राजनीति में कुछ भी मुमकिन है. अवसरों का सही फायदा उठाकर दांव चलने वाला ही आगे जाता है. कोई अपने सियासी फायदे के लिए बरसों पुरानी पार्टी छोड़ देता है तो कोई किसी बात से नाराज होकर. किसी खास काम को सही वक्त पर सही तरह से करने की कला को ही राजनीति कहते हैं.
ऐसा ही कुछ किया अयोध्या के स्वर्गद्वार से सपा के एक पार्षद ने. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, महेंद्र शुक्ला की सीट को अचानक महिला घोषित कर दिया गया. ऐसे में सपा पार्षद क्या ही करते, उनकी तो शादी भी नहीं हुई थी. लेकिन जो नेता मौके पर दांव न खेल पाए वो नेता ही क्या. इसलिए महेंद्र शुक्ला ने तुरंत तिकड़म लगाई और सीट के महिला घोषित होने के अगले ही दिन पड़ोस की एक लड़की से कोर्ट में जाकर शादी कर ली. इसके लिए उन्होंने न तो मुहूर्त देखा और ना ही बैंड-बाजे या बारात का इंतजार किया. वह सीधे रजिस्ट्रार दफ्तर पहुंच गए. अब उनकी शादी हो गई है तो उनको उम्मीद है कि पत्नी के साथ मिलकर वे लोगों की सेवा करेंगे. जनता भी अपनी बेटी-बहू समझकर उनकी पत्नी को वोट देगी. पत्नी जीती तो खुशी में शादी की दावत दे देंगे.
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, महेंद्र शुक्ला अयोध्या के स्वर्गद्वार के रहने वाले हैं और कानून की पढ़ाई कर रहे हैं. जब अयोध्या और फैजाबाद नगर पालिका को मिलाकर नगर निगम बना तो उन्होंने सपा की तरफ से चुनाव लड़ा और जीतकर पार्षद बन गए. दिलचस्प बात है कि जिस वार्ड में सीएम योगी आदित्यनाथ दीपोत्सव का आयोजन कराते हैं, उसी इलाके से महेंद्र ने बीजेपी उम्मीदवार को मात दी थी.
वह फिर से पार्षद के चुनाव में उतरने की प्लानिंग कर रहे थे. तभी अचानक आरक्षण आ गया और सीट महिला घोषित हो गई. अब उनकी शादी तो हुई नहीं थी तो करते भी क्या. मुश्किल सामने आ गई. वार्ड के आरक्षण की लिस्ट 1 दिसंबर को आई थी, जिसमें सपा पार्षद को मालूम चला कि सीट अब महिला आरक्षित हो चुकी है. उन्होंने अपना दिमाग दौड़ाया और अगले दिन यानी 2 दिसंबर को पड़ोसी की रहने वाली प्रिया शुक्ला के साथ रजिस्ट्रार दफ्तर पहुंच गए और शादी कर ली. हालांकि महेंद्र का कहना है कि उनकी सगाई पहले ही हो चुकी थी. शादी फरवरी में होनी थी. लेकिन सीट महिला आरक्षित हो गई तो क्या करते. इसलिए कोर्ट में जाकर शादी कर ली. अब उनकी पत्नी पार्षद के चुनाव में उतरेंगी.