गोपालपुर अंचल के सैदपुर पंचायत में वर्ष 2024 की बाढ़ आपदा राहत सामग्री एवं अनुदान राशि वितरण में बड़े पैमाने पर धांधली का मामला उजागर हुआ है। स्थानीय ग्रामीण किरण कुमार (ग्राम क्योट, सैदपुर) ने जिला प्रशासन से शिकायत कर यह मांग की है कि इस घोटाले में संलिप्त माने जा रहे पंचायत आपदा प्रभारी सह राजस्व कर्मचारी कन्हैया कुमार को आगामी वर्ष 2025 में फिर से नियुक्त न किया जाए।
राहत सामग्री और राशि वितरण में धांधली
शिकायतकर्ता के अनुसार, वर्ष 2024 में बाढ़ आपदा के दौरान सरकार द्वारा पीड़ितों के लिए भेजी गई राहत सामग्री, सूखा राशन और अनुदान राशि के वितरण में गंभीर अनियमितताएं की गईं।

एक ही परिवार में पति-पत्नी दोनों को अनुदान का लाभ दे दिया गया।
नाबालिग लड़कों को लाभार्थी सूची में शामिल किया गया।
विवाहित महिलाओं, जिनकी शादी कई वर्ष पहले अन्य जिलों में हो चुकी थी, को भी राहत राशि स्वीकृत कर दी गई।
राहत सामग्री वितरण में भी व्यापक गड़बड़ियां सामने आईं और कई वास्तविक पीड़ित वंचित रह गए।
वार्ड सदस्यों की मिलीभगत का आरोप
किरण कुमार ने आरोप लगाया है कि राहत वितरण में स्थानीय वार्ड सदस्यों की मिलीभगत से कन्हैया कुमार ने सरकारी प्रावधानों का उल्लंघन कर मनमानी की। इसके कारण सैदपुर पंचायत के सैकड़ों वास्तविक आपदा पीड़ितों को न तो अनुदान मिला और न ही उचित मात्रा में राहत सामग्री।
शिकायत के बावजूद कार्रवाई नहीं
इस घोटाले की शिकायत अंचल पदाधिकारी सह प्रखंड आपदा पदाधिकारी गोपालपुर से लेकर जिला, राज्य और केंद्र स्तर तक की गई है। लेकिन अब तक न तो जांच पूरी हुई और न ही दोषियों पर कार्रवाई की गई। शिकायतकर्ता का आरोप है कि प्रखंड स्तर पर साक्ष्यों को छिपाने का प्रयास किया गया और सूचना का अधिकार (RTI) के तहत मांगी गई जानकारी भी उपलब्ध नहीं कराई गई।
प्रथम अपील की सुनवाई न होने पर मामला अब बिहार राज्य सूचना आयोग तक पहुंच गया है।
पुनः नियुक्ति का विरोध
किरण कुमार ने प्रशासन से मांग की है कि वर्ष 2025 में सैदपुर पंचायत के आपदा प्रभारी पद पर कन्हैया कुमार की नियुक्ति न की जाए। उनका कहना है कि यदि वही कर्मचारी दोबारा नियुक्त होते हैं तो राहत वितरण प्रक्रिया में पारदर्शिता नहीं आएगी और गरीब आपदा पीड़ितों को फिर से न्याय से वंचित होना पड़ेगा।
जांच और पारदर्शिता की मांग
शिकायतकर्ता ने जिला प्रशासन से उच्च स्तरीय जांच की मांग करते हुए कहा है कि आपदा राहत वितरण में हुई धांधली के दोषियों पर सख्त कार्रवाई की जाए। साथ ही, भविष्य में राहत सामग्री एवं अनुदान राशि वितरण की निगरानी के लिए स्वतंत्र समिति का गठन किया जाए ताकि असली पीड़ितों तक सरकारी सहायता सही ढंग से पहुंच सके।
ग्रामीणों में आक्रोश
इस मामले को लेकर सैदपुर पंचायत के ग्रामीणों में भी आक्रोश है। ग्रामीणों का कहना है कि जब सरकार आपदा पीड़ितों की मदद के लिए करोड़ों रुपये खर्च करती है तो उसका लाभ असली पीड़ितों तक पहुंचना चाहिए। लेकिन स्थानीय स्तर पर मिलीभगत और भ्रष्टाचार के कारण राहत का दुरुपयोग हो रहा है।
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