नवनियुक्त शिक्षा एवं स्वास्थ्य निदेशक की स्थिति मजदूरों से भी बदतर है इन लोगों का वेतनमान मात्र 8000 है जो किसी भी स्थिति में सही नहीं है कहा जाए तो 8000 में घर परिवार चलाना मुश्किल ही नहीं नामुमकिन है ऐसे में यदि हम सोचे तो हमसे बेहतर दैनिक मजदूर हैं जिनको कम से कम दिहारी मजदूरी तो मिलता है एक सरकारी कर्मचारी को लगातार 8 महीने काम करने के बाद भी अपने मजदूरी के लिए शिक्षा विभाग के चक्कर काटने होते है

उस पर भी संतुष्टि नही होती फिर अगले ही महीने से बेतन सुदूर देहात के बिजली जैसे गुल्ल हो जाता इतना ही नही अभी मौजुदा स्थितियों मे 4 महीने बीत चुके है लेकिन उनके खाते मे पैसे के जगह बस इंतजार रखा है और सिर्फ 8000 वाले पढ़े लिखे stet पास मजदूर अपने ही मजदूरी के लिए इंतजार करते नज़र आ रहे है कुल मिलाकर कहा जाए तो ये वह मजदूर हैं जिसको ना तो समय पर मजदूरी मिलती है और ना ही इज्जत जहां काम करते हैं वहां अपने आप को छोटा महसूस करते हैं लोग छोटा महसूस करवाने में कोई कसर भी नहीं छोड़ते

कहा जाए तो हम वह सभी काम करते हैं जो पुराने वेतनमान वाले कर रहे हैं लेकिन हमें मिलता कितना है मात्र 8000, बात 8000 की नहीं है बात है उनके सम्मान की काम करने की शैली की l अभ्यर्थियों की पढ़ाई मे उनके मां पिताजी ने अपनी उम्र भर की पूंजी लगाई उनको विश्वास था कि उनका बेटा या बेटी भविष्य में उनकी सेवा करेंगे l लेकिन जरा आप ही बताइए कि हम 8000 के वेतन में उनकी क्या देखभाल करेंगे 8000 के वेतन में उन्हें खिलाएंगे या उनके लिए दवाई लाएंगे या फिर उनकी अन्य जरूरतों को पूरा करेंगे 8000 में तो उनकी खुद की जरूरत पूरी नहीं होगी तो फिर मां-बाप के सपनों को कैसे साकार करेंगे l

नवनियुक्त शारीरिक शिक्षा एबंम स्वास्थ अनुदेशको की माने तो उनको तो ऐसा लगने लगा है कि काश हम भी बिना पढ़े लिखे होते हैं तो कम से कम आज मजदूरी कर रहे होते और इस बात का अफसोस नहीं होता की हम एक पढ़े-लिखे एस्टेट पास मजदूर हैं
अब सवाल सरकार से जिस तरह सरकार खेलों के बढ़ावा के लिए अलग-अलग प्रोग्राम कर रही है क्या वह सफल हो पाएगा? क्या 8000 के पगार में एक शिक्षक बच्चों को सही शिक्षा दे पाएंगे ?
क्या 8000 में एक पूरे परिवार का भरण पोषण हो पाएगा?
जो अपने घर से दूर स्कूल जाते हैं वह अपना खर्च मेंटेन कर पाएंगे?
क्या इन लोगों को कम से कम मासिक पेमेंट मिलना नहीं चाहिए?
क्या सरकार को इनके ऊपर में विचार करनी चाहिए?


अपना बिहार झारखंड की टीम ने जब शारीरिक शिक्षा व स्वास्थ्य अनुदेशक के शिक्षकों से बात किया तो उनके आंखों में आंसू थे उन्होंने स्पष्ट रूप से कहा कि हम वह मजदूर हैं जिनको ना तो समय पर मजदूरी मिलती है और ना ही इज्जत हम लोग अपनी इज्जत के लिए संघर्ष जारी रखेगे हम जल्द ही अपने सम्मान की रक्षा के लिए एक बड़ी लड़ाई लड़ेंगेl


अपना बिहार झारखंड की पूरी टीम आप लोगों के साथ हैं आपके हर लड़ाई में आपके साथ कदम से कदम मिलाकर चलेगी आप को इंसाफ मिलना चाहिए इस बात पहल जनता से लेकर नेता तक पहुंचाने का काम करेगी

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