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बिहार एक नया इतिहास रचने की ओर है। **राज्य निर्वाचन आयोग** देश में पहली बार **ई-वोटिंग (मोबाइल से मतदान)** की शुरुआत करने जा रहा है। यह अनूठा प्रयोग **नगरपालिका आम और उप निर्वाचन 2025** के तहत किया जा रहा है। ई-वोटिंग का मुख्य उद्देश्य मतदान प्रतिशत को बढ़ाना और नागरिकों को सुलभ, सुरक्षित और पारदर्शी चुनाव प्रक्रिया उपलब्ध कराना है।

**कहां और कब होगा ई-वोटिंग का प्रयोग?**

राज्य निर्वाचन आयोग के अनुसार, यह ऐतिहासिक प्रयोग फिलहाल तीन जिलों की 6 नगर पंचायतों में किया जा रहा है, जहां **मुख्य पार्षद, उपमुख्य पार्षद और वार्ड पार्षद** पदों के लिए मतदान 28 जून 2025 को होना है। इसके अलावा 28 जिलों के 48 नगर निकायों में भी उपचुनाव होंगे, लेकिन ई-वोटिंग की सुविधा केवल चुनिंदा निकायों में उपलब्ध रहेगी।

**ई-वोटिंग वाले नगर पंचायतों की सूची:**

* पटना जिले से: **खुसरूपुर, नौबतपुर और विक्रम**
* पूर्वी चंपारण से: **नगर महेशी और पकरी दयाल**
* रोहतास से: **कोचस**

इसके अलावा बक्सर, बांका, गया, सारण और सिवान जिलों में भी कुछ क्षेत्रों में ई-वोटिंग की सुविधा मिलेगी।

**मतदाता रजिस्ट्रेशन प्रक्रिया:**

ई-वोटिंग के लिए मतदाताओं का **रजिस्ट्रेशन 16 जून से शुरू हो चुका है**, जो **23 जून 2025** तक चलेगा। इसके साथ ही नगर निकायों में रजिस्ट्रेशन की प्रक्रिया **13 जून से 22 जून** तक निर्धारित की गई है। मतदाता **‘eVoting SECBIHAR’** या **‘eVoting SECBHR’** नामक मोबाइल ऐप को गूगल प्ले स्टोर से डाउनलोड करके रजिस्ट्रेशन कर सकते हैं।

**कौन कर सकता है ई-वोटिंग का इस्तेमाल?**

ई-वोटिंग का लाभ विशेष रूप से उन्हीं मतदाताओं को दिया गया है जो पारंपरिक मतदान केंद्रों तक नहीं पहुंच सकते। इसमें शामिल हैं:

* **80 वर्ष से अधिक आयु वाले बुजुर्ग**
* **दिव्यांग मतदाता**
* **गर्भवती महिलाएं**
* **असाध्य रोगों से ग्रसित लोग**
* **प्रवासी श्रमिक**

एक मोबाइल से अधिकतम **दो लोग रजिस्ट्रेशन कर सकते हैं**, और फिर उसी मोबाइल से ई-वोटिंग करनी होगी।

**ई-वोटिंग की तकनीकी आवश्यकताएं:**

ई-वोटिंग मोबाइल ऐप के लिए आपके पास एक **Android स्मार्टफोन** होना चाहिए, जिसका वर्जन **5.0 लॉलीपॉप या उससे ऊपर** हो। साथ ही मोबाइल में कम से कम **2GB RAM**, **100 MB स्टोरेज** और **सक्रिय सिम कार्ड** होना जरूरी है। मतदान के समय मोबाइल की **बैटरी चार्ज** होनी चाहिए और इंटरनेट कनेक्शन भी चालू होना चाहिए।

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**ई-वोटिंग प्रक्रिया कैसे होगी सुरक्षित?**

राज्य निर्वाचन आयुक्त डॉ. **दीपक प्रसाद** के अनुसार, यह प्रणाली पूरी तरह **सुरक्षित और गोपनीय** है। एक बार जब मतदाता वोट डाल देगा, तो वह वोट **“लॉक”** हो जाएगा और उसे केवल **मतदान दिवस (28 जून)** को **डिकोड** किया जाएगा। इससे यह सुनिश्चित होता है कि किसी को यह पता नहीं चलेगा कि किसने किस उम्मीदवार को वोट दिया है।

