भागलपुर जिले के नवगछिया अनुमंडल अंतर्गत रंगरा अंचल में म्यूटेशन से जुड़े एक विवाद ने हाल ही में तूल पकड़ लिया है। इस विवाद की पृष्ठभूमि में मदरौनी पंचायत के मुखिया अजित सिंह उर्फ मुन्ना द्वारा सोशल मीडिया पर साझा किया गया एक वीडियो है, जिसमें उन्होंने अंचलाधिकारी आशीष कुमार पर गंभीर आरोप लगाए हैं। वीडियो में उन्होंने म्यूटेशन प्रक्रिया को पक्षपातपूर्ण बताते हुए सीओ पर निजी स्वार्थ से काम करने का आरोप लगाया है।
इस वीडियो के वायरल होने के बाद अंचलाधिकारी आशीष कुमार ने पूरे प्रकरण पर विस्तार से सफाई दी है। उन्होंने सोशल मीडिया पर लगाए गए सभी आरोपों को सिरे से खारिज करते हुए इसे “झूठा और भ्रामक प्रचार” करार दिया है। उन्होंने स्पष्ट शब्दों में कहा कि म्यूटेशन से जुड़ा निर्णय पूरी तरह से कानूनी प्रक्रिया, उपलब्ध दस्तावेजों और अभिलेखीय साक्ष्यों के आधार पर लिया गया था।
सीओ आशीष कुमार ने बताया कि मुखिया अजित सिंह ने हाल ही में एक परिचित के म्यूटेशन मामले में व्यक्तिगत स्तर पर हस्तक्षेप करने की कोशिश की थी। जिस भूमि का म्यूटेशन किया जाना था, वह पांच हिस्सेदारों की साझा संपत्ति है, जिसका अब तक विधिवत बंटवारा नहीं हुआ है। ऐसे में म्यूटेशन प्रक्रिया को पूरा करना विधिक रूप से संभव नहीं था।

जांच में यह भी सामने आया कि विक्रेता विक्रम कुमार सिंह ने अपने हिस्से से अधिक भूमि की बिक्री कर दी थी, जिस पर अन्य हिस्सेदार – मिथलेश सिंह, अखलेश सिंह और खगेश सिंह – ने आपत्ति दर्ज कराई थी। दस्तावेजों की गहन जांच के बाद यह स्पष्ट हुआ कि विवादित भूमि का म्यूटेशन फिलहाल मान्य नहीं है। इसलिए नियमानुसार म्यूटेशन रिजेक्ट कर दिया गया।
सीओ आशीष कुमार ने कहा, “मैं पूरी ईमानदारी और पारदर्शिता के साथ अपने कर्तव्यों का निर्वहन कर रहा हूं। सोशल मीडिया पर मेरी छवि को धूमिल करने की कोशिश की जा रही है। यदि इस वीडियो के कारण मुझे मानसिक या प्रशासनिक कठिनाई का सामना करना पड़ा, तो मैं मदरौनी पंचायत के मुखिया के विरुद्ध मानहानि का मुकदमा भी दायर करूंगा।”
उन्होंने यह भी बताया कि रंगरा अंचल कार्यालय में म्यूटेशन प्रक्रिया पूरी तरह पारदर्शी और नियमों के तहत संचालित हो रही है। उन्होंने आंकड़ों के साथ जानकारी साझा करते हुए बताया कि वर्तमान में अंचल कार्यालय के डोंगल सिस्टम में कुल 9 म्यूटेशन केस लंबित हैं। इनमें से 2 मामले अभी 60 दिनों की सीमा के भीतर हैं, जबकि 1 मामला 78 दिनों का हो चुका है, जिसका शीघ्र निस्तारण किया जा रहा है। शेष मामलों में अभी निर्धारित समय सीमा पूरी नहीं हुई है और प्रक्रिया नियमित रूप से जारी है।
सीओ ने कहा कि जिले से प्राप्त दिशा-निर्देशों के अनुसार सभी लंबित मामलों का शीघ्र समाधान किया जा रहा है, ताकि लोगों को म्यूटेशन जैसी महत्वपूर्ण प्रक्रिया में अनावश्यक परेशानी का सामना न करना पड़े। उन्होंने स्पष्ट किया कि सभी निर्णय पूरी तरह से विधिसम्मत प्रक्रिया के तहत लिए जा रहे हैं और कोई भी फैसला किसी के दबाव में या व्यक्तिगत हित में नहीं होता।
उन्होंने आम लोगों से अपील की कि वे किसी भी प्रकार की अफवाह या भ्रामक जानकारी से भ्रमित न हों। “म्यूटेशन एक तकनीकी और संवेदनशील प्रक्रिया है, जो दस्तावेजों की शुद्धता, साझेदारी की स्थिति, बिक्री पत्र की वैधता आदि पर निर्भर करती है। हमारी प्राथमिकता है कि हर मामले का निष्पादन ससमय हो, ताकि किसी भी पक्ष को अन्याय का अनुभव न हो,” – उन्होंने कहा।
अंचलाधिकारी की इस विस्तृत प्रतिक्रिया के बाद यह स्पष्ट हो गया है कि सोशल मीडिया पर फैलाए जा रहे आरोपों का कोई ठोस आधार नहीं है। प्रशासन ने भी लोगों से आग्रह किया है कि वे किसी भी प्रकार की शिकायत या जानकारी के लिए सीधे अंचल कार्यालय में संपर्क करें, जिससे पारदर्शिता बनी रहे और अफवाहों को बढ़ावा न मिले।
विवाद के इस पूरे मामले में जहां एक ओर प्रशासनिक पक्ष ने कानूनी पहलुओं को लेकर स्पष्टता प्रदान की है, वहीं दूसरी ओर यह भी दर्शाया है कि सोशल मीडिया के माध्यम से जनप्रतिनिधियों द्वारा तथ्यहीन प्रचार करना एक खतरनाक प्रवृत्ति बनती जा रही है। इससे न केवल जनता भ्रमित होती है, बल्कि प्रशासनिक कार्यों में भी बाधा आती है।
अंततः यह कहा जा सकता है कि रंगरा अंचलाधिकारी आशीष कुमार ने जिस स्पष्टता और तथ्यों के आधार पर अपना पक्ष रखा है, वह ना केवल म्यूटेशन विवाद की सच्चाई को सामने लाता है, बल्कि यह भी संदेश देता है कि प्रशासनिक प्रक्रिया को प्रभावित करने की कोशिशें सफल नहीं होंगी। वहीं, अब यह देखना होगा कि मुखिया द्वारा लगाए गए आरोपों को लेकर कोई कानूनी कार्रवाई होती है या नहीं।
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