कोसीकोसी

बिहार के सहरसा जिले के महपुरा गांव में कोसी नदी के तट पर स्थित *बाबा कारू खिरहर मंदिर* आस्था का एक प्रमुख केंद्र बन चुका है। यह मंदिर *संत बाबा कारू स्थान* के नाम से भी जाना जाता है। बाबा कारू खिरहर को लोकदेवता के रूप में पूजा जाता है। शिवभक्त बाबा कारू गायों के प्रति अगाध श्रद्धा रखते थे और आज भी उनके अनुयायी विशेष रूप से गौसेवा को पुण्य कार्य मानते हैं।

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मंदिर से जुड़ी एक खास मान्यता है कि यहां सच्चे मन से मांगी गई मुरादें अवश्य पूरी होती हैं, खासकर संतान प्राप्ति की कामना रखने वालों की। यही कारण है कि आसपास के जिलों सहित कोसी अंचल भर से श्रद्धालु बड़ी संख्या में यहां पहुंचते हैं।

**विशेष पूजा का आयोजन**
शारदीय नवरात्रि के अवसर पर *महासप्तमी* के दिन इस मंदिर में विशेष पूजा-अर्चना और *दुग्धाभिषेक* का आयोजन होता है। श्रद्धालु इस दिन अपनी गायों के दूध को बाबा को अर्पित करते हैं। मान्यता है कि बाबा कारू को गायों से अत्यधिक प्रेम था, इसीलिए भक्तगण उनके प्रति श्रद्धा प्रकट करते हुए दूध चढ़ाते हैं।

दुग्धाभिषेक के बाद शुद्ध दूध मंदिर प्रांगण से बहकर कोसी नदी में मिल जाता है। आश्चर्यजनक रूप से उस समय *’बिहार की शोक’* कही जाने वाली कोसी नदी की धारा मंदिर के समीप शांत हो जाती है। आम दिनों में कोसी की धारा तेज और कटावकारी होती है, लेकिन इस धार्मिक स्थल के पास इसका स्वभाव शांत हो जाना लोगों को चमत्कारी प्रतीत होता है। यही कारण है कि यह स्थल अब एक पवित्र और चमत्कारिक धरोहर के रूप में जाना जा रहा है।

**विशिष्ट अतिथियों का आगमन और नाराजगी**
इस अवसर पर बेगूसराय जिले के *मटियानी पंचायत* से पूर्व जिला परिषद सदस्य सह वर्तमान मुखिया *अंकित सिंह* और कोसी अंचल के प्रसिद्ध *भगैत कलाकार रुदल पंजियार* ने मंदिर पहुंचकर बाबा कारू खिरहर की पूजा-अर्चना की। दोनों अतिथियों ने बाबा की पावन धरा पर आशीर्वाद लिया और आयोजन में शामिल हुए श्रद्धालुओं से संवाद भी किया।

हालांकि, मंदिर में हो रहे निर्माण कार्यों को लेकर दोनों ने चिंता जताई। विशेष रूप से *सीढ़ी निर्माण में हो रही अनियमितता* पर उन्होंने नाराजगी जाहिर की। अंकित सिंह ने बताया कि कोसी नदी का जलस्तर इस समय लगातार बढ़ रहा है, जिससे मंदिर की ओर जाने वाली सीढ़ियों के नीचे कटाव शुरू हो गया है।

उन्होंने स्पष्ट चेतावनी दी कि यदि समय रहते इस पर ठोस कदम नहीं उठाया गया, तो जल्द ही सीढ़ियां नदी में समा सकती हैं, जिससे श्रद्धालुओं की सुरक्षा खतरे में पड़ सकती है। उन्होंने जिला प्रशासन और मंदिर प्रबंधन से अपील की कि कटाव रोधी कार्य और मजबूत निर्माण तुरंत शुरू करवाया जाए।

वहीं, भगैत कलाकार रुदल पंजियार ने भी मंदिर प्रबंधन की कार्यशैली पर सवाल उठाते हुए कहा कि इतनी बड़ी संख्या में श्रद्धालु यहां आते हैं, इसके बावजूद बुनियादी संरचना की उपेक्षा दुखद है। उन्होंने मांग की कि बाबा की इस पावन धरोहर को संरक्षित करने के लिए सामाजिक और सरकारी सहयोग जरूरी है।

**स्थानीय लोगों की मांग**
मंदिर आने वाले श्रद्धालुओं और स्थानीय लोगों ने भी इस मुद्दे पर अपनी चिंता जताई है। उनका कहना है कि बाबा कारू खिरहर मंदिर सिर्फ धार्मिक ही नहीं, सांस्कृतिक और सामाजिक पहचान का भी केंद्र है। अगर यहां सुरक्षा और सुविधा का इंतजाम नहीं किया गया, तो आने वाले समय में यह पवित्र स्थल संकट में पड़ सकता है।

**निष्कर्ष**
बाबा कारू खिरहर मंदिर आस्था, श्रद्धा और लोकविश्वास का अद्भुत संगम है। यहां संतान सुख की प्राप्ति के लिए की जाने वाली पूजा न सिर्फ परंपरा है, बल्कि लोकआस्था की मिसाल भी है। ऐसे स्थल की सुरक्षा, संरचना और विकास न सिर्फ मंदिर प्रबंधन बल्कि पूरे समाज और शासन की जिम्मेदारी है। समय रहते आवश्यक कदम उठाकर इस विरासत को बचाया जा सकता है।

 

 

 

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