लोक आस्था का महापर्व छठ एक ऐसा पर्व है जो बिहार से निकलकर अब पूरे भारत में धूमधाम से मनाया जा रहा है. हर वर्ष कार्तिक महीने की षष्ठी तिथि की संध्या को व्रती भगवान सूर्य को अर्घ्य देकर उनकी उपासना करते हैं. जबकि अगले दिन सुबह में उगते हुए सूर्यदेव को अर्घ्य देने के साथ पूरा होता है.

वहीं सहरसा जिला में भी लोक आस्था का महापर्व छठ वड़ी
धूमधाम से संध्या अर्घ्य देकर उनकी उपासना कि यहाँ तक कि मनोकामना पूर्ण व्रतीयों ने दंड प्रणाम देकर घाट पहुंचे,छठ व्रती रीना देवी का कहना है कि छठी मैया की महिमा अपरम्पार है मन्नतें पूरी होने पर आज वो दंड प्रणाम करते हुए छठ घाट जा रही हूँ,

छठ व्रती रीना देवी

भगवान भास्कर महोत्सव नहीं होने से,आम लोगों में भारी मायूसी का का माहौल ,

लेकिन कही न कही आम लोगों में भारी मायूसी का का माहौल है , जबकी सहरसा ऐसा जगह है, जहा एक से बढ़कर एक नेतृत्वकारी है, फिर भी यह दुर्दशा है, वही इस विषय पर पूर्व विधायक किशोर कुमार मुन्ना ने पूर्व राजग सरकार एवं वर्तमान महागठबंधन सरकार पर जमकर निशाना साधा है। उन्होंने जिक्र किया है कि छठ पर्व के अवसर पर कोशी मुख्यालय सहरसा में पिछले वर्ष शुरू किया गया भास्कर महोत्सव इस वर्ष नही किया गया है। इसको लेकर आम लोगों में भारी मायूसी है। भगवान भास्कर महोत्सव के अवसर पर सन्ध्या अर्घ्य और उदयगामी सूर्य के समय नामचीन कलाकारों द्वारा प्रस्तुति की जाती थी। लेकिन इस वर्ष आयोजन नहीं होने के कारण जिला प्रशासन के जवाब देने से बचते दिख रहे हैं। उन्होंने बताया कि जानकारी मिली कि कला संस्कृति एवं युवा विभाग से इस महोत्सव के आयोजन के संबंध में न निर्देश दिया गया न ही राशि आवंटित की गयी।

किशोर कुमार मुन्ना – पूर्व विधायक , सहरसा




वही स्थानिय विधायक आलोक रंजन छठ घाटों का दौरा के दौरान उन्होंने बताया बिहार का यह सबसे महान पर्व है सभी लोग आस्था और विश्वास से मनाते हैं और हम बहुत-बहुत शुभकामनाएं देते हैं उन्होंने बताया पिछले वर्ष सहरसा में हम लोगों ने भास्कर महोत्सव करवाया था बिहार सरकार के कैलेंडर में भी इसका नाम है इस बार भी हमें जिला पदाधिकारी से फोन पर बात कर राशि की मांग करने की बात कही थी लेकिन प्रशासन की उदासीनता के कारण भास्कर महोत्सव नहीं हो पाया।

पूर्व मंत्री सह विधायक आलोक रंजन


अब सोचने वाली बात है कि आखिर वायान वाजी के आरे कब तक सहरसा के विकास आती रहेंगी ।

By Indradev Kumar

Patrakar

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