प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बिहार दौरे पर जन सुराज के संस्थापक प्रशांत किशोर ने बड़ा राजनीतिक हमला बोला है। अपने बयानों के लिए अक्सर सुर्खियों में रहने वाले पीके ने 20 जून को कटाक्ष करते हुए कहा कि पीएम का बिहार दौरा कोई असाधारण घटना नहीं है, लेकिन इससे ज्यादा जरूरी सवाल ये है कि वो यहां क्यों आ रहे हैं।

प्रशांत किशोर ने कहा – *“सवाल ये नहीं है कि पीएम बिहार आ रहे हैं, सवाल ये है कि क्यों आ रहे हैं। इसका सीधा जवाब है – बिहार में चुनाव हैं। जब चुनाव आता है, तब दिल्ली से नेताओं को बिहार की याद आती है। पिछले चुनावों से पहले भी यही हुआ था और अब फिर वही दोहराया जा रहा है।”*
उन्होंने दो तीखे सवाल उठाए, जिनका जवाब उन्होंने पीएम मोदी से मांगा है। पहला सवाल केंद्र सरकार द्वारा 2015 में आरा से घोषित उस 1.25 लाख करोड़ रुपये के विशेष पैकेज को लेकर है, जो बिहार के विकास के लिए घोषित किया गया था। पीके ने कहा कि उस पैकेज का क्या हुआ, इस पर आज तक कोई स्पष्ट जवाब नहीं दिया गया है।
*“पीएम मोदी ने 2015 में आरा की सभा में ऐलान किया था कि बिहार के लिए 1.25 लाख करोड़ रुपये का विशेष पैकेज दिया जाएगा। आज 9 साल हो गए हैं। उस घोषणा का क्या हुआ? कितनी राशि जारी हुई? कितने प्रोजेक्ट्स पूरे हुए? इसका कोई लेखा-जोखा जनता के सामने नहीं है,”* किशोर ने कहा।
दूसरा और अधिक विवादित सवाल भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष दिलीप जायसवाल को लेकर था। प्रशांत किशोर ने आरोप लगाया कि सीमांचल के एक सिख अल्पसंख्यक मेडिकल कॉलेज में कभी क्लर्क की नौकरी करने वाले दिलीप जायसवाल आज उसी कॉलेज के मालिक कैसे बन गए?
*“दिलीप जायसवाल, जो कभी एक सिख माइनॉरिटी मेडिकल कॉलेज में क्लर्क थे, आज उस कॉलेज के मालिक हैं। ये चमत्कार कैसे हुआ? क्या उन्होंने कोई लॉटरी जीती या फिर सत्ता की मदद से इतनी बड़ी संपत्ति खड़ी कर ली?”* – प्रशांत किशोर ने तंज कसते हुए सवाल दागा।
पीके ने इस मुद्दे को भ्रष्टाचार और सत्ता के दुरुपयोग से जोड़ते हुए कहा कि बिहार की जनता को अब आंखें खोलनी होंगी। उन्होंने दावा किया कि जन सुराज का उद्देश्य ही ऐसे सवाल उठाना और जवाबदेही तय करना है।
उन्होंने प्रधानमंत्री से आग्रह किया कि अगर वो सच में बिहार की परवाह करते हैं तो इन दो सवालों का जवाब जरूर दें।
उन्होंने आगे कहा, *“प्रधानमंत्री मोदी हर बार विकास की बात करते हैं, लेकिन सवाल ये है कि जो वादे वो खुद करते हैं, क्या उनका हिसाब देने को तैयार हैं? और क्या वो अपनी पार्टी के नेताओं की संपत्ति में हुई असामान्य बढ़ोतरी का स्पष्टीकरण देंगे?”*
बिहार की राजनीति में इस बयान के बाद हलचल तेज हो गई है। जहां जन सुराज समर्थकों ने पीके की बातों का समर्थन किया, वहीं भाजपा खेमे में इस बयान को लेकर नाराजगी देखी जा रही है। हालांकि इस पर दिलीप जायसवाल या भाजपा की ओर से कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया अब तक नहीं आई है।
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि पीके इस तरह के सवालों से बिहार की राजनीति को नई दिशा देने की कोशिश कर रहे हैं। वो सीधे तौर पर भ्रष्टाचार, जवाबदेही और विकास के मुद्दों को चुनावी बहस के केंद्र में लाना चाहते हैं।
वहीं पीएम मोदी के बिहार दौरे पर अब सबकी नजरें टिक गई हैं। क्या वो इन सवालों का जवाब देंगे या इसे नजरअंदाज कर देंगे, यह आने वाला वक्त बताएगा।
अंत में पीके ने एक बार फिर दोहराया कि बिहार की जनता को अब ठोस सवाल पूछने चाहिए और सिर्फ नारों व घोषणाओं से प्रभावित नहीं होना चाहिए।
*“बिहार को भावनाओं नहीं, ठोस विकास की जरूरत है। और इसके लिए सवाल पूछना जरूरी है – फिर चाहे वो किसी भी दल या नेता से हो,”* उन्होंने कहा।
यह बयान आने वाले चुनावों में विपक्ष के लिए बड़ा हथियार बन सकता है।
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