बिहार के वैशाली जिले से इस वक्त की सबसे बड़ी खबर सामने आ रही है, जहां लालगंज प्रखंड कार्यालय में विशेष निगरानी विभाग की टीम ने प्रखंड विकास पदाधिकारी (BDO) नीलम कुमारी को रंगेहाथ 20,000 रुपये की रिश्वत लेते हुए गिरफ्तार कर लिया है। यह कार्रवाई सोमवार को की गई, जिसके बाद पूरे प्रशासनिक महकमे में हड़कंप मच गया है।
जानकारी के अनुसार, यह मामला प्रधानमंत्री आवास योजना से जुड़ा हुआ है। लालगंज प्रखंड के करताहा गांव निवासी मिथिलेश कुमार सिंह ने विशेष निगरानी विभाग को शिकायत दर्ज कराई थी कि उनकी पत्नी के नाम पर प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत एक आवास स्वीकृत हुआ था। इस योजना के तहत पहली किस्त के रूप में ₹40,000 रुपये की राशि उन्हें प्राप्त हो चुकी थी। लेकिन बाकी की किस्त जारी करने के लिए प्रखंड विकास पदाधिकारी नीलम कुमारी द्वारा उनसे रिश्वत की मांग की जा रही थी।
मिथिलेश कुमार ने अपनी शिकायत में स्पष्ट रूप से उल्लेख किया था कि बिना रिश्वत दिए उन्हें अगली किस्त की स्वीकृति नहीं दी जा रही है। उन्होंने इस बात की जानकारी विशेष निगरानी विभाग को दी, जिसके बाद विभाग ने इस पूरे मामले की गहनता से जांच और सत्यापन किया।
विभाग द्वारा की गई प्रारंभिक जांच के बाद मिथिलेश कुमार की शिकायत को सही पाया गया। इसके बाद सोमवार को निगरानी विभाग ने जाल बिछाया और आरोपी BDO को रंगेहाथ पकड़ने की योजना बनाई। योजना के तहत, शिकायतकर्ता मिथिलेश कुमार ने ₹20,000 की राशि लेकर BDO कार्यालय पहुंचे। यह राशि नीलम कुमारी के ड्राइवर अविनाश कुमार ने स्वीकार की और उसे नीलम कुमारी के टेबल पर रख दिया। जैसे ही यह लेन-देन हुआ, निगरानी विभाग की टीम ने तुरंत छापा मार दिया।
विशेष निगरानी विभाग के अधिकारियों ने रिश्वत की राशि को मौके से बरामद किया और प्रखंड विकास पदाधिकारी नीलम कुमारी सहित उनके ड्राइवर अविनाश कुमार को गिरफ्तार कर लिया। इसके बाद दोनों को पटना ले जाया गया, जहां उनसे पूछताछ की जा रही है।
इस पूरे मामले की पुष्टि करते हुए निगरानी विभाग के एक अधिकारी ने मीडिया से बातचीत में कहा,
> “वादी मिथिलेश कुमार सिंह द्वारा की गई शिकायत के सत्यापन के बाद कार्रवाई की गई। आज ₹20,000 की राशि दी गई थी, जिसे प्रखंड विकास पदाधिकारी के निर्देश पर उनके ड्राइवर ने लिया और टेबल पर रख दिया। पैसे की जानकारी BDO को थी और उसे बरामद भी कर लिया गया है। दोनों को गिरफ्तार कर पूछताछ की जा रही है।”
यह मामला राज्य सरकार की उस योजना को भी कटघरे में खड़ा करता है, जिसके तहत ग्रामीणों को मकान निर्माण के लिए वित्तीय सहायता प्रदान की जाती है। प्रधानमंत्री आवास योजना का उद्देश्य गरीब और जरूरतमंद परिवारों को पक्का मकान उपलब्ध कराना है, लेकिन जब इस तरह की भ्रष्ट गतिविधियां सामने आती हैं, तो न केवल योजना की साख पर सवाल उठते हैं, बल्कि जनता का भरोसा भी टूटता है।
लोगों का कहना है कि इस तरह की घटनाएं यह दिखाती हैं कि कैसे जमीनी स्तर पर भ्रष्टाचार जड़ें जमा चुका है। जनता को अपने अधिकारों को पाने के लिए भी अधिकारियों को घूस देनी पड़ रही है। खासकर उन योजनाओं में जिनका सीधा लाभ गरीब तबके को मिलना चाहिए, वहां यदि रिश्वतखोरी का बोलबाला रहेगा तो आम जनता कैसे लाभान्वित होगी?
स्थानीय स्तर पर इस कार्रवाई को लेकर लोगों में मिश्रित प्रतिक्रिया है। एक ओर जहां प्रशासनिक कार्यशैली पर सवाल उठ रहे हैं, वहीं दूसरी ओर विशेष निगरानी विभाग की इस कार्रवाई की सराहना भी हो रही है। लोगों का मानना है कि यदि इस तरह की पारदर्शिता और निगरानी हर विभाग में रखी जाए तो भ्रष्टाचार पर काफी हद तक अंकुश लगाया जा सकता है।
फिलहाल BDO नीलम कुमारी और उनके ड्राइवर अविनाश कुमार से पूछताछ जारी है और जल्द ही इस मामले में और खुलासे होने की उम्मीद है। निगरानी विभाग इस बात की भी जांच कर रहा है कि कहीं इस पूरे प्रकरण में और कोई अधिकारी या कर्मचारी भी तो शामिल नहीं था। यदि ऐसा हुआ तो आने वाले दिनों में और गिरफ्तारियां हो सकती हैं।
इस कार्रवाई से पूरे वैशाली जिले में प्रशासनिक हलचल तेज हो गई है और कई अन्य योजनाओं के लाभार्थी अब निगरानी विभाग से न्याय की आस लगाए बैठे हैं। इस प्रकरण ने एक बार फिर भ्रष्टाचार के खिलाफ सख्त कार्रवाई की आवश्यकता को सामने ला दिया है।
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