तिलकामांझी भागलपुर विश्वविद्यालय के स्नातकोत्तर भूगोल विभाग द्वारा आयोजित दो दिवसीय अंतरराष्ट्रीय सेमिनार का समापन 12 अप्रैल 2025 को हुआ। सेमिनार के दूसरे दिन प्रारंभिक सत्र में ऑनलाइन माध्यम से जापान के डॉ. संतोष पांडे, फ्रांस के डॉ. अमित कुमार पांडे, बांग्लादेश के डॉ. फारूक हुसैन और लखनऊ की डॉ. आकाश पांडे ने विविध विषयों पर अपने विचार प्रस्तुत किए।
विभाग के हाल एक और हाल दो में समानांतर रूप से ऑफलाइन शोध पत्र प्रस्तुत किए गए। आयोजन सचिव डॉ. प्रशांत कुमार ने बताया कि दो दिनों में कुल 167 शोध पत्र प्रस्तुत किए गए, जिनमें 159 ऑनलाइन और 8 ऑफलाइन माध्यम से रहे। उन्होंने समापन सत्र में जानकारी दी कि इन शोध पत्रों में से उत्कृष्ट शोध कार्यों को मिलाकर एक सम्पादित पुस्तक प्रकाशित की जाएगी।
समापन समारोह की अध्यक्षता पूर्व विभागाध्यक्ष प्रो. उमेश प्रसाद सिंह ने की। अपने अध्यक्षीय संबोधन में उन्होंने कहा कि इस प्रकार के अंतरराष्ट्रीय सेमिनार शोधार्थियों के लिए प्रेरणास्रोत होते हैं और उन्हें वैश्विक दृष्टिकोण प्रदान करते हैं। उपाध्यक्ष के रूप में उपस्थित डॉ. एस. एन. पांडे ने सेमिनार की सराहना करते हुए कहा कि किसी भी सेमिनार की सफलता में विषय का सही चयन, कुशल टीमवर्क, सहयोग, और छात्रों की अनुशासित भागीदारी महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है।
विभागाध्यक्ष डॉ. अनिरुद्ध कुमार ने अतिथियों का स्वागत किया और विभाग के तृतीय एवं चतुर्थवर्गीय कर्मियों को अंगवस्त्र व मोमेंटो भेंटकर सम्मानित किया। कार्यक्रम का संचालन डॉ. राकेश ने किया तथा धन्यवाद ज्ञापन भी विभागाध्यक्ष डॉ. अनिरुद्ध कुमार ने ही किया।
इस अवसर पर प्रतिभागियों में किरण कुमारी, प्रगति सहित कई विद्यार्थियों ने अपने विचार साझा किए। सेमिनार में बिहार, झारखंड, उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल, उत्तराखंड, बांग्लादेश, जापान व फ्रांस से विद्वानों ने भाग लिया।
डॉ. स्वाति यादव, डॉ. रविशंकर चौधरी, डॉ. अजीत कुमार, डॉ. चंदन कुमार, डॉ. मुकुल कुमार, डॉ. मुकुल आनंद, डॉ. कुमार विमल, डॉ. प्रियंका, डॉ. राधा, डॉ. प्रवीण, डॉ. गौतम पांडे, डॉ. करुणा राज, डॉ. स्वेता पाठक, डॉ. जैनेन्द्र कुमार समेत शशांक, सोनम, साजिया, शुभम, सौरभ, प्रशांत, आयुष आदि गणमान्य लोग मौजूद रहे।
इस दो दिवसीय आयोजन की सबसे महत्वपूर्ण बात यह रही कि सभी प्रतिभागियों ने इस निष्कर्ष पर बल दिया कि *हर व्यक्ति को पर्यावरणीय क्षरण के बिना नवाचार को अपनाना चाहिए, जिससे सतत विकास में सक्रिय भूमिका निभाई जा सके।*
