रोहतास में पुलिस पदाधिकारी की लापरवाही बरतने से जुड़े एक मामले में नाराज कोर्ट ने डीएसपी को 5 घंटे तक खड़ा रखा. दरअसल पुलिस पदाधिकारी की लापरवाही बरतने से जुड़े 43 साल पुराने एक मामले में सुनवाई करते हुए एडीजे प्रथम मनोज कुमार की अदालत में बुधवार को रोहतास एसपी के बदले डीएसपी मुख्यालय ने कोर्ट में अपनी उपस्थिति दर्ज कराई. कोर्ट ने इस मामले में एसपी को उपस्थित होने का आदेश दिया था. एसपी की जगह डीएसपी को देख नाराज कोर्ट ने सुबह दस बजे से दोपहर तीन बजे तक डीएसपी मुख्यालय को कोर्ट रूम में खड़ा रखा.

इसके बाद डीएसपी मुख्यालय की तरफ से एक समय हेतु आवेदन देने के बाद कोर्ट ने अगली तिथि 24 अगस्त को दी. रोहतास एसपी को स्वयं उपस्थित होकर स्पष्टीकरण देने का निर्देश देते हुए उन्हें कोर्ट रूम से बाहर जाने का आदेश दिया. दरअसल कोर्ट ने इस मामले में पिछले 27 जुलाई को ही एसपी रोहतास को सशरीर कोर्ट में उपस्थित होकर स्पष्टीकरण देने का आदेश जारी किया था. लेकिन आज कोर्ट में एसपी की जगह डीएसपी मुख्यालय कोर्ट पहुंचे थे. जिससे उन्हें कोर्ट की नाराजगी का सामना करना पड़ा. बता दें कि 43 साल इस पुराने मामले में हाईकोर्ट खुद मॉनिटरिंग कर रहा है, इसलिए न्यायालय का रवैया सख्त है.

बता दें कि हत्या से जुड़े मामले की प्राथमिकी रामानुज उर्फ छेदी सिंह निवासी अतमिगंज, नासरीगंज गंज ने 18 सितंबर 1979 को नासरीगंज थाना कांड संख्या 06/1979 में दर्ज कराई थी. यह मामला अभियुक्तों की उपस्थिति हेतु पिछले 43 साल से लंबित है. इस मामले में कोर्ट के कई बार आदेश जारी करने के बाद नासरीगंज पुलिस ने मामले के एक अभियुक्त लक्ष्मी नारायण मास्टर की कुर्की जब्ती का तामिला रिपोर्ट पिछ्ले 7 जुलाई 2022 को कोर्ट में दाखिल किया था. अतमिगंज, नासरीगंज के रहने वाले अभियुक्त लक्ष्मी नारायण मास्टर मूल रूप से बांका जिले के धौरैया थाना क्षेत्र के गौरा गांव का निवासी था. आठ साल पहले उसकी मौत हो चुकी है.

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