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सहरसा, बिहार* — एक बार फिर बिहार की जर्जर स्वास्थ्य व्यवस्था ने एक आम परिवार से उसका बेटा छीन लिया। सहरसा जिले के सिमरी बख्तियारपुर प्रखंड के हटिया गाछी ठाकुवारी टोला निवासी  कृष्णा कुमार की जान सिर्फ इसलिए चली गई क्योंकि वक्त पर उसे जरूरी इलाज नहीं मिल सका।

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जानकारी के अनुसार, कृष्णा कुमार को शुक्रवार देर शाम सांप ने डंस लिया। घरवालों ने फौरन बिना समय गंवाए उसे सिमरी बख्तियारपुर अनुमंडल अस्पताल पहुंचाया। लेकिन वहां पहुंचते ही उन्हें जो जवाब मिला, उसने उनकी उम्मीदों को तोड़ दिया। अस्पताल में *एंटी-वेनम इंजेक्शन ही मौजूद नहीं था।*

परिजनों का कहना है कि अस्पताल में न तो सही ढंग से प्राथमिक उपचार मिला, न डॉक्टरों में कोई तत्परता दिखी। मजबूरी में परिजन उसे लेकर जिला मुख्यालय स्थित सहरसा सदर अस्पताल पहुंचे, लेकिन तब तक बहुत देर हो चुकी थी। वहां डॉक्टरों ने जांच के बाद कृष्णा को *मृत घोषित कर दिया।*

मृतक के भाई रणधीर कुमार का दर्द छलक पड़ा। उन्होंने कहा, “अगर अनुमंडल अस्पताल में एंटी-वेनम होता और वक्त रहते इलाज मिल जाता, तो मेरा भाई आज हमारे बीच होता। यह सिर्फ लापरवाही नहीं है, ये सरकार की मार है, सिस्टम की हत्या है।”

रणधीर ने यह भी आरोप लगाया कि अस्पताल प्रशासन ने उन्हें *सरकारी एंबुलेंस तक उपलब्ध नहीं कराई।* वे किसी तरह कृष्णा को निजी वाहन से सदर अस्पताल लाए।

गांव में मातम पसरा है, लेकिन उसके साथ ही *गुस्सा भी चरम पर है।* ग्रामीणों ने प्रशासन पर भेदभाव का आरोप लगाते हुए कहा कि, “अगर किसी मंत्री या अधिकारी के परिवार के सदस्य को सांप काटता, तो क्या दवा नहीं होती? क्या तब भी अस्पताल में एंटी-वेनम नहीं मिलता?”

स्थानीय ग्रामीणों का कहना है कि यह पहली बार नहीं है जब अनुमंडल अस्पताल में इलाज के अभाव में किसी की जान गई हो। *सरकारी कागजों में भले ही दवाओं की उपलब्धता हो, लेकिन जमीनी हकीकत इससे बिल्कुल अलग है।*

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कृष्णा कुमार

इस दर्दनाक घटना ने सहरसा की *स्वास्थ्य व्यवस्था की पोल खोलकर रख दी है।* एक तरफ जहां अनुमंडल अस्पताल ज़रूरी दवा उपलब्ध नहीं करा सका, वहीं दूसरी तरफ सदर अस्पताल सिर्फ यह कहने के लिए था कि ‘मरीज़ अब जीवित नहीं रहा।’

स्वास्थ्य विभाग पर सवाल उठ रहे हैं कि आखिर क्यों *जहरीले सांप के काटने जैसी आपात स्थिति के लिए जरूरी दवा हर अस्पताल में उपलब्ध नहीं है?* क्यों हर बार आम जनता को ही लापरवाही की कीमत अपनी जान देकर चुकानी पड़ती है?

मृतक के परिजनों और स्थानीय लोगों ने बिहार सरकार से *तत्काल न्याय की मांग की है।* उन्होंने दोषियों पर कड़ी कार्रवाई करने और सभी अस्पतालों में आवश्यक दवाएं व संसाधन अनिवार्य रूप से उपलब्ध कराने की मांग की है।

वहीं स्वास्थ्य विभाग और जिला प्रशासन की ओर से अब तक इस घटना पर कोई आधिकारिक बयान सामने नहीं आया है।

यह मामला एक बार फिर दिखाता है कि *बिहार के ग्रामीण इलाकों में स्वास्थ्य सेवाएं कितनी बदहाल हैं*, और जब तक इसमें व्यापक सुधार नहीं होता, तब तक आम आदमी की जिंदगी इसी तरह असुरक्षित बनी रहेगी।

 

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