पूरा मामला विस्तार से:
बिहार बोर्ड की मैट्रिक परीक्षा इस समय पूरे राज्य में जोरों-शोरों से चल रही है। इस बीच बांका जिले से एक अनोखा और हैरान करने वाला मामला सामने आया है। यहां एक छात्र को गलती से लड़कियों के परीक्षा केंद्र पर बैठकर परीक्षा देनी पड़ रही है। छात्र का नाम मोहन पासवान है और वह इस पूरी स्थिति में अपने आप को असहज महसूस कर रहा है।
दरअसल, बांका नगर पंचायत क्षेत्र स्थित एलएनडी प्रोजेक्ट बालिका प्लस टू स्कूल को इस बार छात्राओं के लिए रिजर्व किया गया है। लेकिन, इसी केंद्र पर मोहन पासवान नाम का एक छात्र भी परीक्षा देता नजर आया। छात्राओं के बीच एकमात्र लड़के को देखकर सभी हैरान रह गए। सवाल उठने लगे कि आखिर एक लड़का छात्राओं के लिए आरक्षित केंद्र पर कैसे परीक्षा दे सकता है?
कैसे हुई गलती?
जब इस पूरे मामले की तहकीकात की गई तो कारण सामने आया कि मोहन पासवान, जो उच्च विद्यालय नवादा बाजार विद्यालय का छात्र है, के परीक्षा फॉर्म भरते समय गलती हो गई थी। दरअसल, परीक्षा फॉर्म भरते वक्त लिंग चुनने के लिए तीन विकल्प दिए जाते हैं—मेल (पुरुष), फीमेल (महिला) और अन्य। इस दौरान गलती से मोहन ने मेल की जगह फीमेल विकल्प पर टिक कर दिया।
सामान्यतः, फॉर्म भरने के बाद एक डमी एडमिट कार्ड जारी किया जाता है ताकि छात्र उसमें हुई किसी भी गलती को सुधार सकें। लेकिन दुर्भाग्यवश, इस स्टेज पर भी इस महत्वपूर्ण गलती पर किसी ने ध्यान नहीं दिया। नतीजा यह हुआ कि मोहन पासवान के फाइनल एडमिट कार्ड में भी ‘फीमेल’ लिंग ही अंकित रह गया। इसी कारण से उसे लड़कियों के परीक्षा केंद्र पर भेज दिया गया।
छात्र की परेशानी और प्रशासन की भूमिका
मोहन पासवान के लिए यह स्थिति काफी असहज भरी रही। परीक्षा केंद्र पर जब वह छात्राओं के बीच बैठा तो वह अपने आप को अलग-थलग और असुविधाजनक महसूस करने लगा। शुरुआत में परीक्षा केंद्र के अधिकारियों ने मोहन को परीक्षा देने से भी रोक दिया था। लेकिन जब पूरी जांच-पड़ताल के बाद असल वजह सामने आई कि यह एक मानवीय त्रुटि थी, तब जाकर मोहन को परीक्षा देने की अनुमति दी गई।
हालांकि, प्रशासन ने स्पष्ट कर दिया कि नियमों के अनुसार अब मोहन को इसी केंद्र पर परीक्षा देनी होगी, क्योंकि एडमिट कार्ड पर दर्ज विवरण के अनुसार परीक्षा केंद्र तय होता है और उसे बदला नहीं जा सकता।
क्या कहता है प्रशासन?
