बिहार की सियासत इन दिनों गर्म है और चुनावी बयानबाज़ी लगातार तीखी होती जा रही है। इसी क्रम में **जन सुराज अभियान के सूत्रधार प्रशांत किशोर (PK)** ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के हालिया बयान पर बड़ा हमला बोला है। PK ने मोदी सरकार द्वारा **बिहार में 4 करोड़ लोगों को गरीबी रेखा से बाहर निकालने** के दावे को **आँकड़ों की बाज़ीगरी** करार दिया है।
प्रशांत किशोर ने **शिवहर जिले के तरियानी प्रखंड** में एक जनसभा को संबोधित करने के बाद मीडिया से बातचीत की। पत्रकारों से बात करते हुए उन्होंने कहा,
> “प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज सीवान में जनसभा को संबोधित करते हुए यह दावा किया कि NDA सरकार ने बिहार के 4 करोड़ लोगों को गरीबी रेखा से बाहर निकाला है। मैं पूछना चाहता हूं – वो 4 करोड़ लोग कहां हैं?”
PK ने कटाक्ष भरे लहजे में कहा कि वो खुद **पिछले ढाई साल से गांव-गांव घूम रहे हैं**, सैकड़ों पंचायतों में जन संवाद कर चुके हैं, लेकिन आज तक **ऐसा कोई भी व्यक्ति नहीं मिला** जो खुद को गरीबी रेखा से ऊपर उठे हुए बताए।
उन्होंने सवालिया अंदाज़ में कहा,
> “क्या ये लोग केवल कागज़ पर हैं? क्या यह आंकड़ों का खेल है? क्या ये लोग भाषणों में हैं लेकिन ज़मीन पर नहीं?”
प्रशांत किशोर ने प्रधानमंत्री के उस दावे को भी चुनौती दी जिसमें उन्होंने कहा था कि **केंद्र सरकार ने देश की गरीबी को काफी हद तक कम कर दिया है।** PK ने पलटवार करते हुए कहा,
> “अगर गरीबी हट गई है तो फिर गांवों में हर तीसरा आदमी मजदूरी के लिए बाहर क्यों जाता है? लोग अब भी अपने बच्चों की पढ़ाई और इलाज के लिए पैसे नहीं जुटा पा रहे हैं। ये कौन सा विकास है?”
उन्होंने सीधे-सीधे केंद्र सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि **”विकास सिर्फ भाषणों में है, ज़मीन पर नहीं।”** PK ने आरोप लगाया कि चुनावों से पहले सरकार जनता को आंकड़ों के भ्रमजाल में फंसा कर भ्रमित करने की कोशिश करती है।
प्रशांत किशोर ने बताया कि जब वह गांवों में लोगों से पूछते हैं कि क्या वे भाजपा या प्रधानमंत्री मोदी को वोट देंगे, तो **”ज्यादातर लोग हाथ उठाकर इनकार कर देते हैं।”** उन्होंने कहा कि **जो हकीकत ज़मीन पर है**, वह टीवी पर या भाषणों में नजर नहीं आती।
इस बयान ने बिहार की राजनीति में हलचल मचा दी है। विशेष रूप से तब जब चुनावी तैयारियां पूरे जोर पर हैं और नेताओं के बयान मतदाताओं के रुझान पर सीधा असर डाल रहे हैं। PK का यह बयान न सिर्फ मोदी सरकार की नीतियों पर सवाल उठा रहा है बल्कि बिहार में भाजपा-जेडीयू गठबंधन की लोकप्रियता पर भी प्रश्नचिन्ह लगा रहा है।
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि प्रशांत किशोर का यह बयान उस वर्ग को ज़रूर झकझोर सकता है जो अभी तक केंद्र सरकार की नीतियों से संतुष्ट था। उनका जन सुराज अभियान भले ही अभी एक राजनीतिक दल में तब्दील नहीं हुआ है, लेकिन उनकी **जमीनी पकड़ और जन संवाद की शैली** उन्हें जनता के करीब ला रही है।
विपक्षी दलों ने PK के बयान का समर्थन करते हुए केंद्र सरकार से स्पष्टीकरण की मांग की है। **राष्ट्रीय जनता दल (RJD)** और **कांग्रेस** ने मोदी सरकार से यह पूछने की मांग की है कि **“वे 4 करोड़ लोग कौन हैं, कहां हैं और किन मानकों से उन्हें गरीबी रेखा से बाहर निकाला गया?”**
हालांकि, भाजपा की ओर से अब तक इस बयान पर कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं आई है। लेकिन संभावना है कि आने वाले दिनों में सत्ताधारी दल इस मुद्दे पर जवाबी हमला करेगा।
**निष्कर्षतः**, प्रशांत किशोर का यह तीखा हमला न केवल प्रधानमंत्री मोदी के दावों को कटघरे में खड़ा करता है, बल्कि यह भी स्पष्ट करता है कि आने वाले चुनाव में आंकड़े और जमीनी हकीकत के बीच का फासला बड़ा मुद्दा बनने वाला है। PK की चुनौती यह संदेश देती है कि बिहार में जनता अब **सिर्फ नारों से नहीं, नतीजों से संतुष्ट होगी।**
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