जिसे सामान्य भाषा मे रैगिंग कहा जाता है. इसके कारण नए छात्र कई बार अत्यंत दुविधा में पड़ जाते हैं. उन्हें कई प्रकार की शारिरीक एवं मानसिक परेशानियों से गुजरना पड़ता है.छात्र नई उम्मीदों के साथ कॉलेज में अपने सपनों को सच करने के लिए जाते है, परंतु पहले ही दिन आपको मजबूरन नाचना, कपड़े उतराना ,सिगरेट पीने जैसी अन्य घटनाओं से गुजरना पड़ता है तब यह सोचने पर विवश हो जाते है कि अब आगे क्या किया जाए. किससे सहायता ली जाए,किसको अपनी व्यथा सुनाई जाए.
वर्तमान में सरकार ने रैगिंग पर पूर्णतया रोक लगा रखी है परंतु फिर भी जानकारी के अभाव में कई जगह रैगिंग की घटनाएं सामने आती है. इस मुद्दे पर बात करते हुए डॉ ध्रुव सनाढ़य ने बताया कि ऐसी कोई भी घटना होने पर छात्रों को घबराने की जरूरत नहीं है. यूजीसी ने हर विश्वविद्यालय को इसके बाबत टोल फ्री नम्बर उपलब्ध करवाने के निर्देश दिए गए हैं. इसके अतिरिक्त छात्र कानूनी सहायता भी ले सकते हैैं.
अपराध साबित होने पर तीन वर्ष की सजा का भी प्रावधान है.डॉ ध्रुव सनाढ़य ने छात्रों से अपील करते हुए कहा कि वो रैगिंग के विरुद्ध पुरजोर आवाज उठाए.रैगिंग के लिए निम्न धाराओं में सजा का प्रावधान किया गया है. रैगिंग के मामलों में सहायता के लिए छात्र डॉ ध्रुव सनाढ़य से सोशल मीडिया पर भी सहायता ले सकते.