बिहार में नीतीश कुमार की जेडीयू-आरजेडी महागठबंधन सरकार की आहट के बीच बीजेपी के मंत्री बर्खास्त होने का इंतजार करने के बदले गठबंधन टूटने से पहले समर्थन वापस लेकर इस्तीफा दे सकते हैं।

बिहार में तेजी से बदलते राजनीतिक घटनाक्रम से ये साफ हो चुका है कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार बीजेपी और एनडीए गठबंधन का पाला छोड़कर लालू यादव की आरजेडी, कांग्रेस, लेफ्ट महागठबंधन के साथ जाने वाले हैं। बीजेपी ने इस बार 2013 की गलती ना दोहराने के मूड में है और नीतीश को अपने मंत्रियों को बर्खास्त करने का मौका नहीं देगी।

सूत्रों का कहना है कि डिप्टी सीएम तारकिशोर प्रसाद के आवास पर बीजेपी नेताओं की मीटिंग चल रही है जिसमें रणनीति बनी है कि अगर नीतीश कुमार अलग रास्ता पकड़ते हैं तो बर्खास्तगी से पहले बीजेपी नीतीश सरकार से समर्थन वापस ले लेगी और बीजेपी के मंत्री राज्यपाल को इस्तीफा दे सकते हैं।

नीतीश ने 2013 में जब बीजेपी का साथ छोड़ा था तब उस समय बीजेपी के मंत्रियों को बर्खास्त कर दिया था। तब नीतीश ने डिप्टी सीएम रहे सुशील मोदी समेत बीजेपी के कुछ नेताओं को मिलने बुलाया था जिससे अलग होने का सम्मानजनक रास्ता निकाला जा सके। लेकिन बीजेपी से कोई नहीं गया तो नीतीश ने भाजपा के मंत्रियों को बर्खास्त कर दिया था। इस बार बीजेपी का मूड ये है कि नीतीश को इस तरह का कोई मौका ना दिया जाए और गठबंधन टूटने से पहले बीजेपी समर्थन वापस लेकर मंत्रियों का इस्तीफा राज्यपाल को दे दे।

बीजेपी की ये रणनीति कि जेडीयू ने नहीं, हमने ही छोड़ दिया, 2024 के लोकसभा चुनाव और 2025 के विधानसभा चुनाव के लिए जमीनी राजनीति और संघर्ष की बुनियाद है। बीजेपी इसके बाद विपक्ष में बैठकर जनता को बताएगी कि हमने तो बड़ी पार्टी रहते हुए भी कम सीट होने के बाद भी नीतीश को सीएम बनाया लेकिन वो आरजेडी-कांग्रेस के साथ चले गए।

अब नीतीश की अगुवाई वाली एनडीए सरकार का गिरना और नीतीश के ही नेतृत्व में महागठबंधन सरकार का बनना मोटा-मोटी तय है। कुछ औपचारिकताओं की देरी है। इसलिए अब जेडीयू, बीजेपी, आरजेडी सब आगे की राजनीति का लाइन तय कर रही है। जनता के बीच जाकर कौन क्या कहेगा, किस पर धोखा देने का आरोप लगाया जाएगा, किस पर साथ छोड़ने का आरोप लगाया जाएगा, अब पार्टियों की चिंता बस ये है।

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