राज्य के सभी 38 जिलों में बच्चों के नाम काटे गये हैं। इनमें सबसे अधिक पूर्वी चंपारण में 1.45 लाख बच्चों के नाम कटे हैं।

इसी प्रकार पश्चिम चंपारण में 1.38 लाख, वैशाली में 1.34 लाख और मुजफ्फरपुर जिले में 1.05 लाख बच्चों के नाम कटे हैं।

पटना जिले में ऐसे बच्चों की संख्या एक लाख 799 है।

लगातार अनुपस्थित और दो स्कूलों में नाम के चलते प्रदेश के सरकारी विद्यालयों से ढाई महीने में 23 लाख 33 हजार बच्चों के नाम काट दिये गए हैं। साथ ही नाम काटने का सिलसिला अभी जारी है।

शिक्षा विभाग के निर्देश पर स्कूलों के प्रधानाध्यापक के द्वारा यह कार्रवाई की जा रही है। जिन बच्चों के नाम काटे गये हैं, उनमें 18 लाख 90 हजार प्रारंभिक (कक्षा एक से आठ) स्कूलों के हैं।

वहीं, चार लाख 43 हजार विद्यार्थी माध्यमिक-उच्च माध्यमिक स्कूलों के हैं।

लगातार गैर हाजिर रहने वाले बच्चों के नाम स्कूलों से हटाने का कार्य सितंबर, 2023 में शुरू किया गया।

विभाग ने निर्देश दिया था कि जो बच्चे लगातार तीन दिनों तक बिना सूचना के स्कूल नहीं आ रहे हैं, उनके अभिभावकों को नोटिस भेजें। इसके बाद भी बच्चे नहीं आ रहे हैं तो उनके नाम स्कूल से काट दें।

विभाग ने यह भी साफ किया था कि बड़ी संख्या में ऐसे बच्चें भी हैं जो सरकारी के साथ-साथ निजी स्कूल में भी नामांकन लिये हुए हैं।

विभाग ने कहा था कि विभिन्न योजनाओं का लाभ लेने के ऐसे बच्चों का दो स्कूलों में नामांकित हैं।

ऐसे बच्चे नियमित रूप से पढ़ने जाते हैं निजी स्कूलों में, पर कभी-कभी सरकारी स्कूल में भी आ जाते हैं। ऐसे बच्चों की भी पहचान कर नाम काटने का निर्देश जिलों को है।

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