इस नदी का पानी लाल होने को लेकर स्थानीय लोगों में चर्चा का विषय बन गया। इसको लेकर जितनी मुंह उतनी बातें होने लगी। इसी बात ग्रामीणों ने जांच कर बताया कि बुनकर बाहुल्य क्षेत्र डहुआ में लाकडाउन के कारण कपड़ा बुनाई बंद होने से हजारों रुपये मूल्य का रंग खराब हो गया। इस कारण बुनकरों ने खराब हुए रंग को सुखनिया नदी में फेंक दिया। इस कारण पानी का रंग लाल हो गया है।
इस मामले में बुनकर संघ के अध्यक्ष मुर्तजा अंसारी ने बताया कि अधिक दिन रहने के कारण रंग खराब हो गया है। खराब रंग कपड़े पर चढ़ाने से चढ़ता नहीं। इस कारण रंग को पानी में फेंका गया है। संघ के सचिव मंसूर आलम ने बताया कि उसके यहां रखे पांच बाेरी रंग खराब हुआ है। केवल दो बोरी फेंकी गई है। तीन बोरी भी फेंकी जाएगी। उक्त रंग की कीमत एक लाख सत्तर हजार रुपये था।
ज्ञात हो कि पिछले साल से ही लगभग 50 लाख मूल्य से अधिक का कपड़ा बिक्री के अभाव में पड़ा हुआ था। इस स्थिति में बुनकरों द्वारा कपडे की बुनाई कर दिया था। इस कारण रंग खराब हुआ है। थानाध्यक्ष अरविंद कुमार राय ने बताया कि बुनकरों द्वारा रंग फेंकने से सुखनिया नदी की पानी का रंग लाल हुआ है। और कोई बात नहीं है।