बांका जिला प्रशासन ने बताया कि इस तरह की गलती से बचने के लिए छात्रों को फॉर्म भरते समय विशेष सावधानी बरतनी चाहिए। डमी एडमिट कार्ड का उद्देश्य ही यही होता है कि छात्र उसमें हुई किसी भी त्रुटि को पहचानकर समय रहते सुधार करवा सकें।
प्रशासन ने यह भी कहा कि चूंकि परीक्षा प्रक्रिया चल रही है, ऐसे में केंद्र में बदलाव करना संभव नहीं है। मोहन पासवान को तय नियमों के अनुसार इसी केंद्र पर शेष परीक्षाएं देनी होंगी। हालांकि, परीक्षा केंद्र पर उसके लिए एक विशेष व्यवस्था की गई है ताकि वह बिना किसी असुविधा के परीक्षा दे सके।
बांका में 35 परीक्षा केंद्रों पर सख्त निगरानी
आपको बता दें कि बांका जिले में इस समय 35 परीक्षा केंद्रों पर बिहार बोर्ड की मैट्रिक परीक्षा आयोजित की जा रही है। परीक्षा के दौरान किसी भी तरह की गड़बड़ी को रोकने के लिए प्रशासन ने पूरी सख्ती बरती है।
- प्रत्येक केंद्र पर सीसीटीवी कैमरे लगाए गए हैं ताकि परीक्षा की हर गतिविधि पर नजर रखी जा सके।
- उड़नदस्तों की तैनाती भी की गई है, जो केंद्रों का समय-समय पर निरीक्षण कर रहे हैं।
- परीक्षा केंद्रों के बाहर किसी भी अनावश्यक भीड़भाड़ को रोकने के लिए पुलिस बल की तैनाती की गई है।
क्या मिलती है फॉर्म सुधारने की सुविधा?
बिहार विद्यालय परीक्षा समिति (BSEB) परीक्षा फॉर्म भरने के बाद छात्रों को डमी एडमिट कार्ड प्रदान करती है। इसका मुख्य उद्देश्य ही यह होता है कि छात्र अपने व्यक्तिगत विवरण—जैसे नाम, जन्मतिथि, लिंग आदि—की जांच कर लें। यदि किसी भी प्रकार की त्रुटि पाई जाती है तो छात्रों को उसे सुधारने का मौका दिया जाता है।
मोहन पासवान के मामले में यह चूक यहीं हुई। डमी एडमिट कार्ड मिलने के बावजूद, न तो छात्र ने और न ही स्कूल प्रशासन ने इस गलती को पहचाना और सुधारने की पहल की। इसी वजह से अब उसे इस असहज स्थिति का सामना करना पड़ रहा है।
समाज और विद्यार्थियों के लिए सीख
यह मामला न केवल एक मानवीय गलती का परिणाम है बल्कि विद्यार्थियों और शिक्षण संस्थाओं के लिए एक बड़ी सीख भी है। परीक्षा जैसे गंभीर मामलों में छोटी-छोटी गलतियां भी बड़ी परेशानियों का कारण बन सकती हैं।
छात्रों को फॉर्म भरते समय हर विवरण को सावधानीपूर्वक जांचना चाहिए। वहीं, स्कूल प्रशासन को भी यह सुनिश्चित करना चाहिए कि छात्रों के फॉर्म में किसी भी प्रकार की त्रुटि न रह जाए। डमी एडमिट कार्ड का महत्व भी यही है कि अंतिम एडमिट कार्ड जारी होने से पहले सभी जानकारियों को सही कर लिया जाए।
निष्कर्ष:
बांका का यह मामला भले ही एक साधारण सी मानवीय गलती का नतीजा हो, लेकिन इससे होने वाली असुविधा ने छात्रों और प्रशासन दोनों के लिए कई सवाल खड़े कर दिए हैं। मोहन पासवान को जहां असहज माहौल में परीक्षा देने की मजबूरी झेलनी पड़ रही है, वहीं यह घटना परीक्षा प्रक्रिया की सतर्कता और सावधानी की आवश्यकता को भी उजागर करती है।
आशा है कि भविष्य में इस तरह की गलतियों से बचने के लिए छात्र और संबंधित संस्थान और भी ज्यादा सतर्कता बरतेंगे ताकि किसी भी छात्र को ऐसी असुविधाजनक स्थिति का सामना न करना पड़े।