अमूमन मंदिरों में भगवान को लड्डू, मिठाई या फलों आदि का भोग लगाया जाता है। और इसे प्रसाद के रूप में बांटा जाता है. इसके अलावा पश्चिम बंगाल के कोलकाता के टेंगरा इलाके में स्थिति ‘चाइनीज़ काली मंदिर’ के बारे में भी आपने पढ़ा होगा, जहां प्रसाद के रूप में नूडल्स, चाउमीन, फ्राइड राइस, मंचुरियन जैसी चीजें मिलती हैं.
लेकिन क्या आप जानते हैं कि अपने देश में एक ऐसा भी मंदिर है जहां प्रसाद के रूप में कोई खाने वाली चीज नहीं बल्कि पानी चढ़ाया जाता है. जी हां, गुजरात में स्थित इस मंदिर में मन्नत पूरी होने पर लोग लड्डू-मिठाई नहीं बल्कि पानी की बोतलें चढ़ाते हैं. गुजरात के पाटन से मोढेरा जाते समय यह मंदिर दिखाई पड़ता है.इस मंदिर और इसके बनने की कहानी बहुत अनोखी है।
गुजरात के इस मंदिर में पूरी होती हैं मन्नतें
रिपोर्ट के मुताबिक, यह कोई भव्य मंदिर नहीं बल्कि रास्ते में सड़क के किनारे महज कुछ ईंटों को रखकर बनाया गया मंदिर है. इसी ईंटों के बने मंदिर में लोग पानी की बोतलें चढ़ाते हैं. एक तरफ जहां लोग अन्य मंदिरों में लड्डू, फल, मिठाई या खीर का प्रसाद चढ़ाते हैं, वहीं इस मंदिर की मान्यता है कि यहां पानी का प्रसाद चढ़ाने से मन्नतें पूरी होती हैं.
ये है मंदिर बनने की कहानी
इस मंदिर के बनने की कहानी दुखद है. दरअसल, 21 मई 2013 को इसी जगह एक ऑटो रिक्शा और कार के बीच जोरदार टक्कर हो गई थी. इस सड़क हादसे में 8 में से 6 लोगों की मौके पर ही मौत हो गई थी. मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार ऑटो में सवार लोग शादी में जा रहे थे. इस ऑटो में 2 बच्चे भी सवार थे.
इस मंदिर के पास ही स्थित एक फार्म हाउस में काम करने वाले चौकीदार ने बताया कि दुर्घटना में गंभीररूप से घायल दोनों बच्चे प्यासे थे और लगातार पानी मांग रहे थे लेकिन उन्हें किसी ने पानी नहीं पिलाया. बाद में उन दोनों की मौत हो गई. कहा जाता है कि इस दुर्घटना के कुछ समय बाद ही उस जगह हादसे होने लगे.
लोग मानते हैं इसे चमत्कार
इन हादसों के बाद स्थानीय लोगों को ये लगा कि ऐसा उन दोनों बच्चों की मौत के कारण हो रहा है. ऐसे में उन 2 बच्चों को देवता मानकर स्थानीय लोगों ने कुछ ईंटों से एक छोटे मंदिर का स्वरूप बना दिया और वहां पूजा करने लगे. लोगों की मानना है कि मंदिर बनाने के बाद आसपास के कुओं का खारा पानी भी मीठा हो गया. साथ ही सड़क पर हादसे होना भी बंद हो गए.
यहां केवल पानी चढ़ाया ही नहीं जाता बल्कि लोग ये भी मानते हैं कि इस पानी को प्रसाद के रूप में लेने से शरीर के कष्ट दूर होते हैं. जैसे जैसे ये बात आसपास फैली वैसे वैसे लोग अपनी अपनी मन्नतें लेकर यहां पहुंचने लगे. यहां मन्नत पूरी होने पर 12 से लेकर 100 बोतलें और हजारों की संख्या में पानी के पाउच चढ़ाए जाते हैं.