बिहार में जब से शिक्षा विभाग की कामन के के पाठक संभाले हैं तब से आए दिन वह किसी न किसी वजह से सुर्खियों में बने ही रहते हैं। कभी वह राजनेताओं के नजरों पर रहते हैं तो कभी अपने सहकर्मियों के नजरों में खटकते हुए नजर आते हैं। इसी कड़ी में अब एक ताजा मामला शिक्षा विभाग और बिहार लोक सेवा आयोग से जुड़ा हुआ है। इन दोनों में शिक्षक अभ्यर्थियों के प्रमाण पत्र सत्यापन को लेकर ठन गई है।
दरअसल, बिहार लोक सेवा आयोग के सचिव ने माध्यमिक शिक्षा निदेशक को सख्त पत्र लिखकर भविष्य में चिट्ठी ना लिखने की हिदायत दे डाली है। इससे पहले शिक्षकों को प्रमाण पत्र सत्यापन के कार्य में लगाने पर के के पाठक ने आपत्ति जताते हुए सभी जिलाधिकारी को पत्र लिखा था। इसके बाद अब इस मामले में बीपीएससी की ओर से पत्र लिखकर पलटवार किया गया है। हालांकि, इससे पहले लोक सेवा आयोग के अध्यक्ष अतुल प्रसाद ने सोशल मीडिया पर बिना के के पाठक का नाम लिए उन पर निशाना साधा था। इसके बाद अब आयोग के सचिव ने माध्यमिक शिक्षा निदेशक को पत्र लिखकर भविष्य में किसी भी तरह के चिट्ठी ना लिखने की हिदायत दे डाली है।
बिहार लोक सेवा आयोग के सचिव सभी भूषण ने माध्यमिक शिक्षा निदेशक को एक पत्र लिखा है। इस लेटर के माध्यम से उन्होंने माध्यमिक शिक्षा निदेशक को हिदायत दे दी है कि,अभ्यर्थियों के दस्तावेजों का सत्यापन आयोग की आंतरिक प्रक्रिया है। आयोग शिक्षा विभाग और राज्य सरकार के नियंत्रणाधीन नहीं है। अगर यह स्पष्ट ना हो तो संविधान के प्रावधानों का अध्ययन कर लिया जाए। रवि भूषण ने शिक्षा विभाग के माध्यमिक शिक्षा निदेशक को दो टूक हिदायत दी है कि भविष्य में इस तरह के पत्राचार की धृष्टता न की जाए।
मालूम हो कि, इससे पहले माध्यमिक शिक्षा निदेशक कन्हैया प्रसाद श्रीवास्तव ने बीपीएससी को एक आधिकारिक पत्र लिख कर दस्तावेज सत्यापन में लगे अफसरों को कार्य मुक्त कर विभाग को वापस करने के लिए कहा था। पत्र में इसकी तमाम वजह भी बतायी गई थीं। जिसके बाद इस पत्र पर सख्त आपत्ति व्यक्त करते हुए बीपीएससी के सचिव ने यह चिट्ठी माध्यमिक शिक्षा निदेशक को लिखी है।
इधर, बीपीएससी सचिव रविभूषण ने दो टूक लिखा कि पता होना चाहिए कि आयोग की आंतरिक प्रक्रिया के औचित्य पर प्रश्न चिन्ह लगाना या इसमें किसी तरह का हस्तक्षेप करना और इस प्रकार से आयोग पर दबाव डालने का प्रयास करना असंवैधानिक, अनुचित और अस्वीकार्य है। सचिव ने लिखा है कि आश्चर्य है कि शिक्षा विभाग को इन सब प्रावधानों का पता होने के बाद भी बिना प्रमाण पत्रों के सत्यापन के ही आयोग से अनुशंसा की अपेक्षा की जा रही है