इस्माईलपुर-बिंद टोली इलाके में रविवार की संध्या छह बजे गंगा नदी खतरे के निशान को पार कर 32.17 मीटर पर बह रही थी, जो कि लाल निशान 31.60 मीटर से 57 सेंटीमीटर ऊपर है। गंगा के जलस्तर में लगातार हो रही वृद्धि और मूसलधार बारिश ने क्षेत्र की चिंताओं को और गहरा कर दिया है। इसका सबसे अधिक प्रभाव नदी किनारे बने स्परों व तटबंधों पर देखा जा रहा है, जहां पानी का अत्यधिक दबाव बन गया है।
बीते दिनों स्पर संख्या नौ का लगभग पचास से साठ मीटर हिस्सा अचानक ध्वस्त हो गया था। इसके चलते अब स्पर संख्या आठ पर काफी दबाव बढ़ गया है। प्रशासन द्वारा किसी भी अनहोनी की आशंका को देखते हुए इस स्पर पर चौकसी बढ़ा दी गई है। सुरक्षा के मद्देनजर, इस स्पर को बचाने के लिए उसमें पेड़ आदि डालकर उसे मजबूत करने की कोशिशें की जा रही हैं।
मुख्य अभियंता ई. अनवर जमील स्वयं स्थिति पर नजर बनाए हुए हैं। उन्होंने स्पर संख्या आठ की लगातार निगरानी करते हुए मौके पर मौजूद अभियंताओं को आवश्यक दिशा-निर्देश दिए हैं। उन्होंने बताया कि जलस्तर की तीव्र गति से बढ़ती स्थिति को देखते हुए, स्पर संख्या नौ पर 20 हाथी पांव (लकड़ी और बांस की भारी संरचनाएं) तथा स्पर संख्या आठ पर 10 हाथी पांव के साथ चार से पांच गुलर के पेड़ लगाने के निर्देश दिए गए हैं। इसके अतिरिक्त, पर्याप्त मात्रा में बालू भरी बोरियों के भंडारण की भी व्यवस्था की जा रही है ताकि आपात स्थिति में तुरंत उपयोग किया जा सके।
फ्लड फायटिंग के लिए ठेकेदारों को चौबीसों घंटे तैयार रहने के लिए कहा गया है। प्रशासन ने स्पष्ट किया है कि किसी भी स्थिति में तटबंधों की सुरक्षा में कोई कमी नहीं छोड़ी जाएगी। मुख्य अभियंता ने यह भी आश्वासन दिया कि आवश्यक संसाधनों की कोई कमी नहीं होगी और त्वरित कार्रवाई सुनिश्चित की जाएगी।
वहीं कार्यपालक अभियंता ई. गौतम कुमार ने जानकारी दी कि ब्रह्मोत्तर बांध की मरम्मत कर दी गई है और वह फिलहाल सुरक्षित स्थिति में है। उन्होंने बताया कि कोसी नदी के जलस्तर में भी वृद्धि दर्ज की गई है। मदरौनी में कोसी नदी चेतावनी स्तर से मात्र आठ सेंटीमीटर नीचे 30.40 मीटर पर बह रही है, हालांकि फिलहाल स्थिति नियंत्रण में है।
प्रशासनिक निगरानी और तकनीकी प्रयासों के बावजूद नदी की स्थिति गंभीर बनी हुई है। स्थानीय लोगों से सतर्क रहने की अपील की गई है, विशेषकर तटवर्ती गांवों में रह रहे निवासियों को किसी भी आपातकालीन स्थिति के लिए तैयार रहने को कहा गया है। प्रशासन ने यह भी स्पष्ट किया है कि राहत एवं बचाव कार्यों की योजनाएं पूरी तरह से तैयार हैं और समय आने पर तुरंत लागू की जाएंगी।
स्थिति लगातार बदल रही है और गंगा के बढ़ते जलस्तर के मद्देनजर प्रशासन की सक्रियता और तकनीकी तैयारियां इस क्षेत्र में आपदा प्रबंधन की अहम परीक्षा बन गई हैं।

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