विद्या भारती अखिल भारतीय शिक्षा संस्थान उत्तर – पूर्व क्षेत्र, बिहार द्वारा आनंदराम ढांढनिया सरस्वती विद्या मंदिर में 33 वां क्षेत्रीय बैडमिंटन, शतरंज एवं टेबल टेनिस प्रतियोगिता- 2022 का उद्घाटन भागलपुर के डीआईजी विवेकानंद, विद्या भारती उत्तर पूर्व क्षेत्र ,बिहार के संगठन मंत्री ख्यालीराम, कॉमनवेल्थ कॉमनवेल्थ गेम 2022 में लॉन बॉल के रजत पदक विजेता चंदन कुमार सिंह, विद्या भारती उत्तर पूर्व क्षेत्र के क्षेत्रीय सचिव नकुल कुमार शर्मा , क्षेत्रीय खेल कूद प्रमुख ब्रह्म देव प्रसाद, भारती शिक्षा समिति बिहार के प्रदेश सचिव प्रदीप कुशवाहा ने संयुक्त रूप से दीप जलाकर किया।

उपस्थित खिलाडी भैया बहनों को संबोधित करते हुए भागलपुर के डीआईजी विवेकानंद ने कहा कि खेलकूद से आगे बढ़ने की प्रेरणा मिलती है। खेलकूद में सभी विजेता होते हैं। खेल से अधिक खेल भावना महत्वपूर्ण है।

वही संगठन मंत्री ख्यालीराम ने कहा कि एसजीएफआई में विद्या भारती को एक स्टेट के रूप में मान्यता मिली हुई है ।साथ ही गौरव की बात है कि विद्या भारती को एसजीएफआई के द्वारा अनुशासन का भी प्रमाण पत्र मिला हुआ है । विद्या भारती के केंद्रीय आधारभूत विषयों में शारीरिक शिक्षा को सबसे ऊपर रखा गया है।

खेलकूद सर्वांगीण विकास की एक महत्वपूर्ण कड़ी है। वहीं विशिष्ट अतिथि कॉमनवेल्थ गेम 2022 में लॉन बॉल के रजत पदक विजेता चंदन कुमार सिंह ने प्रतिभागी खिलाड़ियों को संबोधित करते हुए कहा कि असफलता से घबराना नहीं चाहिए। सफलता का कोई शॉर्टकट मेथड नहीं होता है ।मेहनत और लगन से प्रयास करने वाले को सफलता निश्चित ही मिलती है ।

दो दिनों तक चलने वाले इस खेल प्रतियोगिता में बिहार एवं झारखंड से प्रतिभागी शिरकत कर रहे हैं । शतरंज बैडमिंटन एवं टेबल टेनिस प्रतियोगिता में प्रत्येक खेल में खिलाड़ियों का तीन- तीन ग्रुप बनाया गया है ,अंडर-14 ,अंडर-17 एवं अंडर-19 तीनों श्रेणी के खेलों में भैया एवं बहन खिलाड़ियों की प्रतिभागीता हो रही है ।

विद्या भारती बिहार क्षेत्र द्वारा संचालित सरस्वती विद्या मंदिर के खिलाड़ी भैया- बहन 19 अगस्त से लेकर 20 अगस्त तक 20 अगस्त अपने प्रतिभा का प्रदर्शन करेंगे। विद्यालय के प्रधानाचार्य अनंत कुमार सिन्हा ने बताया कि बिहार एवं झारखंड के विभिन्न जिलों से लगभग 150 खिलाड़ी भैया बहन सम्मिलित हो रहे हैं यह भागलपुर के लिए गौरव का विषय है।

इस अवसर पर विभाग प्रमुख विनोद कुमार, पूर्णकालिक कार्यकर्ता उमाशंकर पोद्दार, राकेश नारायण अम्बष्ट, सतीश कुमार सहित विभिन्न प्रांतों से आए संरक्षक एवं निर्णायक की महत्वपूर्ण भूमिका रही।

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