बिहार की राजधानी पटना से एक बड़ी और सनसनीखेज खबर सामने आ रही है। राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के दानापुर से विधायक रीतलाल यादव के कई ठिकानों पर पटना पुलिस और स्पेशल टास्क फोर्स (STF) की टीम ने एक साथ छापेमारी की है। इस अचानक हुई कार्रवाई से इलाके में हड़कंप मच गया है और स्थानीय लोगों में खलबली मची हुई है।
जानकारी के अनुसार, यह छापेमारी पटना के कोथवा क्षेत्र में स्थित विधायक रीतलाल यादव के आवास समेत अभियंता नगर में मौजूद उनके अन्य ठिकानों पर भी की जा रही है। इस कार्रवाई का नेतृत्व सिटी एसपी पश्चिमी आर एस सरथ और दानापुर के एएसपी भानु प्रताप सिंह कर रहे हैं। मौके पर भारी संख्या में पुलिस बल के जवानों और एसटीएफ की टीमों की तैनाती की गई है, जिससे पूरे इलाके में सुरक्षा व्यवस्था कड़ी कर दी गई है।
सूत्रों से प्राप्त जानकारी के मुताबिक, यह छापेमारी एक व्यक्ति की शिकायत के आधार पर की जा रही है। शिकायत पर प्राथमिकी दर्ज की गई थी और इसके बाद न्यायालय से सर्च वारंट प्राप्त करने के बाद यह छापेमारी की जा रही है। सिटी एसपी आर एस सरथ ने बताया कि यह छापेमारी पूरी तरह से न्यायिक प्रक्रिया के तहत की जा रही है और सभी कानूनी औपचारिकताओं का पालन किया जा रहा है।
उन्होंने बताया कि पुलिस हर पहलू की गंभीरता से जांच कर रही है और सभी दस्तावेजों की बारीकी से जांच की जा रही है। मौके पर सिटी एसपी, एसडीपीओ समेत कई थानों की पुलिस और अन्य वरिष्ठ अधिकारी मौजूद हैं और तलाशी अभियान जारी है।
हालांकि, इस कार्रवाई को लेकर विधायक रीतलाल यादव ने कड़ी प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने पुलिस कार्रवाई को बेवजह बताया और कहा कि यह छापेमारी राजनीतिक दुर्भावना से प्रेरित है। उन्होंने आरोप लगाया कि पुलिस के पास कोई सर्च वारंट नहीं था और उन्हें तथा उनके परिवार की महिलाओं को बेवजह परेशान किया जा रहा है। रीतलाल यादव ने यह भी कहा कि वह कानून का सम्मान करते हैं, लेकिन इस तरह की कार्रवाई से उनकी छवि को जानबूझकर धूमिल करने की कोशिश की जा रही है।
विधायक का यह भी कहना है कि पिछले कुछ समय से उन्हें राजनीतिक रूप से टारगेट किया जा रहा है और इस छापेमारी के पीछे कुछ लोगों की साजिश है। उन्होंने दावा किया कि उनके खिलाफ कोई भी अवैध गतिविधि नहीं है और पुलिस अगर निष्पक्ष जांच करे, तो सच खुद सामने आ जाएगा।
वहीं दूसरी ओर, पुलिस अधिकारियों का कहना है कि वे पूरी पारदर्शिता के साथ काम कर रहे हैं और जांच प्रक्रिया को निष्पक्ष रूप से आगे बढ़ाया जा रहा है। उन्होंने यह भी कहा कि अगर किसी को इस कार्रवाई पर कोई आपत्ति है, तो वह न्यायालय की शरण ले सकता है।
स्थानीय लोगों के बीच भी इस छापेमारी को लेकर तरह-तरह की चर्चाएं हो रही हैं। कुछ लोगों का कहना है कि यह कार्रवाई लंबे समय से चल रही जांच का हिस्सा है, जबकि कुछ इसे चुनावी मौसम से जोड़कर देख रहे हैं। उल्लेखनीय है कि बिहार में राजनीतिक सरगर्मियां इन दिनों तेज हैं और ऐसे में इस तरह की छापेमारी को लेकर सियासी पारा भी चढ़ गया है।
आरजेडी के अन्य नेताओं ने भी इस कार्रवाई पर सवाल खड़े किए हैं और इसे विपक्ष की आवाज दबाने की साजिश बताया है। राजद प्रवक्ताओं ने बयान जारी कर कहा है कि रीतलाल यादव एक जनप्रिय नेता हैं और उन्हें बदनाम करने की कोशिश की जा रही है। पार्टी नेतृत्व ने इस मामले पर उच्च स्तरीय जांच की मांग की है और कहा है कि अगर पुलिस के पास कोई ठोस सबूत हैं, तो उन्हें सार्वजनिक किया जाए।
इस बीच, छापेमारी जारी है और पुलिस की कई टीमें एक साथ अलग-अलग ठिकानों की तलाशी ले रही हैं। बताया जा रहा है कि इस कार्रवाई में कई महत्वपूर्ण दस्तावेज, फाइलें और इलेक्ट्रॉनिक डिवाइसेज जब्त की गई हैं, जिनकी जांच की जा रही है। हालांकि पुलिस ने अभी तक कोई आधिकारिक बयान जारी कर बरामद सामान की पुष्टि नहीं की है।
पटना पुलिस और एसटीएफ की यह संयुक्त कार्रवाई अब राज्य भर में चर्चा का विषय बन गई है। इस पर राजनीतिक दलों की प्रतिक्रिया भी सामने आ रही है और आने वाले समय में यह मामला राजनीतिक रूप से और भी गरमाने की संभावना है।
फिलहाल, पुलिस कार्रवाई जारी है और प्रशासन की ओर से यह संकेत दिया गया है कि कोई भी व्यक्ति कानून से ऊपर नहीं है और यदि कोई अपराध में संलिप्त पाया जाता है, तो उसके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी। अब देखना यह है कि इस छापेमारी के बाद क्या कुछ नया निकलकर सामने आता है और क्या पुलिस को अपने उद्देश्य में सफलता मिलती है या नहीं।
इस घटनाक्रम पर राज्य की राजनीति और कानून व्यवस्था की दिशा और दशा दोनों पर असर पड़ सकता है। आने वाले दिनों में यह मामला कितना तूल पकड़ता है, इस पर सभी की नजरें टिकी हुई हैं।