भागलपुर के सबसे बड़े सरकारी अस्पताल, मायागंज अस्पताल में शनिवार को उस समय हड़कंप मच गया जब अस्पताल परिसर में लगे जेनरेटर में अचानक आग लग गई। यह घटना दोपहर के करीब हुई, जब अस्पताल सामान्य रूप से कार्यरत था और मरीजों की आवाजाही जारी थी। प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार, पहले जेनरेटर से धुआं निकलता हुआ दिखाई दिया और कुछ ही मिनटों में उसमें तेज लपटें उठने लगीं। आग की तेजी को देखते हुए अस्पताल परिसर में मौजूद मरीज, परिजन और स्टाफ के बीच अफरा-तफरी मच गई।

स्थानीय लोगों और अस्पताल कर्मियों की सूझबूझ और तत्परता की वजह से एक बड़ा हादसा टल गया। जैसे ही जेनरेटर से धुआं उठता दिखा, मौके पर तैनात सुरक्षाकर्मी और अन्य कर्मचारी तुरंत हरकत में आ गए। उन्होंने तुरंत अस्पताल प्रशासन को सूचित किया और अग्निशमन यंत्रों की मदद से आग बुझाने का प्रयास शुरू कर दिया। करीब 10 से 15 मिनट की मशक्कत के बाद आग पर काबू पा लिया गया।
गनीमत यह रही कि आग अस्पताल की मुख्य इमारत तक नहीं पहुंच सकी। अगर थोड़ी और देर होती, तो यह आग अस्पताल की बिजली व्यवस्था को प्रभावित कर सकती थी, जिससे गंभीर मरीजों के इलाज पर असर पड़ सकता था। हालांकि किसी के हताहत होने या संपत्ति को बड़े नुकसान की कोई सूचना नहीं है, फिर भी घटना ने अस्पताल की सुरक्षा व्यवस्था पर सवाल जरूर खड़े कर दिए हैं।
अस्पताल के एक कर्मचारी ने बताया कि जेनरेटर में पहले भी तकनीकी खराबी की शिकायतें आई थीं, लेकिन इस स्तर की घटना पहले कभी नहीं हुई थी। शनिवार को अचानक जेनरेटर से धुंआ निकलने के साथ ही स्थिति भयावह होती चली गई, लेकिन फायर एक्सटिंग्विशर और कर्मचारियों की तेजी ने आग को समय रहते रोक दिया।
घटना की जानकारी मिलते ही अस्पताल प्रशासन मौके पर पहुंचा और पूरी स्थिति की जांच शुरू कर दी गई। अस्पताल अधीक्षक डॉ. (नाम) ने मीडिया को बताया कि आग लगने की घटना अत्यंत दुर्भाग्यपूर्ण है, लेकिन सुखद बात यह है कि इसे समय पर नियंत्रित कर लिया गया। “हम इसकी जांच करवा रहे हैं कि आग किस कारण लगी और भविष्य में ऐसी घटना दोबारा न हो इसके लिए जरूरी कदम उठाए जाएंगे,” उन्होंने कहा।
आग बुझाने के दौरान कुछ समय के लिए अस्पताल की बिजली व्यवस्था भी बाधित हुई, जिससे कुछ विभागों में कामकाज प्रभावित हुआ। हालांकि बैकअप व्यवस्था और कर्मियों की तत्परता के चलते इलाज में ज्यादा परेशानी नहीं आई। मरीजों को दूसरे ब्लॉकों में स्थानांतरित कर दिया गया था और कुछ समय बाद व्यवस्था सामान्य कर दी गई।
इस घटना के बाद अस्पताल प्रबंधन ने सभी तकनीकी उपकरणों और जेनरेटर सिस्टम की जांच का आदेश दिया है। इसके साथ ही अग्निशमन सुरक्षा व्यवस्था को सुदृढ़ करने की बात भी कही गई है।
मायागंज अस्पताल, जो कि पूरे भागलपुर और आसपास के जिलों के मरीजों के लिए एक प्रमुख स्वास्थ्य केंद्र है, में इस प्रकार की घटना एक चेतावनी के रूप में देखी जा रही है। अस्पताल में हर दिन हजारों मरीज इलाज के लिए आते हैं, ऐसे में इस प्रकार की लापरवाही गंभीर परिणाम दे सकती थी।
प्रत्यक्षदर्शियों में से एक मरीज के परिजन ने बताया, “हम लोग अचानक धुंआ देखकर घबरा गए। कई लोग भागने लगे। लेकिन अस्पताल के सुरक्षाकर्मियों और कर्मचारियों ने हमें भरोसा दिलाया और सुरक्षित स्थान पर पहुंचाया। आग पर काबू पाने के बाद ही हम लोगों को राहत मिली।”
मौके पर पहुंचे अग्निशमन विभाग के अधिकारियों ने भी स्थिति का मुआयना किया और तकनीकी रिपोर्ट तैयार की। विभाग के एक अधिकारी ने बताया कि प्रारंभिक जांच में यह आग शॉर्ट सर्किट की वजह से लगने की संभावना जताई जा रही है, हालांकि विस्तृत रिपोर्ट जांच के बाद ही सामने आएगी।
इस घटना के बाद अस्पताल प्रशासन और जिला प्रशासन से यह अपेक्षा की जा रही है कि वे इस तरह की घटनाओं से बचाव के लिए ठोस कदम उठाएं। नियमित निरीक्षण, उपकरणों की समय पर मरम्मत और कर्मचारियों को आपातकालीन स्थिति से निपटने का प्रशिक्षण दिया जाना आवश्यक है।
इस पूरे घटनाक्रम में सबसे उल्लेखनीय बात यह रही कि कैसे सीमित संसाधनों के बीच भी अस्पताल स्टाफ और सुरक्षाकर्मियों ने सूझबूझ और साहस दिखाकर स्थिति को संभाल लिया। यह दर्शाता है कि थोड़ी सी तत्परता और टीम वर्क से बड़ी से बड़ी आपदा को भी टाला जा सकता है।
**निष्कर्षतः**, मायागंज अस्पताल में शनिवार को घटी यह आग की घटना एक बड़ा सबक है—न केवल अस्पताल प्रशासन के लिए, बल्कि पूरे स्वास्थ्य तंत्र के लिए कि आपदा से निपटने की तैयारी हर वक्त होनी चाहिए। गनीमत रही कि इस बार नुकसान नहीं हुआ, लेकिन भविष्य में सतर्कता ही सुरक्षा की कुंजी होगी।
अपना बिहार झारखंड पर और भी खबरें देखने के लिए इस लिंक पर क्लिक करें