दरभंगा, बिहार – अलीनगर विधानसभा क्षेत्र से भाजपा विधायक मिश्री लाल यादव को दरभंगा कोर्ट से बड़ा झटका लगा है। दरभंगा व्यवहार न्यायालय के अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश (ADJ-3) सुमन कुमार दिवाकर की अदालत ने उनके द्वारा दायर की गई अपील को खारिज कर दिया है और पहले से सुनाई गई तीन महीने की सजा को बरकरार रखते हुए उन्हें जेल भेजने का आदेश दिया है। इस फैसले से मिश्री लाल यादव की विधायकी पर तलवार लटक गई है।
विधायक मिश्री लाल यादव पर वर्ष 2019 में दर्ज एक आपराधिक मामले में भारतीय दंड संहिता की धारा 323 (जानबूझकर चोट पहुंचाना) के तहत आरोप सिद्ध हुए थे। कोर्ट ने उन्हें इस मामले में तीन महीने की सजा और 500 रुपये का जुर्माना सुनाया था। इसके खिलाफ विधायक ने अपील दायर की थी, जिसे अदालत ने खारिज कर दिया।
लोक अभियोजक रेणु झा के अनुसार, इस मामले में कुल दो आरोपी थे – विधायक मिश्री लाल यादव और गोसाईं टोल पचाढ़ी निवासी सुरेश यादव। दोनों को दोषी ठहराते हुए एमपी/एमएलए कोर्ट ने सजा सुनाई थी। यह फैसला रैयाम थाना कांड संख्या 04/19 पर आधारित विचारण वाद संख्या 884/23 में सुनाया गया है।
मामले का इतिहास छह साल पुराना है। समैला निवासी उमेश मिश्रा ने 29 जनवरी 2019 को कथित आपराधिक हमले की शिकायत दर्ज कराई थी। उन्होंने आरोप लगाया था कि उन्हें घेरकर फरसे से हमला किया गया और लूटपाट की घटना को अंजाम दिया गया। इसके आधार पर आईपीसी की विभिन्न धाराओं में प्राथमिकी दर्ज की गई थी।
इस केस के दूसरे पहलू में धारा 506 (आपराधिक धमकी) के तहत सजा बढ़वाने की मांग को लेकर उमेश मिश्रा द्वारा एक याचिका दायर की गई है। इस याचिका पर 27 मई को कोर्ट फैसला सुनाएगा। जानकारों के अनुसार, अगर कोर्ट सजा को तीन महीने से बढ़ाकर दो साल तक कर देता है, तो मिश्री लाल यादव की विधायकी स्वतः समाप्त हो सकती है। इसके अलावा, वह आगामी विधानसभा चुनावों में भी भाग नहीं ले पाएंगे, क्योंकि दो साल या उससे अधिक की सजा पाए व्यक्ति को जनप्रतिनिधित्व अधिनियम के तहत चुनाव लड़ने से अयोग्य घोषित कर दिया जाता है।
वहीं, विधायक मिश्री लाल यादव ने अदालत के फैसले पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा, “हम न्यायालय का सम्मान करते हैं और उनके फैसले को स्वीकार करते हैं। कोर्ट ने पुराने फैसले को बरकरार रखा है, और आगामी सुनवाई 27 मई को निर्धारित है।”
इस प्रकरण ने बिहार की राजनीति में हलचल मचा दी है, खासकर भाजपा के लिए यह बड़ा राजनीतिक झटका माना जा रहा है। यदि आगामी सुनवाई में सजा बढ़ती है, तो मिश्री लाल यादव की राजनीतिक भविष्य पर गंभीर असर पड़ सकता है।
