रश्मि बिरहोर की प्रेरणादायक कहानी: झारखंड की आदिवासी बेटी ने रचा इतिहास, राष्ट्रपति मुर्मू से हुई ऐतिहासिक मुलाकात

झारखंड के रामगढ़ जिले के एक छोटे से गांव में रहने वाली आदिवासी लड़की रश्मि बिरहोर ने न केवल अपने समुदाय, बल्कि पूरे राज्य के लिए मिसाल कायम की है। विशेष रूप से कमजोर जनजातीय समूह (PVTG) से ताल्लुक रखने वाली रश्मि 2025 में रामगढ़ की पहली मैट्रिक और स्नातक बनने वाली छात्रा बन गई हैं। यह उपलब्धि उस संकल्प और संघर्ष का प्रतीक है, जो वर्षों पहले एक संक्षिप्त मुलाकात से शुरू हुआ था।

जब एक सपना जागा

वर्ष 2016 में जब तत्कालीन झारखंड की राज्यपाल द्रौपदी मुर्मू दौरे पर रामगढ़ आई थीं, तब रश्मि भी भीड़ में चुपचाप खड़ी थीं। दोनों के बीच भले ही संक्षिप्त बातचीत हुई, लेकिन उस एक पल ने रश्मि के दिल में एक सपना जगा दिया। आज, जब द्रौपदी मुर्मू भारत की राष्ट्रपति बन चुकी हैं, तो उसी रश्मि को राष्ट्रपति से विशेष आमंत्रण मिला – यह सिर्फ एक मुलाकात नहीं थी, बल्कि उस प्रेरणा का सम्मान था जो उन्होंने सालों पहले संजोई थी।

आकांक्षा परियोजना से मिला संबल

रश्मि की इस उपलब्धि के पीछे टाटा स्टील फाउंडेशन (TSF) की *आकांक्षा परियोजना* की अहम भूमिका रही। 2017 में इस परियोजना से जुड़ने के बाद रश्मि को आवासीय शिक्षा, वित्तीय सहायता और निरंतर मार्गदर्शन मिला। उन्होंने सेंट रॉबर्ट्स गर्ल्स स्कूल, हजारीबाग से स्कूली शिक्षा पूरी की और फिर जीएम ईवनिंग कॉलेज, हजारीबाग से स्नातक की उपाधि प्राप्त की।

टीएसएफ के अनुसार, आकांक्षा परियोजना पीवीटीजी समुदायों के पहली पीढ़ी के शिक्षार्थियों को समर्थन देने के लिए शुरू की गई थी, जिससे अब तक 80 से अधिक बिरहोर छात्र लाभान्वित हो चुके हैं।

राष्ट्रपति से मिलना: एक भावुक क्षण

राष्ट्रपति मुर्मू के दो दिवसीय झारखंड दौरे के दौरान रश्मि को राजभवन से विशेष निमंत्रण मिला। इस मुलाकात के दौरान उन्होंने संथाली भाषा में बातचीत कर रश्मि को सहज महसूस कराया। रश्मि ने कहा, “उनसे दोबारा मिलना – इस बार भारत की राष्ट्रपति के रूप में – एक सपने जैसा लगा।”

बदलाव की प्रतीक बनी रश्मि

रश्मि की इस उपलब्धि से न केवल उनके माता-पिता – सुधांशु बिरहोर और सावा देवी – गर्वित हैं, बल्कि पूरा गांव और समुदाय भी उन्हें आशा की नई किरण मानता है। टाटा स्टील के पश्चिम बोकारो मंडल के महाप्रबंधक अनुराग दीक्षित ने कहा, “यह केवल प्रतीकात्मक नहीं, बल्कि ऐतिहासिक क्षण है। रश्मि की यात्रा आकांक्षा परियोजना के उस उद्देश्य को दर्शाती है, जिसमें शिक्षा के माध्यम से व्यवस्थागत बाधाओं को तोड़ना और परिवर्तन लाना शामिल है।”


रश्मि बिरहोर की कहानी यह साबित करती है कि यदि अवसर और मार्गदर्शन मिले, तो कोई भी सामाजिक या आर्थिक बाधा इतनी बड़ी नहीं होती कि उसे पार न किया जा सके। उनकी मुलाकात राष्ट्रपति मुर्मू से न केवल उनकी व्यक्तिगत उपलब्धि है, बल्कि उन सैकड़ों पीवीटीजी बच्चों के लिए प्रेरणा है जो अब जानते हैं कि उनके सपने भी सच हो सकते हैं।

रश्मि आज सिर्फ एक नाम नहीं, बल्कि बदलाव की शुरुआत बन चुकी हैं।

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