सोशल मीडिया के इस दौर में अक्सर सास-बहू के रिश्ते में खटपट की खबरें सामने आती हैं, लेकिन बिहार के सुपौल जिले से एक ऐसा प्रेरणादायक उदाहरण सामने आया है जिसने इस रिश्ते की नई परिभाषा गढ़ दी है। यहां एक सास ने अपनी बहू को पढ़ाई के लिए प्रोत्साहित करते हुए खुद स्कूल जाकर उसका नौवीं कक्षा में दाखिला करवाया। यह घटना न सिर्फ परिवार के भीतर सहयोग की मिसाल बनी, बल्कि समाज में एक सकारात्मक संदेश भी फैलाया।
सुपौल की रहने वाली यह सास स्वयं एक प्राथमिक विद्यालय में रसोईया के पद पर कार्यरत हैं। उन्होंने बताया कि उनकी दो बेटियाँ हैं, जिन्हें आर्थिक तंगी के बावजूद इंटर तक पढ़ाया और फिर उनकी शादी करवाई। सास का मानना है कि बहू और बेटी में कोई फर्क नहीं होना चाहिए। इसी सोच को आगे बढ़ाते हुए उन्होंने अपनी नवविवाहिता बहू की पढ़ाई को प्राथमिकता दी और स्कूल जाकर उसका नामांकन करवाया।
बहू ने बताया कि वह पहले आठवीं कक्षा तक पढ़ाई कर चुकी थी और आगे पढ़ने की इच्छा थी, लेकिन 14 अप्रैल को उसकी शादी हो गई। जब वह ससुराल आई, तो उसने अपने पति और सास-ससुर से पढ़ाई जारी रखने की इच्छा जाहिर की। ससुरालवालों ने इस इच्छा को न केवल स्वीकारा बल्कि पूरा साथ भी दिया। बहू का कहना है कि उसे अपनी सास से बिल्कुल मां जैसा स्नेह और सहयोग मिल रहा है, जिससे उसका पढ़ाई के प्रति जज्बा और भी बढ़ गया है। उसका सपना है कि वह कम से कम इंटर तक की पढ़ाई पूरी करे।
स्कूल की शिक्षिका स्मिता ठाकुर ने जब सास को बहू के एडमिशन के लिए आते देखा तो उन्होंने इस पल को मोबाइल में कैद कर लिया। यह वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गया और इसे शिक्षा विभाग की आधिकारिक वेबसाइट पर भी साझा किया गया। इस अनोखी पहल की पूरे क्षेत्र में सराहना हो रही है।
विद्यालय के शिक्षक-शिक्षिकाएं भी इस प्रयास से काफी प्रभावित हुए और उन्होंने मिलकर एक वर्ष की फीस का प्रबंध स्वयं किया। प्रभारी प्रधानाध्यापक राजीव कुमार रमन सहित अन्य शिक्षकों ने बताया कि इस गरीब परिवार की बहू को एक दिलेर और समझदार सास मिली है, जो उसके उज्जवल भविष्य की नींव रख रही है।
यह कहानी न केवल महिलाओं के सशक्तिकरण की मिसाल है, बल्कि यह भी दर्शाती है कि सास-बहू का रिश्ता केवल संघर्ष का नहीं, बल्कि आपसी सहयोग और प्रगति का भी हो सकता है। ऐसी सोच समाज को आगे बढ़ाने में अहम भूमिका निभाती है।