पिछले 10 दिनों के अंदर दो बार आंधी पानी से चोटिल आम और लीची के फलन पर अब दहिया कीट का खतरा आ गया है। अनिश्चित तापमान के कारण इस कीट का प्रकोप ज्यादा बढ़ा है।
दिक्कत यह है कि इस कीट से बचाव के लिए प्रबंधन भी कठिन है। अगर किसान इसका उपाय भी करें तो पूरी तरह से खत्म करना मुश्किल होता है।
हालांकि, पिछले दिनों हुई बारिश से एक राहत जरूर मिली है। कृषि वैज्ञानिकों के अनुसार पत्ते पर जमे धूल और पेड़ों पर फंगस आदि बारिश से धूल गए। इससे पेड़ों में प्रकाश संस्लेशन की क्रिया बढ़ी है।
केवीके की कृषि वैज्ञानिक डॉ. ममता कुमारी ने बताया कि भागलपुर जिले में आम और लीची का बाग बहुत है। पिछले दिनों आंधी बारिश का सामना करना पड़ा।
इससे फल झड़ने और फलों के चोटाने का खतरा ज्यादा रहता है। हालांकि जब ओलावृष्टि होती है तो आम और लीची को नुकसान ज्यादा होता है, लेकिन अभी तक जो बारिश हुई है उसमें नुकसान से ज्यादा किसानों को फायदा हुआ है।
उन्होंने बताया कि पत्ते पर धूल कण जमा हो जाने के कारण प्रकाश संस्लेशन की क्रिया प्रभावित होती है, लेकिन बारिश हो जाने से पत्ते धुल जाते हैं और प्रकाश संस्लेशन की क्रिया अच्छी तरह से होने लगती है जिससे पेड़ और उसपर लगे पौधे का विकास अच्छी तरह से होता है। उन्होंने बताया कि बारिश के बाद अचानक तापमान में वृद्धि हो गई है। इससे दहिया कीट का प्रकोप बढ़ गया है।