सहरसा जिले से एक चौंकाने वाली घटना सामने आई है, जहां सिमरी बख्तियारपुर थाना क्षेत्र के अंतर्गत आने वाले ढाब गांव में तीन सगी बहनों के साथ गांव के ही कुछ दबंगों ने बेरहमी से मारपीट की। इस हमले में तीनों बहनें गंभीर रूप से घायल हो गईं, जिन्हें इलाज के लिए तत्काल सहरसा सदर अस्पताल में भर्ती कराया गया है। इस मामले में पीड़ित महिलाओं ने गांव के ही देवन यादव, राहुल यादव, किशोर यादव समेत अन्य लोगों पर गंभीर आरोप लगाए हैं।
पीड़ित बहनों का कहना है कि ये हमला किसी आपसी विवाद का परिणाम नहीं था, बल्कि पहले से रची गई साजिश के तहत उन्हें निशाना बनाया गया। उन्होंने बताया कि आरोपितों ने घर में घुसकर न केवल गाली-गलौज की, बल्कि लाठी-डंडों और अन्य हथियारों से बेरहमी से पिटाई की। इस हमले के दौरान पीड़ितों ने मदद के लिए गुहार लगाई, लेकिन कोई भी मदद के लिए आगे नहीं आया। घटना के बाद जब परिजन मौके पर पहुंचे तो घायल महिलाओं को आनन-फानन में अस्पताल ले जाया गया।
घायल बहनों ने स्थानीय सिमरी बख्तियारपुर थाने में आरोपियों के खिलाफ लिखित शिकायत दी, लेकिन पुलिस की तरफ से अब तक कोई कार्रवाई नहीं की गई है। पीड़ितों का आरोप है कि पुलिस मामले को दबाने की कोशिश कर रही है और आरोपियों को संरक्षण दे रही है। पुलिस की इस निष्क्रियता से नाराज होकर पीड़ित महिलाओं ने कोसी रेंज के डिप्टी इंस्पेक्टर जनरल (DIG) को लिखित आवेदन देकर न्याय की मांग की है।
DIG को दिए गए आवेदन में पीड़ित महिलाओं ने पुलिस की लापरवाही का जिक्र करते हुए बताया कि थाना प्रभारी ने उनकी शिकायत को गंभीरता से नहीं लिया और आरोपियों के खिलाफ कोई गिरफ्तारी नहीं की। महिलाओं ने आशंका जताई है कि यदि आरोपियों को जल्द गिरफ्तार नहीं किया गया, तो वे दोबारा हमला कर सकते हैं, जिससे उनकी जान को खतरा बना हुआ है।
घटना को लेकर स्थानीय लोगों में भी भारी आक्रोश देखा जा रहा है। ग्रामीणों का कहना है कि ढाब गांव में इस तरह की घटनाएं पहले भी हो चुकी हैं, लेकिन पुलिस की सुस्ती और पक्षपातपूर्ण रवैये के कारण अपराधियों के हौसले बुलंद होते जा रहे हैं। ग्रामीणों ने प्रशासन से मांग की है कि दोषियों के खिलाफ कड़ी से कड़ी कार्रवाई की जाए और पुलिस पर भी जांच की जाए, जिससे पीड़ितों को न्याय मिल सके और गांव में कानून का डर कायम रह सके।
इस मामले ने एक बार फिर यह सवाल खड़ा कर दिया है कि जब पीड़ित महिलाएं पुलिस थाने जाकर अपनी आपबीती सुनाती हैं और फिर भी कार्रवाई नहीं होती, तो न्याय की उम्मीद किससे की जाए? सहरसा पुलिस की निष्क्रियता ने न सिर्फ पीड़ितों का भरोसा तोड़ा है, बल्कि पूरे गांव में भय और असंतोष का माहौल खड़ा कर दिया है।
अब देखना यह है कि DIG स्तर पर दी गई शिकायत के बाद प्रशासन क्या कदम उठाता है और दोषियों के खिलाफ कब तक कार्रवाई होती है। फिलहाल पीड़ित बहनों का इलाज सदर अस्पताल में चल रहा है और उनका परिवार न्याय की आस में दिन-रात अधिकारियों के चक्कर काट रहा है।