**तकनीकी नवाचार की मिसाल बना बिहार:**

बिहार चुनाव आयोग ने इससे पहले भी कई तकनीकी नवाचार किए हैं, जिनमें शामिल हैं:

* बायोमेट्रिक और फेसियल रिकग्निशन से पहचान
* EVM से मतदान
* स्ट्रॉन्ग रूम में डिजिटल लॉक
* OCR टेक्नोलॉजी से मतगणना
* पूरी चुनाव प्रक्रिया का डिजिटलीकरण

अब **ई-वोटिंग** जोड़कर यह एक और बड़ी उपलब्धि के रूप में दर्ज हो रहा है।

**50000 ई-वोटिंग रजिस्ट्रेशन का लक्ष्य:**

राज्य निर्वाचन आयोग ने बताया कि कुल 4.16 लाख मतदाताओं में से 50,200 मतदाताओं को ई-वोटिंग के लिए लक्षित किया गया है। इनमें से अभी तक **10,000 से अधिक मतदाताओं ने रजिस्ट्रेशन कराया है**। इनमें **1800 मतदाता** आम चुनाव के लिए और **8200 उपचुनाव** के लिए ई-वोटिंग कर पाएंगे।

**मतदान और मतगणना की तिथि:**

* **ई-वोटिंग की तिथि:** 28 जून 2025 (सुबह 7:00 बजे से दोपहर 1:00 बजे तक)
* **मतगणना की तिथि:** 30 जून 2025

इसके अतिरिक्त, **पंचायत उपचुनाव 9 जुलाई 2025** को आयोजित किए जाएंगे, जिनमें **2634 सीटों** पर वोट डाले जाएंगे, लेकिन उनमें फिलहाल ई-वोटिंग का उपयोग नहीं होगा।

**राजनीतिक प्रतिक्रियाएं:**

इस पहल की सत्ताधारी पार्टी **जनता दल यूनाइटेड (JDU)** ने सराहना की है। प्रवक्ता **अरविंद निषाद** ने कहा:

> “मोबाइल के माध्यम से मतदान एक अभिनव पहल है। इससे निश्चित तौर पर मतदान प्रतिशत बढ़ेगा और लोगों की भागीदारी मजबूत होगी।”

वहीं **राजद (RJD)** ने इस प्रणाली पर सवाल उठाए हैं। प्रवक्ता **एजाज अहमद** ने कहा:

> “आधुनिक टेक्नोलॉजी का प्रयोग स्वागत योग्य है, लेकिन ई-वोटिंग और पारंपरिक मतदान के बीच तालमेल कैसे बनेगा, इस पर गंभीरता से चर्चा होनी चाहिए। निष्पक्षता को लेकर विपक्ष के उठाए सवालों पर भी ध्यान दिया जाए।”

**टोल-फ्री सहायता और जागरूकता अभियान:**

राज्य निर्वाचन आयोग ने मतदाताओं की मदद के लिए एक **टोल-फ्री नंबर 18003457243** भी जारी किया है। कोई भी व्यक्ति इस पर कॉल कर ई-वोटिंग से संबंधित जानकारी प्राप्त कर सकता है। साथ ही आयोग द्वारा सोशल मीडिया और प्रिंट मीडिया के माध्यम से जागरूकता अभियान भी चलाया जा रहा है।

**निष्कर्ष:**

बिहार का यह ई-वोटिंग प्रयोग देशभर में चुनाव प्रणाली को डिजिटल और अधिक लोकतांत्रिक बनाने की दिशा में एक बड़ा कदम है। यदि यह सफल रहता है तो संभव है कि आने वाले दिनों में अन्य राज्यों और भारत निर्वाचन आयोग द्वारा भी इसे अपनाया जाए। यह न केवल मतदान को आसान बनाएगा, बल्कि ग्रामीण और दूरदराज़ क्षेत्रों के मतदाताओं को भी लोकतंत्र में भागीदारी का एक सशक्त माध्यम प्रदान करेगा।



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