बिहार के पूर्णिया में एक ऐसा मामला सामने आया है जो मानवता को झकझोर देने के लिए काफी है। बड़ा बेटा थोड़ा संपन्‍न है जबकि छोटा गरीब है। बड़ा बेटा ने अपने माता-पिता को रखने के लिए मना कर दिया तो छोटा बना सहारा।

पूर्णिया जिले के डगरुआ थाना क्षेत्र की 80 की उम्र सीमा पार एक दंपती ने पुलिस परिवार परामर्श केंद्र में अपनी शिकायत दर्ज कराई है। उन्हें दो पुत्र हैं। बडा पुत्र आर्थिक रुप से भी सक्षम है। छोटा पुत्र एक सामान्य होटल में मजदूरी करता है। बड़ा पुत्र तीन महीने से पूरी संपति लिखाने के लिए जान के पीछे पड़ा है। फिलहाल छोटे पुत्र के पास दंपती ने शरण ली है। छोटे पुत्र पेट तो भर देता है लेकिन बीमार पिता का उपचार कराने में अक्षम है। ऐसे में मां भीख मांगने लगी है। वे अपने पति को इलाज के अभाव में मरने नहीं देना चाहती है। मामले की सुनवाई अगले शुक्रवार को होनी है। फैसला जो हो, लेकिन बुजुर्ग मां-बाप की यह दशा खुद में एक सवाल है।

विवशता में पुत्र मोह भी बौना पड़ गया है। यह बानगी भर है, ऐसे विवश मां-बाप की कतार लगातार लंबी हो रही है। शरीर में मौजूद जख्म पर उनका जख्मी दिल भारी पड़ रहा है। कानून की दहलीज पर पहुंचने की विवशता को भी वे कोस रहे हैं, लेकिन जीने के बंद रास्ते ने उन्हें पाषाण बना दिया है।

तीन बेटों के एक पिता का मामला भी केंद्र में है। उनके बच्चों को संपति बांटने की जल्दबाजी तो है, लेकिन वृद्ध माता-पिता की कोई फिक्र ही नहीं। जब भी वे लोग सवाल उठाते हैं तो तीनों विवाद शुरु कर देता है। बहुओं के बीच जुबानी तलबारबाजी शुरु हो जाती है। दो जून की रोटी भी कोई देने वाला नहीं है। तीनों ने उन्हें अपनी ही संपति से बेदखल सा कर दिया है। अब उनके लिए दो जून की रोटी के भी लाले हैं। फिलहाल पुलिस परिवार परामर्श केंद्र, एसडीओ कोर्ट से लेकर परिवार न्यायालय में भी इस तरह के मामलों की संख्या लगातार बढ़ रही है। बुजुर्ग माता-पिता की विवशता उन्हें कानून के दर पर खींच कर ला रही है…।

सामाजिक परिवेश में अहितकर बदलाव से सबसे ज्यादा प्रभावित बुजुर्ग की हो रहे हैं। गत दो-तीन सालों में सौ अधिक बुजुर्ग दंपती अपने संतानों के खिलाफ शिकायत लेकर पुलिस परिवार परामर्श केंद्र में पहुंच चुके हैं। उनकी विवशता उन्हें इस दहलीज पर खींच कर ला रही है। कई ऐसे मामले भी होते हैं, जो सचमुच केंद्र के सदस्यों को भी झकझोर देता है। सुखद यह है कि अब बागवान कानून को अपना सहारा बना रहे हैं। – दिलीप कुमार दीपक, वरिष्ठ अधिवक्ता सह सदस्य, पुलिस परिवार परामर्श केंद्र।

भरण-पोषण अधिनियम के तहत बुजुर्ग माता-पिता की शिकायत उनके पास आती है। सरकार की नई व्यवस्था में उनके स्तर से लगातार इसकी सुनवाई भी की जा रही है। इसमें कानूनी प्रविधान के मुताबिक लगातार मामले का समाधान किया जा रहा है। गत तीन-चार माह के अंदर तकरीबन एक दर्जन बुजुर्ग दंपतियों की शिकायत का निवारण किया गया है। अब संतानों से पीडि़त बुजुर्ग माता या पिता यहां बेहिचक पहुंच रहे हैं। – राकेश रमण, सदर एसडीओ, पूर्णिया सदर

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