जैसे-जैसे बिहार विधानसभा चुनाव 2025 की तारीख नजदीक आ रही है, वैसे-वैसे राज्य में राजनीतिक सरगर्मियां तेज होती जा रही हैं। हर राजनीतिक दल अपनी रणनीति बनाने और जन समर्थन जुटाने में जुटा हुआ है। इसी क्रम में लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) भी पूरी ताकत के साथ मैदान में उतरने को तैयार है। खास बात यह है कि पार्टी अब केवल सहयोगी भूमिका में नहीं, बल्कि नेतृत्वकारी भूमिका में दिखने की कोशिश कर रही है। हाल ही में पटना की सड़कों पर लगे एक पोस्टर ने इस मंशा को और स्पष्ट कर दिया है।

पोस्टर ने बटोरी सुर्खियां

लोजपा (रामविलास) के कार्यकर्ताओं द्वारा लगाए गए इस पोस्टर में पार्टी प्रमुख चिराग पासवान को मुख्यमंत्री पद के दावेदार के रूप में प्रोजेक्ट किया गया है। पोस्टर में चिराग पासवान की एक भव्य तस्वीर है, जिसमें वे सिर पर मुकुट पहने हुए नजर आ रहे हैं। साथ ही स्लोगन दिया गया है— “दंगा फसाद ना बवाल चाहिए, बिहार का सीएम चिराग चाहिए” और “बिहार कर रहा है ताजपोशी का इंतजार”। यह संदेश न केवल चिराग को एक सशक्त नेता के रूप में दर्शाता है, बल्कि यह भी संकेत देता है कि पार्टी अब राज्य की सत्ता में हिस्सेदारी से आगे बढ़कर नेतृत्व की दावेदारी कर रही है।

पोस्टर किसने लगवाया?

यह पोस्टर शेखपुरा जिले के लोजपा (रामविलास) अध्यक्ष इमाम गजाली द्वारा लगवाया गया है। पोस्टर में इमाम गजाली की तस्वीर के साथ एक और दिलचस्प लाइन लिखी गई है— “शेर का कलेजा लेकर ऊपर वाला भेजा”, जो पार्टी के आत्मविश्वास और चिराग की छवि को एक आक्रामक नेतृत्वकर्ता के तौर पर स्थापित करने की कोशिश है। यही नहीं, पोस्टर में इमाम गजाली चिराग पासवान को मुकुट पहनाते भी नजर आ रहे हैं, जो एक प्रतीकात्मक राजनीतिक संदेश देता है कि पार्टी चिराग को मुख्यमंत्री के रूप में देखना चाहती है।

राजनीतिक गलियारों में चर्चा तेज

इस पोस्टर के सामने आने के साथ ही बिहार की राजनीति में हलचल मच गई है। सवाल उठने लगे हैं कि क्या एनडीए में सबकुछ ठीक है? अगर नीतीश कुमार ही गठबंधन का चेहरा बने रहेंगे, तो फिर सहयोगी दल के नेता मुख्यमंत्री पद के लिए पोस्टर क्यों लगा रहे हैं? क्या यह लोजपा (रामविलास) का दबाव बनाने का तरीका है या फिर अपने राजनीतिक कद को बढ़ाने की रणनीति? यह सभी बातें अब चर्चा का विषय बन गई हैं।

लोकसभा में शानदार प्रदर्शन के बाद बढ़ा आत्मविश्वास

लोकसभा चुनाव 2024 में लोजपा (रामविलास) ने शानदार प्रदर्शन करते हुए 100% स्ट्राइक रेट हासिल किया था। पार्टी ने जितनी भी सीटों पर चुनाव लड़ा, सभी पर विजय प्राप्त की। इस जीत ने चिराग पासवान को न केवल राजनीतिक रूप से मजबूत किया, बल्कि पार्टी के भीतर और बाहर उनकी स्वीकार्यता भी बढ़ाई है। यही कारण है कि अब पार्टी विधानसभा चुनाव में भी बड़ी भूमिका की तैयारी कर रही है।

विधानसभा चुनाव में रणनीति क्या होगी?

लोजपा (रामविलास) अब केवल सीमित सीटों तक सिमटी नहीं रहना चाहती। पार्टी की योजना है कि विधानसभा चुनाव में वह सम्मानजनक संख्या में सीटों की मांग करे और सत्ता की भागीदारी सुनिश्चित करे। चिराग पासवान की छवि को सीएम फेस के रूप में आगे बढ़ाकर पार्टी अपनी मांग को और मजबूत बनाना चाहती है। यह रणनीति न केवल पार्टी कार्यकर्ताओं में जोश भरती है, बल्कि जनमानस में भी एक अलग संदेश देती है।

निष्कर्ष

बिहार की राजनीति में पोस्टरबाजी कोई नई बात नहीं है, लेकिन चिराग पासवान को सीएम पद के दावेदार के रूप में पेश करना इस बार के चुनाव में लोजपा (रामविलास) की महत्वाकांक्षा को दर्शाता है। पार्टी अब सहयोगी दल के रूप में नहीं, बल्कि एक निर्णायक शक्ति के रूप में उभरना चाहती है। आने वाले दिनों में यह देखना दिलचस्प होगा कि एनडीए इस नई चुनौती से कैसे निपटता है और क्या चिराग पासवान वाकई बिहार की सत्ता के केंद्र में आने में सफल होते हैं या नहीं।

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