बिहार के विभिन्न थानों से पुलिस एवं अन्य अधिकारियों के कार्यालय तक डाक वितरण करने की जिम्मेदारी डाक विभाग संभालेगा।
सामान्य पत्राचार के लिए ई-मेल का प्रयोग किया जाएगा।
राज्य पुलिस मुख्यालय के अनुसार एक सप्ताह के अंदर केंद्रीय डाक विभाग एवं पुलिस मुख्यालय के बीच समझौता पत्र (एमओयू) पर हस्ताक्षर किया जाएगा।
इससे वर्तमान में पुलिस महकमे में आंतरिक रूप से पत्रों को लाने एवं पहुंचाने में जुटे करीब एक हजार पुलिसकर्मियों की सेवा विधि-व्यवस्था की डयूटी के लिए ली जा सकेगी।
अपर पुलिस महानिदेशक, मुख्यालय जितेंद्र सिंह गंगवार ने पुलिस मुख्यालय में आयोजित प्रेस कॉन्फ्रेंस में बताया कि परीक्षण के रूप में 21 नवंबर से 31 मार्च, 2024 तक डाक विभाग के माध्यम से पुलिस डाक का वितरण कराया जाएगा।
राज्य में 1066 पुलिस थाना और पुलिस महकमे से संबंधित 104 कार्यालय हैं। करीब एक हजार सिपाहियों के माध्यम से इनके बीच डाक का आदान-प्रदान किया जाता है।
एक सिपाही का औसत वेतन 50 हजार हो, तो प्रतिमाह 5 करोड़ रुपये और सालाना 60 करोड़ रुपये डाक वितरण पर खर्च होता है।
इसके अतिरिक्त डाक वितरण के लिण् यात्रा भत्ता भी दिया जाता है।
2.50 लाख डाक का प्रति वर्ष होता है वितरण
एडीजी ने बताया कि लगभग 2.50 लाख डाक का वितरण प्रति वर्ष किया जाता है। डाक विभाग द्वारा प्रति डाक 30 रुपये की राशि ली जाएगी। इन्हें डाक विभाग के माध्यम से भिजवाया जाए तो करीब 75 लाख रुपये ही खर्च होगा।
डाक विभाग से समझौता होने पर 50 ग्राम तक के डाक को स्थानीय स्तर पर 15 रुपये में जबकि 2000 किमी तक 35 रुपये में पहुंचाया जा सकेगा।
वहीं, 201 ग्राम से 500 ग्राम ओर 500 ग्राम से अतिरिक्त प्रत्येक डाक के लिए अलग-अलग डाक शुल्क निर्धारित है। इसमें न्यूनतम 10 से 90 रुपये तक निर्धारित है।
इससे ये फायदे होंगे
एक बड़े सरकारी खर्च की बचत होगी
प्रति माह करीब एक हजार पुलिसकर्मियों की सेवा का उपयोग विधि व्यवस्था के लिए होगा
कम शुल्क में देश के किसी भी कोने में आसानी से डाक भेजा जा सकेगा, जबकि दूत के माध्यम से अधिक खर्च होगा।