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5 जून 2025 की सुबह एक फिल्मी घटनाक्रम तब सामने आया जब स्वतंत्रता सेनानी एक्सप्रेस के एच-1 कोच में यात्रा कर रहे एक संदिग्ध यात्री को दरभंगा रेलवे स्टेशन पर गिरफ्तार किया गया। वह खुद को रेलवे का बड़ा अधिकारी—एडीआरएम (ADRM) समस्तीपुर—बताकर सफर कर रहा था। लेकिन जैसे ही टीटीई ने उससे सवाल-जवाब किए, उसकी कहानी पर संदेह गहराने लगा और जल्द ही पूरे फर्जीवाड़े का पर्दाफाश हो गया।

यह शख्स आलोक कुमार झा नाम से यात्रा कर रहा था और रेलवे में अपने रसूख की झूठी धौंस दिखा रहा था। उसने न केवल बिना टिकट यात्रा की, बल्कि फर्जी पहचान पत्र भी दिखाने की कोशिश की। ट्रेन में अपनी सीट पर लेटे हुए यह व्यक्ति इतना आत्मविश्वास से भरा हुआ था कि जब टीटीई ने उसे बिस्कुट दिया तो उसने चाय की भी मांग कर दी। इस पर टीटीई ने विनम्रता से जवाब दिया कि “भीड़ बहुत ज्यादा है सर।”

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हालांकि, टीटीई को शुरू से ही कुछ गड़बड़ महसूस हुई। जब इस संदिग्ध की जानकारी मंडल सुरक्षा नियंत्रण कक्ष, समस्तीपुर को दी गई, तो तुरंत हरकत में आते हुए दरभंगा रेलवे पुलिस, राजकीय रेल थाना और CTTI की टीम ने फिल्मी अंदाज में कार्रवाई शुरू की। शुक्रवार सुबह करीब 6:30 बजे दरभंगा स्टेशन पर ट्रेन रुकते ही संयुक्त टीम ने चलती ट्रेन से इस फर्जी अधिकारी को हिरासत में ले लिया।

जब पुलिस ने उससे उसका नाम पूछा तो उसने फिर से खुद को आलोक कुमार झा बताया। पहचान पत्र की मांग पर वह बौखला गया और रेलवे सुरक्षा बल के कार्य में बाधा डालने लगा। खुद को बचाने की कोशिश में उसने कहा कि “मैं अभी आलोक कुमार झा से बात करवा देता हूं” और अपने मोबाइल से किसी को कॉल करने लगा। इस पर टीम ने तुरंत सवाल किया कि “आप ही अगर आलोक झा हैं, तो किससे बात करवाएंगे?” यह सुनकर फर्जी अधिकारी ने फोन पर कहा, “आलोक, जरा बात करिए।” जैसे ही यह शब्द मुंह से निकले, दूसरी ओर मौजूद शख्स ने कॉल काट दिया और पूरे नाटक का भंडाफोड़ हो गया।

इसके बाद जब पुलिस ने उससे सख्ती से पूछताछ की, तो उसने अपना असली नाम दुर्गा कांत चौधरी बताया। वह मधुबनी जिले के नोहान बढ़ियाम गांव का निवासी है। सीटीटीआई दरभंगा के अधिकारी चंदेश्वर राय ने इस पूरे मामले की आधिकारिक शिकायत दर्ज कराई है।

इस संबंध में आरपीएफ दरभंगा के पोस्ट इंचार्ज पुखराज मीना ने जानकारी दी कि आरोपी को समस्तीपुर रेलवे कोर्ट में पेश किया जाएगा। आगे की कार्रवाई जारी है।

इस पूरी घटना ने रेलवे सुरक्षा बल की सतर्कता और कार्यकुशलता को एक बार फिर साबित कर दिया है। रेलवे प्रशासन लगातार फर्जीवाड़े और असामाजिक गतिविधियों पर नजर बनाए हुए है। यात्रियों की सुरक्षा और ट्रेनों में अनुशासन बनाए रखने के लिए समय-समय पर सघन जांच और ऑपरेशन चलाए जाते हैं।

यह पहली बार नहीं है जब इस तरह का मामला सामने आया हो। पूर्व मध्य रेलवे द्वारा हाल ही में “ऑपरेशन समय” और “ऑपरेशन महिला सुरक्षा” नामक दो बड़े अभियान 1 से 31 मई 2025 के बीच चलाए गए। इन अभियानों के तहत हजारों ट्रेनों में जांच की गई और सुरक्षा में लापरवाहियों को दूर किया गया।

रेलवे अधिकारियों ने यात्रियों से अपील की है कि यात्रा के दौरान किसी भी संदिग्ध गतिविधि की सूचना तुरंत रेलवे सुरक्षा बल को दें। किसी भी अधिकारी की पहचान पर शक होने पर उसका पहचान पत्र जरूर जांचें और जरूरत पड़ने पर नजदीकी पुलिस या रेलवे अधिकारी से संपर्क करें।

इस घटना ने यह सिखाया कि थोड़ी सी सजगता और त्वरित कार्रवाई कैसे एक बड़े फर्जीवाड़े को रोक सकती है। यदि टीटीई समय पर सतर्क न होता, तो यह व्यक्ति रेलवे की गरिमा और सुरक्षा व्यवस्था को ठेंगा दिखाते हुए यात्रा करता रहता। ऐसे में रेलवे की सुरक्षा टीम की तत्परता को पूरे देश से सराहना मिल रही है।

 

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