प्रधानाध्यापक

गोराडीह (भागलपुर)। गोराडीह प्रखंड के एक प्राथमिक विद्यालय में कार्यरत शिक्षिका ने अपने ही विद्यालय के प्रभारी प्रधानाध्यापक पर दुर्व्यवहार और मानसिक उत्पीड़न का गंभीर आरोप लगाया है। शिक्षिका ने इस संबंध में प्रखंड शिक्षा पदाधिकारी (बीईओ) दिनेश कुमार को आवेदन देकर मामले की निष्पक्ष जांच कर उचित कार्रवाई की मांग की है।

प्रधानाध्यापक

शिक्षिका ने अपने आवेदन में आरोप लगाया है कि विद्यालय के प्रभारी प्रधानाध्यापक बिना किसी कारण के उनकी उपस्थिति (हाजिरी) काट देते हैं, जिससे उनके वेतन भुगतान में लगातार कठिनाई हो रही है। जब शिक्षिका ने इसका विरोध किया और उनसे कारण जानना चाहा, तो प्रधानाध्यापक ने अभद्र भाषा में बात करते हुए अपनी ऊपर तक पहुंच होने की धमकी दी और कहा कि यदि ज्यादा सवाल करोगी तो तुम्हें बर्बाद कर देंगे।

शिक्षिका ने बताया कि इस प्रकार की धमकी और मानसिक उत्पीड़न से वह पिछले कई महीनों से मानसिक तनाव में हैं। इससे विद्यालय में पढ़ाई के कार्य में भी बाधा आ रही है। उन्होंने कहा कि विद्यालय में कार्य करने के लिए स्वस्थ माहौल की आवश्यकता होती है, लेकिन प्रधानाध्यापक के व्यवहार के कारण विद्यालय का माहौल खराब हो गया है, जिससे अन्य शिक्षकों और बच्चों पर भी नकारात्मक प्रभाव पड़ रहा है।

शिक्षिका ने कहा कि एक ओर जहां राज्य सरकार और शिक्षा विभाग स्कूलों में पठन-पाठन की गुणवत्ता बढ़ाने और महिलाओं के सम्मानजनक वातावरण में कार्य सुनिश्चित करने की बात कर रही है, वहीं दूसरी ओर विद्यालयों में महिलाओं के साथ इस प्रकार का व्यवहार दुखद और चिंता का विषय है।

शिक्षिका ने अपने आवेदन में यह भी उल्लेख किया है कि विद्यालय में समय पर उपस्थिति दर्ज कराने और पढ़ाई कराने के बावजूद उन पर अनुचित टिप्पणी कर बेवजह प्रताड़ित किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि इससे उनके आत्म-सम्मान को ठेस पहुंच रही है और कार्यक्षमता प्रभावित हो रही है।

इस संबंध में प्रखंड शिक्षा पदाधिकारी दिनेश कुमार ने बताया कि उन्हें शिक्षिका का आवेदन प्राप्त हुआ है और मामले की जांच की जा रही है। उन्होंने कहा कि जांच में जो भी तथ्य सामने आएंगे, उसके आधार पर कार्रवाई की जाएगी। उन्होंने कहा कि विद्यालय में किसी भी शिक्षिका या शिक्षक के साथ अनुचित व्यवहार बर्दाश्त नहीं किया जाएगा और शिक्षकों को सम्मानपूर्वक कार्य करने का अवसर मिलना चाहिए।

ग्रामीणों ने भी इस मामले पर चिंता जताते हुए कहा कि यदि विद्यालय में प्रधानाध्यापक और शिक्षिका के बीच विवाद का समाधान समय रहते नहीं किया गया तो इसका प्रभाव बच्चों की पढ़ाई पर पड़ेगा। ग्रामीणों ने भी शिक्षा विभाग से मामले की निष्पक्ष जांच कर उचित कार्रवाई करने की मांग की है ताकि विद्यालय का शैक्षणिक माहौल बेहतर बना रहे और बच्चों की पढ़ाई प्रभावित न हो।

इधर, स्थानीय सामाजिक कार्यकर्ताओं ने भी महिला शिक्षिका को न्याय दिलाने की मांग की है और कहा है कि विद्यालयों में महिला शिक्षकों के सम्मान की रक्षा करना सभी की जिम्मेदारी है।

फिलहाल पूरे मामले में शिक्षा विभाग की जांच पर सभी की नजरें टिकी हैं।

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