवी, जारों देवी, नीलम देवी, सुखिया देवी, सुनीता देवी, अंबिका साह, सबिता देवी, कंचन कुमारी, गूंजा देवी, मैनी देवी, फूल कुमारी देवी, लक्ष्मी देवी, गायत्री देवी, मिथिलेश शर्मा, चंदन कुमार, महेश कुमार, उमेश मंडल और सन्नी यादव सहित दर्जनों ग्रामीण शामिल थे। उनका कहना था कि वे कई बार अंचल कार्यालय का चक्कर लगा चुके हैं, लेकिन न तो सरकार द्वारा घोषित जीआर राशि मिली और न ही किसी तरह की अन्य सुविधा।
ग्रामीणों ने आरोप लगाया कि प्रशासन दोहरी नीति अपना रहा है। उनके अनुसार, बाढ़ में सबसे ज्यादा प्रभावित होने के बावजूद उन्हें हाशिये पर रखा गया है। महिलाएं इतनी आक्रोशित हुईं कि उन्होंने चप्पल उठाकर विरोध प्रदर्शन किया। उनका कहना था कि उनकी कठिनाइयों पर कोई ध्यान नहीं दिया जा रहा है और अधिकारी केवल आश्वासन देकर मामले को टालते आ रहे हैं।
इस मौके पर पंचायत के मुखिया प्रतिनिधि कुंदन यादव भी ग्रामीणों के साथ खड़े नजर आए। उन्होंने कहा कि बाढ़ के दौरान ग्रामीणों ने अपनी जान जोखिम में डालकर समय बिताया, लेकिन अबतक सरकार की ओर से किसी तरह की सहायता नहीं मिली है। बार-बार आवेदन देने और अंचल कार्यालय के चक्कर लगाने के बावजूद समस्या जस की तस बनी हुई है।
मौके पर मौजूद अंचलाधिकारी चंद्रशेखर कुमार ने ग्रामीणों को शांत करने का प्रयास किया। उन्होंने कहा कि जिनका नाम राहत सूची में शामिल है, उनके बैंक खातों में राशि भेज दी गई है। साथ ही उन्होंने बाढ़ पीड़ितों से आधार कार्ड, नाम और वार्ड संख्या सहित पूरी सूची उपलब्ध कराने को कहा। सीओ ने भरोसा दिलाया कि जिनका नाम सूची में नहीं है, उनकी जांच कराई जाएगी और जो भी पात्र लाभुक होंगे, उन्हें 15 दिनों के भीतर राशि उपलब्ध करा दी जाएगी।
हालांकि, ग्रामीणों ने प्रशासन को चेतावनी दी कि यदि तय समय सीमा में राहत राशि उपलब्ध नहीं कराई गई तो वे बड़े स्तर पर विरोध प्रदर्शन करने को बाध्य होंगे। पीड़ितों का कहना है कि वे अब और आश्वासन नहीं सुनना चाहते, बल्कि उन्हें तत्काल राहत चाहिए।
अंचल कार्यालय परिसर में इस दौरान भारी संख्या में ग्रामीण मौजूद रहे और उन्होंने अपनी समस्याओं को जोरदार तरीके से अधिकारियों के सामने रखा। पूरे परिसर में स्थिति कुछ देर तक तनावपूर्ण बनी रही।
यह विवाद एक बार फिर सरकार और प्रशासन के राहत वितरण तंत्र पर सवाल खड़ा करता है। ग्रामीणों का कहना है कि हर साल बाढ़ आती है और उनके जीवन को संकट में डालती है, लेकिन जब मदद की बात आती है तो केवल कागजों पर राहत योजनाएं चलती हैं। अब देखना यह होगा कि प्रशासन अपने वादे के मुताबिक 15 दिनों में बाढ़ पीड़ितों को राहत राशि उपलब्ध करा पाता है या नहीं।